
जमशेदपुर : राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर जमशेदपुर सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) की ओर से महिला आधारित एक कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला वर्चुअल मोड पर की गई थी. यह महिला और बाल विकास मंत्रालय और भारत सरकार की एक संयुक्त पहल है और इसका मुख्य उद्देश्य हमारे देश के लोगों के बीच बालिका के अधिकारों , स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करना है. पुरुषों के वर्चस्व वाले समाज में लड़कियों को विभिन्न प्रकार की हिंसा का सामना करना पड़ता है और वैश्विक स्तर पर बालिकाओं को बाल विवाह, कन्या भ्रूण हत्या, बाल घरेलू श्रम, खराब शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में शोषण का शिकार होना पड़ता है. समाज में लड़कियों और महिलाओं के सामने आने वाले मुद्दों और महिला सशक्तिकरण के महत्व को उजागर करने के लिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इसके बाद सीएसआईआर-एनएमएल में “भारत में महिला सशक्तिकरण” पर मुख्य वैज्ञानिक डॉ मीता तरफदर द्वारा महिलाओं के न्यायिक सशक्तिकरण और कार्यकारीया सलाहकार निर्णय लेने वाली संस्था के हिस्से के रूप में विभिन्न नेतृत्व भूमिकाओं में उनकी भागीदारी की वर्तमान स्थिति पर एक शक्तिशाली प्रस्तुति के साथ दर्शकों को प्रबुद्ध किया गया. उन्होंने महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण की अत्यधिक अनुशंसा की और घर पर बच्चों और बड़ों की देखभाल के लिए विभिन्न सहायता सेवाएं प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा प्रायोजित सीएसआईआर-एनएमएल में महिलाओं के लिए आगामी एसएंडटी कार्यक्रम, महिला और बाल विकास मंत्रालय और महिला प्रौद्योगिकी पार्क की विभिन्न महिला सशक्तिकरण योजनाओं के बारे में संक्षेप में बात की. कार्यशाला में मुक्ति मिशन की संस्थापक सुश्री रश्मि साहा ने बहुत ही खूबसूरती से अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विकास और सशक्तिकरण एक तरफा नहीं हो सकता है और इसे समाज की बेहतरी के लिए हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में माना जाना चाहिए.