जमशेदपुर : एनसीएलएटी के कोलकाता ब्रांच में जमशेदपुर में करीब 20 साल से बंद पड़ी केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) के मसले पर शनिवार को अहम सुनवाई हुई. कर्मचारियों द्वारा दाखिल किये गये आवेदन पर सुनवाई हुई. कर्मचारियों की तरफ से उनके अधिवक्ताओं ने एडजुडिकेटिंग ऑथॉरिटी को बताया कि परिसमापक (लिक्वीडेटर) ने एक ओर मनमाने ढंग से इन्कैब के कर्मचारियों के वेतन बकाये संबंधी कानूनी दावों को गैरवाजिब तरीके से निरस्त किया है और दूसरी ओर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा अपने 6 जनवरी 2016 के आदेश में बैंकों का बकाया 21.63 करोड़ रुपये तय करने के बावजूद, परिसमापक ने कमला मिल्स, फस्का इन्वेस्टमेंट और पेगासस असेट रि-कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा कर उक्त देनदारी को अविश्वसनीय ढंग से बढ़ा कर 2338.84 करोड़ रुपये कर दिया है. कर्मचारियों के अधिवक्ताओं ने एनसीएलटी को यह भी बताया कि एडजुडिकेटिंग ऑथॉरिटी ने अपने 7 फरवरी 2020 के आदेश के पैरा 72 द्वारा परिसमापक को कमला मिल्स और उसके निदेशक रमेश घमंडीराम गोवानी द्वारा इन्कैब कंपनी के खिलाफ किये गये बड़े फर्जीवाड़े और सौ करोड़ रुपये से अधिक के गबन की जांच करने के लिए कहा था पर परिसमापक ने दुर्भावनाजनित कारणों से कोई जांच नहीं की. अधिवक्ताओं को सुनने के उपरांत श्री राजशेखर और श्री सूरी की बेंच ने परिसमापक को कर्मचारियों के आवेदन के आलोक में एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया और अगली तारीख 8 दिसंबर 2020 की मुकर्रर की. इंकैब इंडस्ट्रीज के कर्मचारियों की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव और आकाश शर्मा ने जिरह की.
incab-industries-nclat-hearing-20 साल से बंद केबुल कंपनी के मामले में हुई एनसीएलएटी में सुनवाई, जानें क्या है मामला और कहां हुई बंद करने को लेकर गड़बड़ी
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