रांची : बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बिहार में निबंधित वर्तमान झारखंड के 980 यूनियनों का निबंधन रद्द किए जाने के खिलाफ एक साझी रणनीति बनाए जाने के लिए शुक्रवार को रांची स्थित एटक कार्यालय में सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की एक बैठक पीके गांगुली की अध्यक्षता मे संपन्न हुई. बैठक मे सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि चूंकि इस पूरे मामले मे ट्रेड यूनियनों का कोई दोष नहीं है और यूनियनों द्वारा झारखंड के गठन के बाद यूनियनों का वार्षिक विवरण निबंधक श्रमिक संघ, झारखंड सरकार के पास जमा किया जाता रहा है. साथ ही इसी अवधि में दो-दो बार केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा यूनियनों का सत्यापन भी किया गया. इसके अलावा बिहार पुनर्गठन अधिनियम जिसके अंतर्गत झारखंड राज्य का गठन हुआ में स्पष्ट उल्लेख है कि 15 नवंबर 2000 के बाद दोनों राज्यों के समस्त सरकारी कार्य अपने-अपने क्षेत्राधिकार मे होंगे इसलिए बिहार में निबंधित झारखंड क्षेत्रांतर्गत यूनियनों द्वारा अपना वार्षिक विवरण श्रम विभाग झारखंड सरकार के पास जमा किया जाता रहा है. बैठक मे ट्रेड यूनियनों ने सर्वसम्मति से यह तय किया है कि 9 जुलाई को श्रम मंत्री द्वारा सभी ट्रेड यूनियनों के साथ इस मामले पर बुलायी गयी संयुक्त बैठक मे यूनियनों द्वारा पुराने निबंधन को ही रिस्टोर किए जाने का आग्रह किया जायेगा. बैठक मे एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर राष्ट्र के आयुध कारखानों का निगमीकरण किए जाने के खिलाफ आयोजित रक्षा उद्योग के श्रमिक संघों के आंदोलन को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक अध्यादेश जारी किए जाने की भर्त्सना करते हुए इसे अविलंब वापस लिए जाने की मांग की गयी. साथ ही रक्षा उधोग के निजीकरण की साजिश पर रोक लगाने के लिए आयुद्ध कारखानों के मजदूरों के आंदोलन के साथ एकजुटता व्यक्त की गयी. बैठक मे इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय, एचएमएस के अध्यक्ष गिरीनाथ सिंह, सीटू के राष्ट्रीय सचिव डीडी रामानंदन, बीएमएस के प्रदेश महामंत्री बृज बिहारी शर्मा, एटक के महासचिव पीके गांगुली, सीटू के राज्य महासचिव प्रकाश विप्लव, एक्टू के महासचिव शुभेंदु सेन, एटक उप महासचिव अशोक यादव, सीटू उप महासचिव आरपी सिंह, कोषाध्यक्ष अनिर्वान बोस के अलावा, विनोद कुमार राय, परमिंदर सिंह, महेंद्र मिश्र, ब्रजेश कुमार, डीएन पांडेय, मनजीत कुमार, जगन्नाथ साहु, जगरनाथ उरांव, हरि लाल साव, लालदेव सिंह, शामिल थे.
jharkhand-labour-union-झारखंड के 980 यूनियनों का निबंधन 21 साल से नहीं हुआ बहाल, जैसे बिहार के वक्त था, वैसे ही बहाल करने की मांग हुई तेज, रांची में हुई सारे यूनियनों की हुई बैठक, 9 जुलाई को मंत्री की बैठक में दम के साथ शामिल होंगे यूनियन नेता
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