
जमशेदपुर : टाटा स्टील एक और बड़ी खरीद और टेकेओवर करने की तैयारी में है. टाटा स्टील की स्वामित्व वाली कंपनी टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड कंपनी ने रोहित फेरो टेक (आरएफटी) कंपनी का अधिग्रहण करने की तैयारी शुरू कर दी है. टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड कंपनी के प्रस्ताव को नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ने मंजूरी दे दी है. लेनदारों की समिति (सिक्योर्ड क्रेडिटर्स कमेटी) ने इनसालवेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत एनसीएलटी ने रोहित फेरो टेक के अधिग्रहण के लिए टाटा स्टील को ही वाजिब कंपनी माना है. टाटा स्टील ने इसकी जानकारी खुद साझा की है और नियामक संस्थानों को टाटा स्टील ने जानकारी दी है कि टाटा स्टील लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वारली कंपनी टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड (टीएसएमएल) को 5 जून 2021 को रोहित फेरो टेक लिमिटेड (आरएफटी) के अधिग्रहण के लिए लेनदारों की समिति द्वारा सफल समाधान आवेदक के रुप में घोषित किया गया है. एनसीएलटी से अनुमोदन समेत तमाम आवश्यक नियामक अनुमोदन प्राप्त करने के लिए भी टाटा स्टील को ही आवेदक के रुप में घोषित किया गया है. टाटा स्टील की कंपनी टीएसएमएल ने आइबीसी के कारपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत रोहित फेरो टेक के लिए एलओआर (लेटर ऑफ इंटरेस्ट) को स्वीकार कर लिया है. आपको बता दें कि रोहित फेरोटेक कंपनी सिक घोषित हो चुकी थी और इसके क्लोजर को लेकर बीआइएफआर में कंपनी प्रबंधन ने प्रस्ताव दे दिया था, जिसके बाद एनसीएलटी का गठन हुआ और सुनवाई शुरू हुई, जिसमें टाटा स्टील की स्वामित्व वाली कंपनी टाटा स्टील माइनिंग लिमिटेड कंपनी ने अपनी दावेदारी पेश की, जिसको मंजूरी दी गयी है.
क्या है रोहित फेरोटेक कंपनी और कहां क्या है उसका कारोबारी संचालन
ररोहित फेरो टेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी फेरो एलॉय मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में काम करती है. वह लौह धातु से जुड़े काम करती थी. वर्ष 2003 से इस कंपनी की स्थापना की गयी थी और पश्चिम बंगाल के विष्णुपुर में 24 हजार टन प्रति वर्ष का उत्पादन करती थी और लगातार हर साल होने वाले विस्तार के बाद प्रति वर्ष अभी 2 लाख 74 हजार 583 मिलियन टन प्रति वर्ष फेरो एलॉय का उत्पादन कर रही थी. कंपनी का अपना कैप्टिव पावर प्लांट जाजपुर में है, जो टाटा स्टील के कलिंगानगर प्लांट से सटा हुआ है. पश्चिम बंगाल के विष्णुपुर में ही स्टेनलस स्टील के निर्माण की कंपनी भी है, जिसकी क्षमता दस लाख टन प्रति वर्ष है. एसके पत्नी नामक प्रोमोटर द्वारा इस कंपनी की स्थापना की गयी थी. इसके अलावा इंडोनेशिया में थर्मल और कोकिंग कोल का माइंस भी है. इसके अलावा ओड़िशा के जाजपुर और पश्चिम बंगाल के ही हल्दिया में भी कंपनी काक प्लांट है. यह हाई कार्बन फेरो क्रोम का उत्पादन करने वाली कंपनी रही है. इसको आइएसओ 9001/2000 से लेकर कई अवार्ड मिल चुका है. वैसे इस कंपनी की स्थापना 1991 में फेरो सिलिकॉन के क्षेत्र में हुआ था. इसके बाद यह कंपनी एक्सपोर्ट भी माल करने लगी थी. कंपनी द्वारा आंध्रप्रदेश के विजिआनगरम में भी फेरो सिलिकटन और फेरो एलॉय की स्थापना कर चुकी है, जहां 23175 टन प्रति वर्ष का उत्पादन होना था. फेरो मैगनीज के क्षेत्र में भी कंपनी ने काफी काम किया है और उत्पादन करती है, जो पश्चिम बंगाल के कल्याणेश्वरी में संचालित है. इसके बाद अंकित मेटल एंड पावर लिमिटेड कंपनी की स्थापना कर कंपनी ने स्पांज आयन, बिलेट कांकास्टिंग और रोलिंग मिल की स्थापना की और 12.5 मेगावाट का कैप्टिव पावर प्लांट की भी स्थापना की. इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट 1 लाख टन प्रति वर्ष का उत्पादन करने लगी. इस कंपनी के पास एक लाख 5 हजार टन प्रति वर्ष का स्पांज आयरन प्लांट, 121890 का बिलेट कास्टिंग प्लांट, 1 लाख का रिरोलिंग मिल, 8.5 मेगावाट का वेस्ट हीट रिकवरी बेस्ट कैप्टिव पावर प्लांट, 4 मेगावाट का कैप्टिव पावर प्लांट और 5.5 मेगावाट का आर्क फर्नेस है, जिसकी क्षमता 12325 मिलियन टन प्रति वर्ष है. इसके सिंगापुर में भी अपना काम कर रही थी जबकि इंडोनेशिया में 5 मिलियन टन कोकिंग कोल और 20 मिलियन टन का थर्मल कोल का उत्पादन यह कंपनी करती है.
टाटा स्टील अभी नये प्लांट स्थापित करने के बजाय टेकओवर पर फोकस कर रही है
टाटा स्टील अपनी योजना में बदलाव की है. इसके तहत कंपनी ब्राउनफील्ड प्रोजेक्ट यानी चालू हालत वाली कंपनी का टेकओवर करने पर ज्यादा फोकस कर रही है. ग्रीनफील्ड प्लांट यानी नये सिरे से कंपनी स्थापित करने का जोखिम लेने की स्थिति में कंपनी नहीं है. यहीं वजह है कि कई सारे टेकओवर कंपनी ने की है. पिछले दिनों ही भूषण स्टील और उषा मार्टिन का टेकओवर कर कंपनी ने नयी भूचाल ला दी थी. इसके बाद से वह कारपोरेट शहंशाह के तौर पर स्थापित हो रही है.