जमशेदपुर : टाटा स्टील में अब निचले स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों की स्थायी बहाली नहीं होगी. अब ऐसी बहालियां कांट्रैक्ट के आधार पर होगी. इसके तहत टाटा स्टील के ब्लॉक वन को ही समाप्त कर दिया जायेगा. चूंकि, निचले ग्रेड के कर्मचारी ब्लॉक वन में होते है, इसको देखते हुए इस ग्रेड को समाप्त कर दिया गया है. वर्तमान में ट्रेड अप्रेंटिस और डिप्लोमा की ही सीधे तौर पर कंपनी में बहाली होगी. इसके तहत अप्रेंटिस की बहाली ब्लॉक दो के लिए होती है, जबकि डिप्लोमा में ब्लॉक 3 में बहाली होती है. इसकी बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी है. अब तय किया गया है कि कर्मचारियों को कांट्रैक्ट पर ही बहाल किया जायेगा. फुल टर्म कांट्रैक्ट इंप्लायरमेंट शुरू किया जा रहा है. इसके तहत के साल के लिए यह बहाली होगी. (नीचे भी पढ़ें)
छह माह तक सारे कर्मचारियों को ट्रेनिंग के बाद उनको स्थायी तौर पर कांट्रैक्ट के आधार पर बहाल होगा. सिर्फ एक साल के लिए यह बहाली होगी. ऐसे कर्मचारियों का बेसिक वेतन 8000 रुपये, हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) 3 हजार रुपये और वाहन भत्ता प्रतिमाह 1000 रुपये मिलेगा. कर्मचारियों को सालाना बोनस मिलेगा. एनएस 1 ग्रेड के कर्मचारियों के बेसिक से काफी कम होगी. ऐसे कर्मचारियों की पत्नी और 21 साल तक के बच्चों को भी बहाल किया जायेगा. ऐसे कर्मचारियों को भी बहाल किया जायेगा. ऐसे कर्मचारियों को 15 दिनों का प्रीविलेज लीव (पीएल) मिलेगा. पीएल 30 दिनों तक बचाया जा सकता है. ऐसे कर्मचारियों का कांट्रैक्ट समाप्त होने के बाद उसका इनकैश किया जायेगा. इसके अलावा 2 दिन का फेस्टिवल लीव मिलेगा जबकि 5 दिनों का केजुअल लीव मिलेगा. उसी साल ये सारे लोगों को छुट्टी लेना होगा. 6 दिनों का पीएल मिलेगा. 7 दिन का सीक लीव मिलेगा. पेड होलीडे भी मिलेगा. (नीचे भी पढ़ें)
कर्मचारियों को ज्वाइन करने की तिथि से एक साल के लिए उनको नौकरी पर रखा जायेगा. इसके बाद उनको टर्मिनेट कर दिया जायेगा. कांट्रैक्ट वाले को एक माह का नोटिस देना होगा, जिसके बाद ही वे लोग कंपनी को छोड़ सकते है या कंपनी से हटाया जा सकता है. इस तरह की नयी व्यवस्था से कर्मचारियों में गुस्सा है. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु और अन्य लोगों के खिलाफ लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है. इसको लेकर यूनियन ने चुप्पी साध ली है. जाहिर सी बात है कि अगर ऐसी नौकरी शुरू हो गयी तो कर्मचारियों की स्थायी नौकरी समाप्त हो जायेगी. इस मुद्दे पर मैनेजमेंट भी कुछ नहीं कह रहा है. यूनियन ने भी चुप्पी साध ली है. सवाल यूनियन नेतृत्व पर उठ गया है.