जमशेदपुर : जमशेदपुर ही नहीं बिहार-झारखंड के जाने माने ट्रेड यूनियन नेता कॉमरेड दुलाल मुंशी नही रहे. 30 अप्रैल की रात को 84 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. वे अपने पीछे पत्नी, दो बेटे और एक बेटी छोड़ गए हैं. मजदूर और किसानों के संघर्ष में उनका अद्वितीय योगदान रहा है. लोग उन्हें सम्मान से दुलाल दा कहते थे. जमशेदपुर डिवीज़न इन्सुरेंस इम्प्लॉइज एसोसिएशन के अध्यक्ष सहित कई यूनियनों जैसे कांट्रेक्टर वर्कर्स यूनियन, जमशेदपुर मजदूर यूनियन, परफेक्ट इलेक्ट्रिकल यूनियन, स्टीवर्ट एंड लॉयड यूनियन आदि के नेता रहे हैं. मजदूरों के लिए संघर्ष के साथ-साथ नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति के तहत समाजसेवी जवाहर लाल शर्मा और अधिवक्ता टीएन ओझा के साथ मिलकर जमशेदपुर के नागरिक अधिकार की लड़ाई भी लड़ते थे. बैंक यूनियन के गठन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी और वर्तमान में बैंक यूनियन के सारे महत्वपूर्ण नेता दुलाल दा को अपना गुरु मानते हैं. उन्होंने सीपीआई के टिकट पर जमशेदपुर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. वे झारखंड राज्य के समर्थक थे और इसके संघर्ष में वैचारिक रूप से हमेशा शामिल रहे. केबुल कंपनी के पुन: संचालन में जबरदस्त संघर्ष किये और चाहते थे कि केबुल कंपनी ऐसे भरोसेमंद हाथ मे आ जाये, जिससे मजदूरों का हित सुरक्षित हो सके. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के संघर्ष में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते थे. जमशेदपुर डिवीज़न इन्सुरेंस एम्प्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले कई प्रशंसनीय कार्य किये. कमजोर वर्ग के लोगों को अपने यूनियन फण्ड से समूह बीमा प्रदान किया. करगिल युद्ध में हाथ पैर गवां चुके सैनिक माणिक बरदा के बेटे का इंटरमीडिट तक के शिक्षा का खर्च उठाया. 35 वर्षों से लगातार संगठन की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन करते रहे हैं. मानसिक रूप से विक्षिप्त बच्चों को भी लगतार मदद करते थे. सोमवार को उनका अंतिम संस्कार किया गय. सोमवार को बिष्टुपुर स्थित जीवन प्रकाश भवन में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया जिसमें बड़ी संख्या में यूनियनों और सामाजिक संगठनों के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. बैंक यूनियन के आरए सिंह, हीरा अरकने, स्वपन अदक, एटक के शशि कुमार, बीएन सिंह, स्वपन घोषाल, अम्बुज ठाकुर, समाजसेवी जेपी सिंह, ओम प्रकाश सिंह, गौतम घोष, अचिंतम गुप्ता, आल इंडिया एलआईसी एम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय महासचिव राजेश कुमार, एलआईसी में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के नेता, वरिष्ठ मंडल प्रबंधक मनोज पांडा आदि ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किया. दुलाल दा के निधन से मजदूर संघर्ष के एक युग का अंत हो गया.