रांची : केंद्र सरकार ने झारखंड के जीतपुर कोल ब्लॉक, सिसई, पाताल कोल ब्लॉक और पर्वतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन और समझौता के आदेश को ही रद्द कर दिया है. इसके तहत कंपनियों द्वारा जमा बैंक गारंटी की राशि 343 करोड़ रुपये से अधिक को जब्त कर लिया गया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के खाते में इसकी राशि को जमा करा दिया गया है. ये कोल ब्लॉक टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड, सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण), जेएसएमडीसी को आवंटित किये गये है. बताया जाता है कि आवंटन केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा किया गया था, लेकिन कोयला का खनन और माइनिंग का काम अब तक शुरू नहीं किया गया था, जिसको देखते हुए यह कदम उठाया गया है और बैंक गारंटी को जब्त कर लिया गया है. 11 अप्रैल 2019 को ही झारखंड के दो ब्लॉक सिसई और वृंदा ब्लॉक को टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड को आवंटित किया गया था. बताया जाता है कि टाटा स्पांज आयरन लिमिटेड की ओर से किसी तरह का माइनिंग प्लान से लेकर इसमें उत्खनन के कार्य के लिए सकारात्मक पहल नहीं की थी. नतीजा यह हुआ है कि केंद्र सरकार ने कंपनी की तरफ से जमा कराये गये 133.71 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक गारंटी का राशि को ही जब्त कर लिया है. 2 अप्रैल 2019 को यह राशि जमा किया गया था, लेकिन काम नहीं किया गया. इसी तरह झारखंड सरकार के झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसएमडीसी) को भी पाताल कोल ब्लॉक दिया गया था. 2013 में भूषण स्टील से पाताल कोल ब्लॉक जेएसएमडीसी को दे दिया था. इस कोल ब्लॉक के लिए एमइसीएल लिमिटेड की ओर से माइनिंग प्लान सौंपा गया था, जिसको केंद्र सरकार ने अस्वीकृत कर दिया था क्योंकि वह गलत प्लान ही था. जेएसएमडीसी को 11 नवंबर 2020 को ही केंद्र सरकार ने यह नोटिस दिया था कि उनका एलॉटमेंट रद्द किया जा सकता है, जिसके बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया. इसमें गया था कि इस ब्लॉक का अब संचालन नहीं किया जा सकता है, जिस कारण इसको सरेंडर कर दिया जाये, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिसके बाद उनकी जमा राशि 52.86 करोड़ रुपये जब्त कर लिया गया है. इसी तरह सेल को पर्वतपुर कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया था. सेल ने ओएनजीसी के साथ मिलकर पर्वतपुर कोल ब्लॉक में काम शुरू करने का फैसला लिया था. इस कोल ब्लॉक से कोल बेड मिथेन और कोयले के खनन की रिपोर्ट मेकॉन की ओर से तैयार की गयी थी. इसे केंद्र सरकार ने तकनीकी रुप से नकार दिया था. डीजीएमएस यानी खान सुरक्षा महानिदेशालय ने भी इस खदान की अनुमति नहीं दी थी. 26 नवंबर 2018 को सेल प्रबंधन से पर्वतपुर कोल ब्लॉक के लिए जमा करायी गयी 62.57 करोड़ रुपये की राशि को जब्त कर लिया गया, जिसकी सिफारिश 2018 में ही गयी थी. इसी तरह गोड्डा में केंद्र सरकार ने अडानी पावर को जीतपुर कोल ब्लॉक आवंटित किया था. इसको लेकर झारखंड सरकार और अडानी समूह के बीच कई विवाद भी हुए थे. झारखंड सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून 2013 का हवाला देते हए कोल माइंस के लिए आवंटित भूमि को रद्द कर दिया था. वही, अडानी पावर ने दिल्ली हाईकोर्ट में राज्य सरकार के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया था. 31 अक्टूबर 2020 को अडानी पावर से केंद्र सरकार ने आवंटित कोल ब्लॉक को सरेंडर करने का आदेश दिया गया. लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिसके बाद अडानी पावर के जमा बैंक गारंटी 92.90 करोड़ रुपये की राशि को जब्त कर लिया गया.