जमशेदपुर : जमशेदपुर कोर्ट के जुडिशियल मैजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी की अदालत में इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड की लगभग 3 एकड़ जमीन कब्जा कर टाटा स्टील यूटिलिटीज (पहले जुस्को ) द्वारा टाटा स्टील के कहने पर केबुल वेलफेयर एसोसिएशन से लेकर टाटा फाउन्ड्री तक सड़क बनाने के खिलाफ इंकैब के मजदूरों के प्रतिनिधि भगवती सिंह द्वारा दायर फौजदारी मुकदमा में आपराधिक प्रक्रिया कोड, 1973 की धारा 200 के तहत भगवती सिंह की मुख्य परीक्षा हुई. भगवती सिंह ने अदालत को बताया कि उन्होंने यह फौजदारी मुकदमा टाटा स्टील लिमिटेड, जुस्को लिमिटेड, टाटा स्टील लिमिटेड के प्रबंध निदेशक टी वी नरेन्द्रन, कार्यकारी निदेशक कौशिक चटर्जी और जुस्को लिमिटेड के प्रबंध निदेशक तरून कुमार दागा के खिलाफ दायर किया है. उन्होंने अदालत को आगे बताया कि 1919 में टाटा स्टील को 15725 एकड़ जमीन सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 (गवर्नमेंट ग्रांट एक्ट,1895) के तहत मिली उसके तुरंत बाद जिसमें से 177 एकड़ जमीन इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड को सरकारी अनुदान अधिनियम, 1895 के तहत दिया गया. उन्होंने आगे बताया कि आज टाटा स्टील फर्जी कागज बनाकर यह दावा कर रही है कि उसने इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड को सबलीज दिया था जबकि ग्रांट का सबलीज नहीं होता है. जब मजिस्ट्रेट ने यह पूछा कि अगर यह ग्रांट है तब टाटा स्टील यह कैसे दावा कर रही है कि यह जमीन उसे 2005 में सरकार से लीज मिली है. भगवती सिंह ने अदालत को बताया कि इस बात का जवाब तो टाटा स्टील और सरकार को देना है कि 1919 का ग्रांट 2005 में लीज कैसे हो गया. यही तो फर्जीवाड़ा है. उन्होंने आगे कहा कि इंकैब के मजदूरों और कर्मचारियों का 400-500 करोड़ रुपये बकाया है और वे इंकैब कंपनी के परिसंपत्तियों को बचाना चाहते हैं ताकि मजदूरों और कर्मचारियों को उनका बकाया मिले, उनके साथ न्याय हो और अपराधियों को सजा मिले. सुनवाई में अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, अमिताभ कुमार, मंजरी सिंहा और निर्मल घोष शामिल थे.