जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों और सुपरवाइजरों को मिलने वाला फरलो लीव बंद होगा. टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने शनिवार को टाटा स्टील के सौ साल पूरे होने पर आयोजित कांक्लेव के उदघाटन के मौके पर इसके साफ संकेत दे दिये. इस दौरान वहां टाटा स्टील के कर्मचारी और अधिकारियों के अलावा यूनियन के तमाम पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों के अलावा कमेटी मेंबर भी मौजूद थे. टाटा वर्कर्स यूनियन में दिये गये टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन के भाषण के दौरान सारे लोग उस वक्त हक्के-बक्के रह गये, जब टाटा स्टील के एमडी ने कहा कि कंपनी में हालात बदलते रहते है. मजदूरों के रोजी-रोजगार की स्थिति और परिस्थितियां बदलती रहती है. पहले कंपनी में फरलो लीव इसलिए दिया जाता था क्योंकि विदेशों के लोग तकनीकी जानकार के तौर पर टाटा स्टील में काम करते थे. कोई यूके, यूएसए, जर्मनी से आकर काम करते थे और उनको वापस भारत से जाने में भी समय लगता था, इस कारण उनको एक साथ छह माह का फरलो लीव मिला करता था, जिसकी आज कोई जरूरत नहीं है. फरलो लीव क्यों मिलना चाहिए. वैसे आपको बता दें कि फरलो लीव को बंद करने को लेकर वर्ष 2014 में ही टाटा स्टील मैनेजमेंट और यूनियन ने सैद्धांतिक तौर पर वेज रिवीजन के बाद के नोट ऑफ कंक्लूजन में इसका उल्लेख कर दिया था. 2014 के वेज रिवीजन समझौता के 11 नंबर क्लाउज में इसका उल्लेख किया गया था. वैसे आपको बता दें कि टाटा स्टील में ऑफिसरों को भी फरलो लीव मिला करता था, जिसको वर्ष 2014 में ही बंद कर दिया गया था. ऑफिसरों का फरलो लीव बंद होने के बाद एक पैकेज दिया गया था, जिसके बाद इसको बंद किया गया था. टाटा स्टील के एमडी के दो टूक के बाद इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है कि फरलो लीव बंद होगा ही तो क्या पैकेज यूनियन दिलायेगी.
क्या है फरलो लीव
टाटा स्टील में सात साल में कुल तीन माह की छुट्टी सुपरवाइजरों और कर्मचारियों को मिलती है. इस 180 दिनों का पूरा वेतन कर्मचारियों को भी दिया जाता है. अगर कोई व्यक्ति आधा वेतन लेकर छुट्टी लेता है तो छह माह तक की छुट्टी दी जा सकती है, अगर कोई व्यक्ति यह लीव नहीं लेता है तो वह इस छुट्टी के बदले पैसा ले सकता है और इसको बेच भी सकता है. इससे कर्मचारियों और सुपरवाइजरों को आर्थिक लाभ होता है, जिसको अब समाप्त करने की बात कहीं गयी है.