जमशेदपुर : केंद्र सरकार की नियोक्ता परस्त नीतियां, राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को निलंबित किया जाना तथा निजीकरण एवं एफडीआइ के खिलाफ 22 मई को केंद्रीय श्रम संगठनों और फेडरेशनों के आह्वान पर अखिल भारतीय विरोध दिवस के अवसर पर कोल्हान क्षेत्र में भी शारीरिक दूरी का पालन करते हुए संयुक्त विरोध की जायेगी. इस लॉकडाउन के दौरान श्रमिक वर्ग को नौकरियों का खात्मा, मजदूरी का नुकसान, निवास स्थान से निष्कासन, भूख से मौत, यहां तक कि सड़क दुर्घटनाओं और औद्योगिक हादसों के कारण जानें जा रही है. दूसरी ओर कोरोना वायरस को लेकर केंद्र और कुछ राज्य सरकारें देश के मेहनतकश मजदूरों को संकट में ही डाल रही है. ट्रेड यूनियनों ने स्वतंत्र रूप से और एकजुट रूप से इस संबंध में प्रधानमंत्री और श्रम मंत्री को कई पत्र भी दिये है. कई विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम भी इस दौरान किए गए हैं . लेकिन इन सब के बावजूद, कारपोरेट लॉबी के हुक्म पर, कई राज्य सरकारों ने कार्यकारी आदेशों या अध्यादेश के माध्यम से प्रमुख श्रम कानूनों को निलंबित या रद्द करते हुए, संपूर्ण श्रमिक वर्ग को ग़ुलाम बनाने के लिए साजिशें रच रही हैं. 8 राज्य सरकारों ने फैक्ट्रीज़ एक्ट के उल्लंघन करते हुए कार्यकारी आदेश के माध्यम से दैनिक कार्य घंटों को आठ घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे कर दिया है. इसके बाद भी नियोक्ताओं के पक्ष में सेवा जारी रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से एक झटके में 38 कानूनों को 1000 दिनों के लिए अप्रभावी बना दिया है. इसी तरह मध्य प्रदेश सरकार ने नियोक्ताओं के पक्ष में प्रमुख श्रम कानूनों में भारी बदलाव लाए हैं, गुजरात सरकार ने भी 1200 दिनों के लिए कई कानूनों को निलंबित करने की योजना बनाई हैं. असम और त्रिपुरा की सरकारें और कई अन्य राज्य सरकार एक सा रास्ता अपनाने की तैयारी कर रही हैं. यह आशंका है, की अधिकांश अन्य राज्य सरकारें, विशेष रूप से, भाजपा और उसके सहयोगियों शासित राज्य सरकारें, विकास एवं व्यापार करने में आसानी के, तथाकथित दलील पर इसी रास्ते का अनुसरण करेंगे. 22 मई को देशव्यापी विरोध दिवस के माध्यम से होगी. शारीरिक दूरी का पालन करते हुए संयुक्त विरोध कार्रवाइयां में भाग लेने के लिए अपील किया हैं. इसी कड़ी मे केंद्रीय कार्यक्रम जमशेदपुर में सुबह 11 बजे से इंटक कार्यालय, टिनप्लेट में सीमित उपस्थिति के साथ धरना पर बैठने के रूप में होगी. इसी तरह का कार्यक्रम, दिन के अलग-अलग समय पर, विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और उनके सम्बंधित यूनियनों के कार्यालयों में तथा सदस्यों द्वारा उनके कार्यस्थलों पर भी किया जाएगा. विभिन्न फेडरेशन ने भी इसी तरह के कार्यक्रम लेने का फैसला किया है.
यह है मांगें :
काम के घंटे-12 घंटे तक बढ़ाने के लिए अधिनियम में संशोधन, श्रम कानूनों को निलंबित करने के निर्णय तथा संसदीय स्थायी समिति के पास लंबित तीन श्रम संहिताओं को लागू करने के किसी भी पहल को तुरंत रोका जाए । लॉकडाउन के दौरान छंटनी, वेतन भुगतान में कटौती ,सेवा शर्तों में बदलाव, प्रतिबंधों के उल्लंघन करते हुए काम के लिए मजबूर करनेवाले, नियोक्ताओं के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाए । सभी प्रवासी मजदूरों का निशुल्क घर वापसी सुनिश्चित किया जाए तथा जरूरतमंदों को भोजन, आश्रय और स्वास्थ्य की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित किया जाए। औद्योगिक हादसों तथा घर लौटने के दौरान मजदूरों की मौतों के कारणों को रोकें और शोक संतप्त परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। अगले तीन महीने तक, आयकर नहीं देने वाले सभी परिवारों के,बैंक खाते में न्यूनतम 7500 रु०/प्रति माह नकद भेजा जाना सुनिश्चित किया जाए तथा सार्वभौमिक राशन प्रणाली गारंटी किया जाए।