जमशेदपुर : टाटा मोटर्स के कनवाई चालकों ने आज टाटा मोटर्स गेट पर टाटा मोटर्स प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाला. जहां इन्होंने टाटा मोटर्स प्रबंधन पर लॉकडाउन की अवधि में कनवाई चालकों को वेतन नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए टाटा मोटर्स प्रबंधन और जिला प्रशासन के खिलाफ आवाज बुलंद की.
प्रदर्शन कर रहे कनवाई चालकों ने बताया कि एक तरफ सरकार कहती है, कि लॉक डाउन की अवधि में किसी मजदूरों का बेतन रुकना नहीं चाहिए, दूसरी तरफ वर्ल्ड क्लास कंपनी टाटा मोटर्स ने अपने कर्मचारियों को और अधिकारियों को वेतन देकर मुंह बंद करा दिया, लेकिन मात्र नौ सौ कनवाई चालकों को पिछले 2 महीने से वेतन से मरहूम रखा. जो दर्शाती है कि टाटा मोटर्स जैसी संस्था गरीब मजदूरों के साथ किस तरह का अत्याचार करती है.
इन्होंने बताया कि जिला प्रशासन से लेकर लेबर कमिश्नर और सरकार तक इन्होंने अपनी फरियाद रखी है, फिर भी कनवाई चालकों को टाटा मोटर्स प्रबंधन की ओर से पिछले 2 महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा है. जिससे उनके समक्ष भूखमरी की स्थिति आन पड़ी है. उन्होंने बताया एक तरफ कनवाई चालक भूख से मर रहे हैं, दूसरी तरफ प्रशासन इन्हें विरोध करने से रोक रही है. उन्होंने प्रशासन पर कंपनी प्रबंधन की तरफदारी करने का आरोप लगाया. वैसे इन्होंने साफ कर दिया कि यह कनवाई चालक धरना प्रदर्शन करने नहीं, बल्कि अपना हक मांगने पहुंचे हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें ऐसा करने से रोक कर अपनी मंशा साफ कर दी है.
फिलहाल टाटा मोटर्स के कनवाई चालक अगले आंदोलन की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. आपको बता दें कि लॉक डाउन लगभग पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. झारखंड सरकार के निर्देश के बाद टाटा मोटर्स प्लांट में एक बार फिर से काम शुरू हो गया है, लेकिन यहां के लगभग नौ सौ कनवाई चालक 2 महीने से बकाया वेतन के भुगतान को लेकर आंदोलित हैं.
टाटा कमिंस में हटाये गये कर्मचारियों ने गेट पर किया हंगामा
टाटा कमिंस गेट पर भी सोमवार को जमकर हंगामा हुआ. दरअसल, कमिंस के करीब 100 से ज्यादा ट्रेनी कर्मचारियों को हटा दिया गया था. इन सारे कर्मचारियों को हटाये जाने के बाद उनको बोला गया था कि वे लोग घर चले जाये. उनको किसी तरह का कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया गया. कंपनी ने मानवता नहीं दिखायी और उनको साफ तौर पर बोल दिया कि वे लोग घर चले जाये. हटाये गये कर्मचारियों में झारखंड, बिहार, बंगाल और ओड़िशा के युवक-युवती है.
इन लोगों को ट्रेनिंग में बहाल किया गया था. उनका पीएफ और इएसआइ सब काटा जा रहा था, लेकिन अचानक से शनिवार को सबको बोल दिया गया कि उन लोगों को काम पर नहीं रखा जा सकता है. उनको बिना किसी सेटलमेंट या लाभ दिये हुए ही सबको हटा दिया गया, जिसके बाद से सारे ट्रेनी कर्मचारी आंदोलन करने की तैयारी कर रहे है.