जमशेदपुर : टाटा संस के एमिरट्स चेयरमैन रतन टाटा एक विमान हादसे के शिकार हो गये थे. वे बाल-बाल इस घटना में बच गये थे. इसका खुलासा खुद रतन टाटा ने किया है. देश के महत्वपूर्ण औद्योगिक घराना टाटा समूह के चेयरमैन रह चुके रतन टाटा ने इसका खुलासा नेशनल जियोग्राफिक के मेगा आइकंस सीजन दो के एपीसोड को दिये गये एक इंटरव्यू में कहीं. इसका एक प्रोमोशनल क्लिप को जारी किया है, जिसमें रतन टाटा ने खुद बताया है कि वह इस विमान दुर्घटना में कैसे बच गये और कैसे वे लोग सुरक्षित निकल सके है. तीन और यात्रा इस प्लेन पर उस वक्त सवार थे.
इस प्रोमोशनल वीडियो में रतन टाटा ने कहा है कि जब वे अपने तीन मित्रों के साथ हवाई जहाज में सफर कर रहे थे, उसी समय अचानक से विमान का इंजिन बंद हो गया. उस वक्त वे सिर्फ 17 साल के ही थे. उस वक्त वे पायलट लाइसेंस के लिए जरूरी उम्र तक पहुंच चुके थे. उस वक्त उनको खुद से प्लेन को किराये पर लेने की स्थिति नहीं थी, इस कारण उन्होंने अपने दोस्तों से उड़ान भरने को लेकर बातचीत की और उन्हें विमान में उड़ाने के लिए वोलेंटियर किया था. रतन टाटा ने अपने तीन दोस्तों को जोड़ा था, जो उनके साथ उड़ान पर थे.
अचानक से उड़ान के बीच में ही इंजन बंद हो गया और बहुत तेजी से हिलने लगा. रतन टाटा ने बताया है कि उस वक्त वे सोच रहे थे कि वे लोग कैसे नीचे आयेंगे और सुरक्षित रहेंगे. इस घटना से सारे दोस्त इतने डर गये थे कि किसी ने कुछ भी नहीं कहा. रतन टाटा ने बताया कि छोटा और हल्का विमान में इंजन बंद होना कोई बड़ी बात नहीं होती है. टाटा ने कहा कि कितनी ऊंचाई पर होते है, जहां उतरना है, वह जमीन कैसा है, यह देख़ा होता है. उन्होंने कहा कि वे इस घटना के बाद हंसे तक नहीं थे क्योंकि आप हंस नहीं सकते कि इंजिन बंद हो चुका है. वैसे उन्होंने यह भी बताया है कि वे अमेरिका के लॉस एंजलिस में एक आर्किटेक्ट के ऑफिस में काम करते थे, लेकिन उनको भारत वापस आना पड़ा क्योंकि उनकी दादी बीमार रहने लगी थी और करीब पांच साल तक बीमार रही. दादी के साथ रहने के लिए वे फिर अमेरिका नहीं गये और भारत में ही रहे. टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट के शॉप फ्लोर में काम करना शुरू किया, जिसको पहले टेल्को के नाम से जाना जाता था. रतन टाटा ने कहा कि उनको टाटा समूह में जगह देने के बाद जेआरडी टाटा ने कहा था कि सिर्फ वे कुर्सी पर बैठ नहीं सकते है बल्कि उनको काम भी करना होगा तो टाटा मोटर्स में काम करना शुरू किया था. रतन टाटा ने बताया कि टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में उनके बिताये हुए छह माह सबसे मूल्यवान थे, लंबे समय बाद हालांकि, वे खुद उसी कंपनी के चेयरमैन बन गये.