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tata-group-strategy-टाटा समूह के समक्ष कोरोना की वजह से उत्पन्न हो रही है आर्थिक संकट, चेयरमैन चंद्रशेखरन ने टाटा समूह की कंपनियों को लागत खर्च घटाने की दी हिदायत, नगदी बचाने का आदेश

राशिफल

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन.

मुंबई/जमशेदपुर : टाटा समूह की कंपनियां कोरोना वायरस के अटैक के बाद से घोर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है. इसको देखते हुए टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने टाटा समूह की सभी कंपनियों को यह आदेश दिया है कि कोरोना वायरस को देखते हुए कंपनियों के समक्ष लिक्विडिटी (नगदी) को बचाकर रखा जाये ताकि आने वाले संकटों से लड़ा जा सके. करीब 113 बिलियन की टाटा समूह के चेयरमैन ने समूह के सारे कंपनियों के प्रमुखों, एमडी व सीइओ को कहा है कि जितने भी पूंजीगत खर्चे को तत्काल रोक दें और तीन से छह माह तक के लिए एक कार्ययोजना बनायें ताकि संकट से कैसे निबटा जा सकता है. एक अंग्रेजी अखबार को दिये गये टेलीफोनिक इंटरव्यू में श्री चंद्रशेखरन ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-2021 चुनौतियों भरा है, जिस कारण नगदी को बचाकर रखना जरूरी है. इसके तहत सभी कंपनियों के सीइओ को कहा गया है कि कंपनी में डिजिटलाइजेशन की व्यवस्था को सुचारु रुप से लागू किया जाये. एक सवाल के जवाब में श्री चंद्रशेखरन ने कहा है कि सभी देशों में रुकावट सी आ गयी है. दुनिया के हर देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) प्रभावित होने वाली है और नौकरियों को लेकर भी सभी देश रुकी हुई है. उन्होंने यह आशंका जतायी कि इस बीमारी के कारण भारत के जीडीपी में काफी ज्यादा गिरावट हो सकती है, जो 250 बिलियन डॉलर संभावित है. इस लिहाज से इसको लेकर तैयारियां तेज करने की जरूरत है. श्री चंद्रशेखरन ने कहा कि कोरोना वायरस के पहले से ही अर्थव्यवस्था काफी घाटे में चल रहा था. छोटे और मंझोले स्तर के उद्योगों को बचाने के लिए अब सपोर्ट की जरूरत होगी. कंस्ट्रकशन, ऑटोमोबाइल व लॉजिस्टिक के क्षेत्र में फिर से लोगों को काम मिल सके, यह सुनिश्चित कराना भी एक चुनौती होगी. अगर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाना है तो ब्याजमुक्त लोन या मदद देने की पेशकश होनी चाहिए और उसके साथ फूड सिक्यूरिटी यानी खाने की गारंटी भी देना होगा, जिससे फिर से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जा सकता है. इसको लेकर कड़े फैसले भी लेने पड़ेंगे. यह भी चुनौती है कि आने वाले कितने दिनों तक यह स्वास्थ्य की चुनौतियां चलेंगी, यह भी निश्चित नहीं है, ऐसे में सभी को काम कैसे मिल सकेगा, यह एक बड़ी चुनौती है, जिससे निबटने की जरूरत पड़ेगी. टाटा संस के चेयरमैन ने विस्टारा और इंडियन होटल्स के भविष्य और उसके घटते रेवेन्यू पर पूछे गये सवाल पर कहा कि हर कंपनी का अलग-अलग प्रबंधन एचआर (मानव संसाधन), रेवेन्यू (राजस्व) और नगदी (कैशफ्लो) के प्रबंधन पर अपने स्तर से विचार और फैसला लेगी. टाटा समूह शेयरहोल्डर होने के नाते सिर्फ एक योजना बनाकर देगी, जिसके आधार पर सभी कंपनियों को काम करना होगा. टाटा समूह के चेयरमैन ने एक बार फिर से दोहराया कि टाटा समूह की कंपनियों में कार्यरत अस्थायी मजदूरों को काम नहीं करने के दौरान भी वेतन देने का वादा किया और इसके तहत सौ बिलियन निचले स्तर के कर्मचारियों तक लाभ पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है. कंपनियों के विकास और नगदी कारोबार को लेकर कई कड़े फैसले लिये जा सकते है ताकि बदलाव को अंगीकृत किया जा सके. कई कंपनियों के कारोबारी बदलाव का भी फैसला लिया जा सकता है, जिसके तहत कई कड़े फैसले भी लिये जा सकते है.

टाटा समूह वेंटिलेटर्स को लेकर सरकार की मदद करेगा
टाटा समूह के चेयरमैन ने बताया कि कोरोना वायरस के संकट में टाटा समूह देश के साथ खड़ा है. भारत सरकार को टाटा समूह ने प हले ही कह चुकी है कि पीपीइ (स्वास्थ्यकर्मियों के लिए जरूरी उपकरण) को उपलब्ध कराने में मदद करेगा जबकि वेंटिलेटरों को बनाने में भी टाटा समूह काफी तेजी से काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि ऑटोमोबाइल सेक्टर की जहां तक बात है तो पैसेंजर कार और व्यवसायिक वाहनों का बाजार पहले से ही काफी मंदी से गुजर रहा था और अभी कोविड-19 के आने के बाद हालात और खराब हो रहे है, जिससे कारोबार पर असर पड़ रहा है. थोड़ा सा अगर कदम उठाया जाये तो इस तरह की कंपनियां आगे आ सकती है. ग्लोबल बिजनेस पर चर्चा करते हुए टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि टाटा स्टील यूरोप और जगवार लैंडरोवर जैसी कंपनियों को बचाने के लिए वहां की सरकारों ने मदद करने का भरोसा दिया है ताकि उद्योग और नौकिरयां बच सके. यह उम्मीद है कि वहां की सरकारें जरूर मदद पहुंचायेगी ताकि नौकरियां और कंपनियां बच सके. उन्होंने बताया कि टाटा समूह 20 हजार करोड़ अपने समूह की कंपनियों के विकास में तीन साल में लगा चुकी है. हाल के वर्षों में टाइटन, ट्रेंट, इंडियन होटल कंपनी और टाटा ग्लोबल बेवरेजेज कंपनी जैसी कंपनियां काफी बेहतर काम की है जबकि टाटा स्टील, टाटा मोटर्स और टाटा पावर जैसी फ्लैगशिप कंपनियां काफी संघर्ष के दौर से गुजर रही है. वैसे उन्होंने कहा कि अब डिजिटल के जरिये कारोबार का जमाना आ चुका है. लोग घुमना नहीं चाहेंगे तो लोग घरों से ही काम करना पसंद करेंगे और डिजिटल तरीके से ही साफगोई के साथ काम करना चाहेंगे. उन्होंने बताया कि आने वाले भविष्य में सेफ्टी, विश्वास और पारदर्शिता ही भविष्य कंपनियों का तय करेगी. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में अब कोरोना के पहले और कोरोना के बाद के हालात की समीक्षा होगी. यह उम्मीद जरूर की जानी चाहिए कि आर्थिक हालात पहले से बेहतर होंगे.

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