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dr-jj-irani-a-corporate-leader-डॉ जेजे ईरानी का जाना, एक आदर्श कारपोरेट युग का अंत, जानिए कैसा रहा है डॉ साहब का जीवन

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डॉ ईरानी और उनकी पत्नी डेजी ईरानी.

जमशेदपुर : टाटा स्टील के पूर्व एमडी और पद्म भूषण डॉ जमशेद जे ईरानी का निधन हो गया. 31 अक्टूबर 2022 को रात 10 बजे टीएमएच जमशेदपुर में उन्होंने अंतिम सांस ली. डॉ ईरानी चार दशकों से अधिक समय तक टाटा स्टील से जुड़े रहे. 43 साल की विरासत को पीछे छोड़ते हुए वे जून 2011 में टाटा स्टील के बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए, जिसने उन्हें और कंपनी को विभिन्न क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को जमशेदपुर में हीं किया जाएगा. डॉ ईरानी के परिवार में उनकी पत्नी डेज़ी ईरानी और उनके तीन बच्चे, जुबिन, नीलोफ़र ​​और तनाज़ हैं.
नागपुर में हुआ जन्म
2 जून, 1936 को नागपुर में जिजी ईरानी और खोरशेद ईरानी के घर जन्मे, डॉ ईरानी ने 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से विज्ञान स्नातक की डिग्री और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री पूरी की. इसके बाद वे यूके में यूनिवर्सिटी ऑफ शेफ़ील्ड से जेएन टाटा स्कॉलर के रूप में पढ़ाई करने गए, जहाँ उन्होंने 1960 में धातुकर्म में मास्टर्स और 1963 में धातुकर्म में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की. उन्होंने 1963 में शेफील्ड में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन के साथ अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की, लेकिन हमेशा राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए तरसते रहे और 1968 में तत्कालीन टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) में अनुसंधान एवं विकास के प्रभारी निदेशक के सहायक के रूप में शामिल होने के लिए भारत लौट आए. वह 1978 में जनरल सुपरिंटेंडेंट, 1979 में जनरल मैनेजर और 1985 में टाटा स्टील के प्रेसिडेंट बने. वह 1988 में टाटा स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक, 1992 में प्रबंध निदेशक बने और 2001 में सेवानिवृत्त हुए. वह 1981 में टाटा स्टील के बोर्ड में शामिल हुए और 2001 से एक दशक तक नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर भी रहे. टाटा स्टील और टाटा संस के अलावा, डॉ ईरानी ने टाटा मोटर्स और टाटा टेलीसर्विसेज सहित टाटा समूह की कई कंपनियों के निदेशक के रूप में भी काम किया. डॉ ईरानी 1992-93 के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. उन्हें कई सम्मानों से सम्मानित किया गया, जिसमें 1996 में रॉयल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के इंटरनेशनल फेलो के रूप में उनकी नियुक्ति और 1997 में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा भारत-ब्रिटिश व्यापार और सहयोग में उनके योगदान के लिए मानद नाइटहुड की उपाधि शामिल है. 2004 में, भारत सरकार ने भारत के नए कंपनी अधिनियम के गठन के लिए विशेषज्ञ समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ ईरानी को नियुक्त किया. उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें 2007 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. धातु विज्ञान के क्षेत्र में उनकी सेवाओं को मान्यता के रूप में उन्हें 2008 में भारत सरकार द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें एक दूरदर्शी लीडर के रूप में याद किया जाएगा, जिन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में भारत के आर्थिक उदारीकरण के दौरान टाटा स्टील का नेतृत्व किया और भारत में इस्पात उद्योग के उन्नति और विकास में अत्यधिक योगदान दिया. डॉ ईरानी भारत में गुणवत्ता आंदोलन के पहले लीडर थे. उन्होंने टाटा स्टील को गुणवत्ता और ग्राहकों की संतुष्टि पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ दुनिया में सबसे कम लागत वाला स्टील उत्पादक बनने में सक्षम बनाया, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके. प्रसिद्ध मैल्कम बाल्ड्रिज परफॉर्मेंस एक्सीलेंस मानदंड से अपनाए गए कैलिब्रेटेड दृष्टिकोण के माध्यम से शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए 2003 में टाटा एजुकेशन एक्सीलेंस प्रोग्राम शुरू करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी. वह एक उत्सुक खिलाड़ी थे, जिन्होंने अपने आखिरी समय तक क्रिकेट खेला और उसे फॉलो किया, साथ ही डाक तथा सिक्का संग्रह भी उनका जुनून था. धातुकर्मी होने के नाते, धातुओं और खनिजों के अनुसंधान, विकास और संग्रह में उनकी रुचि थी. जमशेदपुर शहर के लिए उनके प्यार ने कई महत्वपूर्ण विकास किए हैं, जो इसके नागरिकों को लाभान्वित करते रहेंगे. उनका सक्रिय सार्वजनिक जीवन हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा.

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