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jamshedpur-new-gift-by-tata-steel-टाटा स्टील के सीआरएम बारा में नये तरीके से तालाब बनाकर किया गया समर्पित, तीन नये तालाब के सौंदर्यीकरण से बदली जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र की आबोहवा

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जमशेदपुर : सर दोराबजी टाटा के जन्मदिवस पर जमशेदपुर के सिदगोड़ा बारा एरिया स्थित सीआरएम बारा (टिमकेन कंपनी के पीछे) में बनाये गये तीन नये तालाब को नये सौंदर्यीकरण के बाद समर्पित किया गया. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन, वीपी स्टील मैनुफैक्चरिंग सुधांशु पाठक, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने संयुक्त रुप से ऑनलाइन इसका उदघाटन किया. टाटा स्टील के चीफ कारपोरेट एडमिनिस्ट्रेशन रितुराज सिन्हा के निर्देशन में इसका आयोजन किया गया. इस मौके पर टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने कहा कि सीआरएम बारा के तालाब को नये तरीके से बनाये जाने से बरबाद सामानों का किस तरह से बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है, यह बेहतर उदाहरण पेश करता है. इसके जरिये रेन वाटर हारवेस्टिंग की भी सुविधा हो सकेगी. जिम्मेदार कारपोरेट कंपनी होने के नाते यह कंपनी का भी दायित्व है कि समाज के इको सिस्टम को बेहतर तरीके से संचालित किया जा सके. इस मौके पर टाटा स्टील के वीपी सुधांशु पाठक ने कहा कि सीआरएम बारा के नये पोंड के बन जाने से हरियाली, स्थायित्व और बायो डाइवर्सिटी (जैवविविधता) बबेहतर हो सकेगा. इससे ग्राउंड वाटर लेवल में बढ़ोत्तरी हो सकेगा जबकि यहां पक्षियों का भी आना जाना होगा, जिससे यहां की आबोहवा भी बेहतर हो सकेगा. इस मौके पर टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कहा कि सीआरएम बारा के तालाब को बनाकर एक नया उदाहरण कंपनी ने पेश किया है. करीब 5000 से ज्यादा पौधे लगाकर यहां की आबोहवा को और बेहतर किया जा सका है.

क्या है इस नये तालाब की खासियत :
टिमकेन कंपनी के बगल में ही सीआरएम बारा प्लांट है, जिसके अधीन ही यहां बेकार स्थान था, जहां पानी का जमाव होता था. इसको नये सिरे से विकसित किया गया है. 14 एकड़ में फैले इन तालाबों से बेहतर पानी की क्षमता विकसित हो सकेगी जबकि पानी की समस्या का निराकरण हो सकेगा. यहां पहले एक बड़ा और दो छोटा पानी का तालाब था, जहां गंदगी का अंबार हो जाता था. इसको नये सिरे से विकसित करते हुए 82 हजार क्यूबिक मीटर पानी को रोकने की क्षमता विकसित की गयी है. करीब 5000 नये पौधे यहां लगाये गये है. यहां अब तो मछलियां भी आने लगी है जबकि प्रवासी पक्षियों का यहां डेरा जमने लगा है. इससे जमीन के भीतर के सतही जलस्तर में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है. वैसे यहां बारा सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट की भी स्थापना अक्तूबर 2018 में किया गया था. इसके बाद जमशेदपुर में बरबाद होने वाली पानी को रोकने में कामयाबी मिली थी.

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