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jharkhand-trade-union-big-story-झारखंड के सबसे बड़े राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ को लेकर श्रम विभाग का बड़ा फैसला, विधायक अनूप सिंह और पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी के नाम को दर्ज करने के अलग-अलग दावे को किया खारिज, रजिस्टर बी में नाम दर्ज करने से इनकार, ललन चौबे पहले से ही कोर्ट की शरण में

राशिफल

शाल और बंडी पहने केएन त्रिपाठी और दाढ़ी वाले अनूप सिंह.

रांची : झारखंड के श्रम विभाग यानी ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने सत्ताधारी कांग्रेस के बेरमो से विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ (आरसीएमएस) धनबाद की कमेटी को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इस कमेटी में महामंत्री एके झा थे. यह यूनियन राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में संचालित होती थी, जिसको लेकर विवाद होने के बाद अलग-अलग आवेदन दिये गये थे. इसी यूनियन की अपनी कमेटी का नाम रजिस्टर बी में दर्ज करने के लिए कांग्रेस के ही पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने भी आवेदन दिया था, जिसके आवेदन को भी श्रम विभाग ने खारिज कर दिया है. श्रम विभाग ने यह कहते हुए इसको खारिज किया है कि चूंकि इस यूनियन की मान्यता 2017 में ही रद्द हो चुकी है, इस कारण इसकी कमेटी का नाम नहीं चढ़ाया जा सकता है. इस मसले को लेकर पहले से ही ललन चौबे और ददई दुबे गुट के लोग हाईकोर्ट की शरण में है और इसमें अनूप सिंह और केएन त्रिपाठी भी दावेदा है, इस कारण कोर्ट के फैसला आने तक श्रम विभाग इंतजार करेगी, जिसके बाद ही यूनियन को मान्यता दिया जायेगा.
क्या है मामला :
राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ एकीकृत बिहार के वक्त वर्ष 1951 में बिहार सरकार के श्रम विभाग से निबंधित थे, जिसके अध्यक्ष बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे होते थे. इसके बाद कालांतर में यूनियन की राजनीति गर्मायी और इंटक में दो फाड़ हो गया, जिसमें सांसद ददई दुबे और ललन चौबे एक गुट में थे और इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी संजीवा रेड्डी और राजेंद्र सिंह एक गुट में हो गये. इस बीच आरसीएमएस राजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में चलने लगी तो ददई दुबे भी अपनी सामानांतर कमेटी चलाने लगे थे. 2017 में बिहार में 980 ट्रेड यूनियनों की मान्यता को रद्द कर दिया गया था, जिसमें आरसीएमएस यूनयिन भी शामिल है. इसके बाद श्रम विभाग ने सारे यूनियनों को कहा था कि नये सिरे से झारखंड में आवेदन दें, जिसके आधार पर सबका रजिस्ट्रेशन होगा. इसके बाद आरसीएमएस यूनियन की मान्यता और रजिस्टर बी में दर्ज कराने के लिए अनूप सिंह और केएन त्रिपाठी ने अपना-अपना आवेदन दे दिया. इस बीच ललन चौबे और ददई दुबे भी अलग हो गये और वे लोग अपनी यूनियन को मान्यता के लिए हाईकोर्ट चले गये, जो अब भी केस लंबित है. अनूप सिंह को हाल ही में राजेंद्र सिंह के निधन के बाद एक गुट ने उनको अध्यक्ष बना लिया था, जिसका रजिस्टर बी में नाम दर्ज करने का आवेदन दिया गया था, जिसको श्रम विभाग ने खारिज कर दी और केएन त्रिपाठी के आवेदन को भी खारिज कर दिया गया.

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