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incab-industries-बंद केबुल कंपनी को लेकर सरकार पर विधायक सरयू राय ने बढ़ाया दबाव, उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ की बैठक, मंगलवार को मुख्य सचिव से मिलेंगे, जमशेदपुर डीसी ने भेजा है सरकार को प्रस्ताव, जानें पूरा मामला

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जमशेदपुर : जमशेदपुर की केबुल कंपनी (इंकैब) के पुनरूद्धार के बारे में विभिन्न विकल्पों की तलाश के लिए झारखण्ड सरकार के उद्योग विभाग में सोमवार को एक बैठक हुई. इसमें जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय तथा उद्योग विभाग की सचिव पूजा सिंघल और उद्योग निदेशक जितेन्द्र कुमार सिंह शामिल थे. अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार इस मामले में काफी गंभीर हैं और हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है, बशर्तें कि कोई एक सार्थक विकल्प सामने आ जाये. श्री राय ने बताया कि मार्च, 2020 से सितम्बर, 2021 के बीच वे तीन बार इस मुद्दे को विधानसभा में ध्यानाकर्षण, निजी संकल्प, अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से उठा चुके हैं परन्तु हर बार सरकार का एक ही प्रकार का जवाब आता है कि इन्कैब एक प्राइवेट कम्पनी है, जिसका मामला एनसीएलटी में चल रहा है और कंपनी प्रबंधन ने कभी भी सरकार से इसे पुनर्जीवित करने के लिए पैकेज देने का अनुरोध नहीं किया. झारखण्ड सरकार की 2016 की उद्योग नीति और हाल ही में घोषित हुई 2021 की उद्योग नीति में बीमार उद्योगों को पुनर्जीवित करने का प्रावधान है, बशर्तें कि बीमार कम्पनी का प्रबंधन इसके लिए सरकार के पास ठोस प्रस्ताव के साथ पहुंचे. श्री राय ने याद दिलाया कि केबुल वर्कर्स वेलफेयर सोसाईटी के पदाधिकारियों के साथ वे स्वयं इस मामले को लेकर 16 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री से मिला था और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव एवं संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम को भी अभ्यावेदन सौंपा था. इसके बाद झारखण्ड राज्य औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 की कंडिका- 6.15.2 के आलोक में इंकैब इंडस्ट्री को पुन:स्थापित करने के लिए मुख्य सचिव के स्तर पर वार्ता हुई थी. मुख्य सचिव ने 28 अगस्त, 2020 को निर्देश दिया था कि इस मामले में पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त से एक विस्तृत प्रतिवेदन मांगा जाये. यह आदेश विभागीय पत्रांक-4/स.भू., पूर्वी सिंहभूम-33/2020-1961/रा., दिनांक 08.08.2020 को उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम को भेजा गया. इसके आलोक में उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम ने पत्रांक 247/टी.एल. दिनांक 06.07.2021 द्वारा एक विस्तृत प्रतिवेदन झारखण्ड सरकार को भेज दिया है, जिसमें इंकैब के बीमार होने और इसे बीमार करने वालों की भूमिका का विस्तृत वृतांत है. प्रतिवेदन में उपायुक्त ने कहा है कि उक्त बीमार कंपनी के पुनरूद्धार एवं उसके श्रमिकों के हितों की रक्षा एवं कल्याण नीतिगत मामला प्रतीत होता है जो सरकार के स्तर से ही संभव होगा. श्री राय ने उद्योग सचिव से कहा कि उपायुक्त का प्रतिवेदन और केबुल मजदूरों का अभ्यावेदन झारखण्ड सरकार द्वारा इंकैब के मामले में एनसीएलटी के हस्तक्षेप करने के लिए पर्याप्त आधार है. निर्णय हुआ कि इस मामले में मुख्य सचिव स्तर पर पहल किया जाये और सरकार से इस मामले में स्पष्ट आदेश प्राप्त किया जाए. श्री राय ने कहा कि इस बारे में वे मंगलवार को एक ठोस प्रस्ताव के साथ मुख्य सचिव से मिलेंगे और विषय उनके सामने रखकर सरकार का आदेश प्राप्त करने की पहले करेंगे.

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