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indian-institure-of-metals-इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मेटल ने पूरे किये गौरवमयी 75 साल, टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स की भूमिका को सराहा, एनएमएल के डायरेक्टर ने भी किया संबोधित

राशिफल

जमशेदपुर : टाटा स्टील के सीइओ व एमडी टीवी नरेंद्रन ने देश में धातु और धातुकर्म विज्ञान (मेटल ऐंड मेटलर्जिकल साइंस) के विकास में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स (आइआइएम) द्वारा निभाई गई अनूठी भूमिका को रेखांकित करते हुए इसकी सराहना की. आइआइएम के प्लैटिनम जुबिली के उपलक्ष्य में आयोजित एक वर्चुअल समारोह में बोलते हुए श्री नरेंद्रन ने इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, धातुकर्म वैज्ञानिकों (मेटलर्जिस्ट), शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के लिए एक कॉमन प्लेटफॉर्म के रूप में आइआइएम के महत्व को रेखांकित किया और इस बात पर बल दिया कि कैसे यह प्रमुख पेशेवर संस्थान मेटलर्जिकल साइंस की दुनिया में योगदान देने के लिए समय के साथ उत्तरोत्तर विकसित हुआ है. वर्चुअल कार्यक्रम में लगभग 350 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, जो देश भर के विभिन्न उद्योगों, संस्थानों और अनुसंधान संस्थानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. आइआइएम की स्थापना 1946 में हुई थी. वर्तमान में इसके 56 चैप्टर हैं और देश भर से इसके लगभग 10,000 सदस्य निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों के उद्योग, शिक्षा, आरएंडडी प्रतिष्ठानों और संस्थानों का प्रतिनिधित्व करते हैं. आइआइएम धातुओं, सामग्रियों और धातुकर्म विज्ञान के क्षेत्र में प्रख्यात वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और विद्यार्थियों के महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्हें सम्मानित करता है. संस्थान ने फरवरी 2021 में राष्ट्र की सेवा के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. अपने प्लेटिनम जुबली समारोह के उपलक्ष्य में आइआइएम ने ‘आइआइएम@75-मंथली वेबिनार सीरीज’ (एमडब्ल्यूएस) के तहत हर महीने व्याख्यानमाला की एक श्रृंखला शुरू की है. इस एमडब्ल्यूएस प्रोग्राम के तहत कुछ चुने हुए चैप्टर वेबिनार आयोजित करेंगे। जनवरी 2021 में शुरू हुआ यह प्रोग्राम फरवरी 2022 तक जारी रहेगा. 10 मई को जमशेदपुर में यह व्याख्यान आयोजित किया गया, जिसमें सीएसआइआर-एनएमएल, जमशेदपुर के निदेशक डॉ इंद्रनील चट्टोराज ने व्याख्यान दिया. उन्होंने ’क्षरण विफलता और निवारण रणनीतियां’ (कोरोजन फेल्यर ऐंड प्रीवेंटिव स्ट्रैटेजीज) विषय पर बात की. अपने संबोधन में डॉ चट्टोराज ने कहा कि विफलता का विश्लेषण यह निर्धारित करने के लिए एक इंजीनियरिंग दृष्टिकोण था कि उपकरण व अवयव (कलपुर्जे) कैसे और क्यूं खराब/विफल होते हैं. उन्होंने के अवयवों के संक्षारक क्षरण को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों पर विस्तार से प्रकाश डाला. अंत में उन्होंने विभिन्न निवारण रणनीतियों पर चर्चा कर अपने व्याख्यान का समापन किया.

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