जमशेदपुर : टाटा स्टील ने बुधवार को धूमधाम से अपना 114वां स्थापना दिवस मनाया. 113 साल पहले 26 अगस्त, 1907 को टाटा आयरन ऐंड स्टील कंपनी (टिस्को) के रूप में टाटा स्टील को पंजीकृत किया गया था. 1908 में जमशेदपुर वर्ष का नर्माण शुरू हुआ और 16 फरवरी 1912 में स्टील का उत्पादन शुरू हुआ. इस अवसर पर टाटा स्टील के सीईओ व एमडी टी. वी. नरेंद्रन ने कहा, “हम आज यहां हैं, क्योंकि हमारे
पूर्वजों ने हमारे लिए कल का निर्माण किया था. अब कल का निर्माण करने और भावी पीढि़यों के लिए एक विरासत छोड़ने की जिम्मेदारी हम पर है. मैं चाहता हूं कि टाटा स्टील को एक ऐसे संगठन के रूप में
देखा जाए जो एक पथ प्रदर्शक है और सस्टेनेबिलिटी पर ट्रेंड स्थापित कर रहा है.” टाटा स्टील की उत्पत्ति औद्योगिकीकरण के युग में कदम रखने और इस प्रकार, भारत को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाने के लिए जे एन टाटा के प्रयास में निहित है। टाटा समूह के संस्थापक जे एन टाटा के निधन के बाद, उनके बड़े बेटे सर दोराबजी टाटा ने अपने पिता के विजन को साकार करने के लिए पदभार संभाला. सर दोराबजी टाटा ने स्टील और पाॅवर को मजबूत कर ‘विजन आॅफ इंडिया’ को आकार दिया.
उन्होंने पूरे राष्ट्र से भारत में स्टील प्लांट बनाने की भव्य योजना का हिस्सा बनने की अपील की. उन्होंनें 8000 भारतीयों को औद्योगीकिकरण की इस यात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. ’स्वदेशी’ (भारतीय) इकाई के लिए किए गए इस आह्वान को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और तीन सप्ताह के भीतर पूरी राशि जुटा ली गई.
यथोचित उपक्रम के बाद 26 अगस्त 1907 को 2,31,75,000 रुपये की मूल पूंजी के साथ भारत में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को) के रूप में टाटा स्टील को पंजीकृत किया गया. राष्ट्र को गढ़ने में योगदान देने की सोच के साथ टाटा स्टील 113 वर्षों बाद भी राष्ट्र की प्रगति में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार बनी हुई है. कंपनी ने युद्धों, महामारियों और औद्योगिक उतार-चढ़ाव के प्रवाह को सफलतापूर्वक पार किया है, जिसने इसके संकल्प और लचीलापन को और मजबूती दी है. आज जब भारत आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहा है, कंपनी अपनी अंतःस्थापित विकास यात्रा पर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है. अनंत संभावनाओं के साथ भविष्य की कल्पना करने, नया करने और भविष्य बनाने की टाटा स्टील की इच्छा, स्टील से परे देखने, अगली पीढ़ी की तकनीकों को अपनाने और एक अरब से अधिक जीवन पर सार्थक जीवन सकारात्मक प्रभाव डालने के प्रयास में परिलक्षित होती है.