जमशेदपुर : कलकत्ता हाईकोर्ट ने टाटा स्टील लिमिटेड द्वारा इन्कैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सुरक्षित देनदारियों (त्रृणों) को एसबीआई और अन्य सरकारी बैंकों द्वारा गैरकानूनी तरीके से प्राईवेट कंपनियों (कमला मिल्स, फस्का इन्वेस्टमेंट, पेगाशस एसेट रिकन्सट्रक्शन) को सौंप देने के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में 2018 में दायर रिट पिटीशन नंबर 14251, 14253 और 15541 में इंकैब के मजदूरों द्वारा उक्त कार्यवाही में हस्तक्षेप पर संज्ञान लिया था और इंकैब के मजदूरों के वकीलों के जिरह के आधार पर 5 मार्च, 2020 की सुनवाई में आदेश पारित किया था. उच्च न्यायालय ने एनसीएलटी द्वारा 07.02.2020 को दिये गये इंकैब कंपनी के परिसमापन के आदेश को अपने संज्ञान में लेकर 05.03.2020 के अपने उक्त आदेश में इंकैब के मजदूरों के वकील अखिलेश श्रीवास्तव के इस बहस को दर्ज किया था कि इंकैब कंपनी की सरकारी बैंकों की देनदारियों को प्राईवेट कंपनियों को सौंपना उच्चतम न्यायालय के आईसीआईसीआई बैंक बनाम ऑफिशियल लिक्विडेटर ऑफ एपीएस स्टेट इंडस्ट्रीज लिमिटेड (2010) 10 एससीसी 1 मामले में दिये गये फैसले के प्रतिकूल है. उच्च न्यायालय ने यह भी दर्ज किया था कि सरकारी बैंक अपनी गैरनिष्पादित संपत्तियों (एनपीएज, एनपीएएस) को सिर्फ सरकारी बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों को ही सौंप सकते हैं. उच्च न्यायालय ने अपने उक्त आदेश में यह भी दर्ज किया भारत के कानून में उस उपरोक्त व्यवस्था के अलावे कुछ और सक्षम करने का प्रावधान नहीं है. उक्त कार्यवाही फिर 10.12.2020 को उच्च न्यायालय में आभासी सुनवाई के माध्यम से हुई जिसमें कमला मिल्स के वकील शामिल नहीं हो सके थे. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई. कमला मिल्स के अधिवक्ता ने सुनवाई को स्थगित करने का प्रस्ताव रखा. कमला मिल्स के अधिवक्ता ने कहा कि उन्हें 5 मार्च 2020 की ऑर्डर वेबसाइट पर नहीं मिली हैं. इस पर संज्ञान लेते हुए जस्टिस अरिंदम सिन्हा ने मामले को 21.01.21 स्थगित कर दिया. इंकैब कर्मचारियों की तरफ से उक्त सुनवाई में कलकत्ता उच्च न्यायालय में वकील अखिलेश श्रीवास्तव और आकाश शर्मा ने हिस्सा लिया.
incab-company-issue-केबुल कंपनी को दूसरे को बेचने के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, फिर 21 जनवरी को होगी सुनवाई, जानें क्या है मामला
[metaslider id=15963 cssclass=””]