रांची : झारखंड की राजधानी रांची के एक होटल में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) झारखंड चैप्टर की ओर से तीसरा सीआइआइ झारखंड माइनिंग कांक्लेव का आयोजन किया गया. इसमें बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय कोयला मंत्रालय के सचिव आइएएस डॉ अनिल कुमार जैन ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में इस मौके पर सीआइआइ झारखंड के चेयरमैन चाणक्य चौधरी, झारखंड सीआइआइ माइनिंग पैनल के संयोजक सोमेश विश्वास, वाइस चेयरमैन तापस साहू, सीएमपीडीआइएल के चीफ मैनेजर आशीष कुमार, वेस्ट बोकारो के साउथ इस्टर्न ब्लॉक के चीफ ऑफ ऑपरेशन अनुराग दीक्षित, एनटीपीसी लिमिटेड के माइनिंग सेफ्टी हेड अमित दुबे, आइआइटी धनबाद के डिपार्टमेंट ऑफ माइनिंग इंजीनियरिंग प्रोफेशर शिवशंकर राय, जीएसआइ के डिप्टी डायरेक्टर जेनरल डॉ दिपायन गुहा, रांची के माइंस डायरेक्टरेट के डिप्टी डायरेक्टर अरुण कुमार, हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के नेशनल कोयला माइनिंग वर्टिकल के हेड विवेश मिश्रा और केपीएमजी के पार्टनर निलाद्री भट्टाचार्जी मौजूद थे. इस दौरान मुख्य रुप से बेहतर तरीके से माइनिंग, माइनिंग ट्रेड पॉलिसी, एक्सपोलेरेशन समेत तमाम बिंदूओं पर चर्चा की गयी. केंद्रीय कोयला सचिव डॉ अनिल जैन ने अपने संबोधन में कहा कि कोयले की कमी ने यह दर्शा दिया है कि भारत में पाये जाने वाले कोयले के जरिये ही देश के थर्मल पावर प्लांट संचालित हो सकते है. बिना आयातीत कोयले के ही थर्मल पावर का देश में संचालन किया जा सकता है. (नीचे देखे पूरी खबर और पढ़ें)
देश के कोयला सचिव ने बताया कि देश में घरेलू कोयले का इस्तेमाल करने वाली भारत की पावर प्लांट कंपनियों में 24 फीसदी अतिरिक्त बिजली का उत्पादन हो पाया जबकि आयातीत कोयला का इस्तेमाल कर पावर बनाने वाली कंपनी का उत्पादन 30 फीसदी कम रही. उन्होंने यह भी बताया कि मानसून के दौरान उद्योग धंधों को माल की ढुलाई और लॉजिस्टिक क्षेत्र में काफी दिक्कतें होती है. बारिश के मौसम में भारत में 13 से 14 लाख टन कोयला का ढुलाई होता है जबकि अन्य मौसम में 19 से 19.5 लाख टन का कोयले का ढुलाई होता है. कोयला सचिव ने कोयला का उत्पादन और कॉमर्शियल माइनिंग करने वाली कंपनियों को सुझाव दिया कि वे लोग क्वालिटी और मार्केट के नजरिये को समझते हुए कारोबार करें. कोयला बाजार में तेजी से बदलाव आयेगा. वैसे यह कोयला के खरीददारों के लिए बेहतर वक्त है जबकि कोयला के उत्पादक वाली कंपनियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है. टाटा स्टील के वाइस प्रेसीडेंट सह सीआइआइ झारखंड के चेयरमैन चाणक्य चौधरी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में माइंस के क्षेत्र का अहम योगदान रहा है. भारतीय विनिर्माण के क्षेत्र में भी तेजी से इसके जरिये ही ग्रोथ होता रहता है. इससे जीडीपी में भी ग्रोथ होता है. इस कारण माइंस के क्षेत्र को भविष्य को ध्यान में रखते हुए विकसित करने और उस क्षेत्र में दक्षता हासिल करने की जरूरत है. इसके लिए खास माइनिंग इक्वीपमेंट पर ध्यान देने की जरूरत है.