जमशेदपुर : टाटा स्टील में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मैनेजमेंट की ओर से कर्मचारियों के कार्य अवधि में बदलाव किया है. इसके तहत 12 घंटे कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी जा रही है जबकि एक दिन काम के बाद उनको दूसरे दिन आराम भी दी जा रही है. लेकिन इसको लेकर कर्मचारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसको सिंटर प्लांट और न्यू बार मिल में लागू किया गया था. लेकिन अब कर्मचारियों ने ही इसका विरोध कर दिया है. सिंटर प्लांट से विरोध के स्वर तेज हुए है. इसको लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष आर रवि प्रसाद से यूनियन के कमेटी मेंबरों और कर्मचारियों ने अपना विरोध दर्ज कराया है, जिसमें इन लोगों ने मांग की है कि तत्काल इस फैसले को वापस लिया जाये क्योंकि 12 घंटे ड्यूटी से काफी परेशानी हो रही है.
21 अगस्त से इसको सिंटर प्लांट में लागू किया गया था. इसके तहत एक शिफ्ट में सुबह 8 बजे से लेकर रात 8 बजे तक का समय था तो दूसरा शिफ्ट रात 8 बजे से लेकर सुबह के आठ बजे तक का समय था. इन लोगों ने शिकायत की है कि 12 घंटे लगातार काम होने से दिमागी और शारीरिक परेशानी दोनों से कर्मचारी जूझ रहे है. इस परेशानी के कारण कर्मचारी सौ फीसदी अपना रिजल्ट नहीं दे पा रहे है. ऑपरेशन और मेंटेनेंस के विभागों में यह परेशानी उत्पन्न हुई है. अध्यक्ष को सौंपे गये ज्ञापन में इन लोगों ने कहा है कि उनको दिमागी और शारीरिक परेशानियों के अलावा निजी जिंदगी में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण वे लोग 12 घंटे कार्य के समय को पहले जैसा घटाकर 8 घंटे कर देने की मांग की है. इस ज्ञापन में सिंटर प्लांट के कमेटी मेंबर मनोरंजन तिवारी, मंजीत सिंह, अशोक कुमार सिंह, अशोक कुमार गुप्ता, सतीश कुमार सिन्हा, विजय कुमार श्रीवास्तव, अजय कुमार, संतोष कुमार पांडेय, पल्लव शर्मा औव अविनाश सिंह ने हस्ताक्षर किये है. दूसरी ओर, 12 घंटे की ड्यूटी के सिस्टम को लागू तो कर दिया गया है, लेकिन दोनों ही विभागों में परेशानियां सामने आ रही है. इस कारण यह संभव है कि मैनेजमेंट इस फैसले को वापस ले लें. हालांकि, अब तक इसको लेकर किसी तरह का कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन संभावना जतायी जा रही है कि इसको लेकर जरूर फैसला वापस हो जायेगा.