जमशेदपुर : टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए सोमवार 14 जून का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा. टाटा स्टील ने अपने कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा को लेकर दो अलग-अलग समझौता किया. ऐसा समझौता शायद ही किसी कंपनी ने देश में किया होगा. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु, महामंत्री सतीश सिंह और डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश सिंह की तिकड़ी ने इस ऐतिहासिक समझौता पर मुहर लगायी. सोमवार को इस समझौता पर प्रबंधन की ओर से वीपी एचआरएम अतरई सरकार, चीफ ग्रुप एचआरआइआर जुबिन पालिया और चीफ आइआर राहुल दुबे ने किया. इन दोनों समझौता के बाद टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु ने सारे ग्यारह पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी, जिसके बाद सारे कमेटी मेंबरों को यह समझौता कॉपी भी साझा किया. (नीचे देखे समझौता के सारे बिंदू और वीडियो अध्यक्ष संजीव चौधरी और महामंत्री सतीश सिंह का बयान-video)
समझौता-1
टाटा स्टील के कर्मचारियों के बच्चों के रजिस्ट्रेशन करने का नियम यह था कि कोई भी कर्मचारी अगर 25 साल तक की सेवा (ट्यूब डिवीजन में यह नियम दस साल का है) पूरी कर लेता है तो उसके बच्चों का रजिस्ट्रेशन होता है. वर्ष 1970 में ऐसा समझौता हुआ था. करीब 51 साल के बाद सोमवार को यूनियन अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु और उनकी टीम की पहल पर इसका रिव्यू किया गया, जिसमें यूनियन की ओर से दलील दी गयी कि कई कर्मचारी ऐसे है, जिनकी मौत 25 साल की सेवा पूरी करने के पहले ही हो गयी है और उनके बच्चों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाता है जबकि अगर कर्मचारी जीवित रहता तो वह 25 साल तक अपनी सेवा पूरा करता और रजिस्ट्रेशन उनके बच्चों का हो सकता था. ऐसे मौत के केस में कर्मचारियों के बच्चों का रजिस्ट्रेशन करने की छूट दी जानी चाहिए. काफी जद्दोजहद के बाद इस पर मैनेजमेंट राजी हुई और तय हुआ कि अब किसी तरह की मौत अगर कर्मचारी का होता है तो उनके बच्चों (वार्ड) का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा, भले ही कर्मचारी की मौत 25 साल की सेवा के पहली ही क्यों नहीं हो गयी हो. ऐसे में बाद में भी अगर कोई बहाली निकलती है या ट्रेड अप्रेंटिस समेत अन्य तरह की बहाली निकलती है तो उसमें ऐसे दिवंगत कर्मचारी के बच्चे भाग ले सकेंगे और उनका रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. यहीं नहीं सोमवार को यह भी तय हुआ कि इससे पहले टाटा स्टील में जो 500 कर्मचारी के रजिस्ट्रेशन रिलेशन की बहाली के लिए आवेदन आमंत्रित किये गये थे, उसको भी फिर से 15 दिनों के लिए निकाली जायेगी ताकि ऐसे लोग रजिस्ट्रेशन करा लें और वे लोग इस बहाली में भाग ले सके. करीब 51 साल के बाद इस तरह के समझौता का रिव्यू किया गया है. किसी तरह की मौत (कोरोना समेत) पर कर्मचारी के परिजनों का रजिस्ट्रेशन हो सकेगा. यदि कोई कर्मचारी 25 वर्ष की सेवा (ट्यूब डिवीजन के मामले में 10 वर्ष) पूरा करने के बाद उनकी मृत्यु होती है और अपने एक वार्ड को पंजीकृत कर चुका है, तो परिवार के लिए किसी भी सोशल सिक्यूरिटी स्कीम के विस्तार के बाद भी वार्ड का रजिस्ट्रेशन जारी रहना चाहिए. निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार रजिस्टर्ड रिलेशन के रूप में वर्तमान/भविष्य की रिक्तियों के विरुद्ध कंपनी में उपयुक्त रोजगार के लिए वार्ड पर विचार किया जाएगा. कर्मचारी जो 25 साल की सेवा पूरी करने से पहले एक दुर्भाग्यपूर्ण मौत का सामना करते हैं, लेकिन टाटा स्टील के साथ 25 या अधिक वर्षों की सेवा पूरी कर चुके होंगे, सामान्य तौर पर, उनकी सेवानिवृत्ति की अनुमानित आयु तक ऐसे कर्मचारियों के परिवार से मृत कर्मचारी के पात्र एक वार्ड को पंजीकरण करने की अनुमति दी जाएगी. ऐसे रजिस्टर्ड रिलेशन को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार पंजीकृत संबंध के रूप में वर्तमान/भविष्य की रिक्तियों के विरुद्ध कंपनी में उपयुक्त रोजगार के लिए विचार किया जाएगा. (नीचे देखे समझौता के सारे बिंदू और वीडियो अध्यक्ष संजीव चौधरी और महामंत्री सतीश सिंह का बयान-video)
