

जमशेदपुर : टाटा समूह की पहचान वाली कंपनी टाटा मोटर्स के इतिहास के बारे में काफी कम लोग ही जानते होंगे कि एक बार टाटा मोटर्स का जमशेदपुर प्लांट बंद हो गया था. वर्ष 1945 में टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट की शुरुआत हुई थी. उस वक्त कंपनी का नाम टाटा लोकोमोटिव एंड इंजीनियरिंग कंपनी थी. उस वक्त इस कंपनी ने रेलवे का इंजिन और बायलर्स बनाया जाता था. 1945 में जब कंपनी शुरु हुई थी, तब उसके उत्पादों की डिमांड भारत के साथ ही यूरोपीय देशों में बढ़ने लगी थी. इसके बाद टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में हेवी मशीनों का प्रोडक्शन शुरु हुआ था. इस दौरान आजादी की लड़ाई और तेज हो चुकी थी. चूंकि, टाटा मोटर्स (उस वक्त टेल्को) काफी हेवी मशीनें बनाती थी, इस कारण वहां के कर्मचारी वैसे रखे जाते थे, जिनकी कद काठी काफी बेहतर हो. इस कारण वहां पठान ही रथे जाते थे, लेकिन अचानक से कुछ ऐसी घटनाएं हो गयी कि कंपनी को बंद करना पड़ा. वर्ष 1947 में में जब भारत आजाद हुआ तो भारत के इतिहास में बेहद दर्दनाक वक्त आया. भारत में हिंदू-मुसलिम के बीच दंगा हो गया था. मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान जा रहे थे. इस दौरान ज्यादार पठान जमशेदपुर के टाटा मोटर्स प्लांट को छोड़कर पाकिस्तान के लिए रवाना हो गये थे. इस कारण कंपनी का काम लंबे समय तक बंद हो गया था. उस वक्त कंपनी के एमडी सुमंत मूलगांवकर थे. उन्होंने फिर से नयी टीम तैयार की और फिर से टाटा मोटर्स को जीवित किया. इस कारण सुमंत मूलगांवकर को आज भी याद किया जाता है, जिसके नाम से आज भी टेल्को एरिया में स्टेडियम है.