समझौता-2
एक अन्य समझौता भी सोमवार को हुआ. इस समझौता के तहत कोरोना से किसी भी सामान्य कर्मचारी या अधिकारी की मौत हो जाती है तो उनके सर्विस का 60 साल तक मौत के पहले तक मिलने वाले पूरे ग्रॉस सैलेरी (सारा सुविधा जोड़कर) (इंसेंटिव बोनस को छोड़कर) उनके नोमिनी को मिलता रहेगा, जिसके वेतन में हर साल 1000 रुपये प्रतिमाह या दो हजार रुपये प्रतिमाह के हिसाब से उनके ग्रेड के अनुसार बढ़ोत्तरी होगी. इसके अलावा कर्मचारियों के परिजनों को तीन साल तक क्वार्टर रखने का अधिकार होगा. जो कर्मचारी क्वार्टर नहीं रखा होगा, उक्त कर्मचारी के परिजनों को हाउस रेंट एलाउंस वेतन के साथ मिलेगा और अगर तीन साल में कोई परिजन क्वार्टर छोड़ देता है तो उनको मारे गये कर्मचारी के 60 साल तक की सेवा तक हाउस रेंट एलाउंस (एचआरए) मिलता रहेगा. कर्मचारियों की मौत के बाद भी कर्मचारियों के मां-बाप और मेडिकल कार्ड होल्डर को सारी मेडिकल सुविधाएं मिलती रहेगी और उनको रेफर भी दूसरे अस्पतालों में किया जायेगा. रिटायरमेंट का साल 60 साल पूरा भी हो जाता है तो भी उनकी मेडिकल सुविधाएं वैसी ही रहेगी, जैसा जीवित कर्मचारी के परिजनों को मिलता है. कोरोना से मारे गये कर्मचारियों के दो बच्चों को पढ़ाई का खर्च देने का फैसला लिया गया है. इसके तहत एक बच्चे को एक साल में एक लाख रुपये तक की पढ़ाई का सारा खर्च कंपनी वहन करेगी, जो स्नातक तक कंपनी देगी, जिसका बिल देना होगा, जिसके बदले कर्मचारी उनके एकाउंट में पैसा भेजेगी. दो बच्चे अगर है तो दो लाख रुपये तक का पढ़ाई का खर्च कंपनी उठायेगी. अगर कर्मचारी क्वार्टर छोड़ता है और देश के किसी भी हिस्से में जाना चाहता है तो मारे गये परिवार को आने जाने के लिए 50 हजार रुपये का खर्च भी कंपनी देगी. इसके अलावा मारे गये कर्मचारी के परिजनों को सात लाख रुपये तक का लाइफ कवर स्कीम भी देगी, जो अभी मिलता है जबकि सेटलमेंट का पेमेंट भी तत्काल कर दिया जायेगा. इसके अलावा मारे गये कर्मचारी को टाटा स्टील इंप्लाइज फैमिली बेनीफिट स्कीम के तहत सारे कर्मचारियों के वेतन से होने वाली कटौती की राशि (लगभग 16 लाख) तक कर्मचारी के परिजनों को मिलेगी. (नीचे देखे समझौता के सारे बिंदू और वीडियो अध्यक्ष संजीव चौधरी और महामंत्री सतीश सिंह का बयान-video)
समझौता-3
कर्मचारी के लिए एक नया ऑफर भी कंपनी ने लाया है. इसके तहत मारे गये कर्मचारियों के परिजनों को पैसे देने के लिए फैमिली बेनीफिट स्कीम के तहत एक कर्मचारी के वेतन से प्रत्येक मौत पर 50 रुपये की कटौती होती है. अगर कोई कर्मचारी चाहता है कि स्वेच्छा से सौ रुपये या उससे भी कटवाकर देना चाहता है तो वह चाहे तो लिखकर भी दे सकता है. दूसरी ओर, टाटा वर्कर्स यूनियन के कोषाध्यक्ष हरिशंकर सिंह ने कहा है कि टाटा स्टील मैनेजमेंट ने यह साबित कर दिया कि वह एम्पलाई के जिंदगी के साथ है एवं जिंदगी के बाद भी हैं आज लागू किया गया कोविड-19 फैमिली प्रोटेक्शन स्कीम इस बात को चरितार्थ करता है भगवान ना करे कि किसी को यह स्कीम लेने की जरूरत पड़े लेकिन जीन 114 कर्मचारियों की मृत्यु हुई है उसकी परिवार का चिंता अब कंपनी की है यह कंपनी ने साबित कर दिया है आज टाटा वर्कर्स यूनियन के टॉप 3 ने 50 वर्ष पूर्व रजिस्ट्रेशन के शर्तों को तब्दील करके एंपलाई हित में एक बहुत ही सराहनीय कार्य किया है इसके लिए वे साधुवाद के पात्र हैं.