जमशेदपुर : टाटा स्टील के ‘रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट’(आरएंडडी) डिपार्टमेंट की स्थापना 14 सितंबर, 1937 को हुई थी. ‘आरएंडडी’ भवन का उद्घाटन टाटा स्टील के तत्कालीन चेयरमैन सर नौरोजी सकलतवाला ने किया था. यह भारत में किसी प्रतिष्ठान का पहला अपना ‘आरएंडडी’ डिवीजन था. इस डिवीजन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य लागत को कम करना और कंपनी के उत्पादन में वृद्धि करना था. ‘आरएंडडी’ भवन को दक्षता, लचीलापन और सुविधा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. काम का एक सीधा प्रवाह प्रदान करने के लिए कमरों को अच्छी तरह से तैयार किए गए थे और ये चौड़े गलियारों से जुड़े हुए थे. रखरखाव में आसानी के लिए और दीवारों को पाइपिंग और केबलिंग से मुक्त रखने के लिए गैस, पानी, बिजली और वैक्यूम सहित सभी सुविधाओं की आपूर्ति फर्श के नीचे से गुजरने वाले एक डक्ट के माध्यम से की गई थी. अर्गोनॉमिक्स, लाइटिंग और वेंटिलेशन के मामले में सुरक्षित और स्वस्थ कामकाजी माहौल सुनिश्चित करने पर विशेष ध्यान दिया गया था. टेबल और बेंच को तकनीशियनों की सुविधा के अनुसार और अनावश्यक मूवमेंट से बचने के लिए डिजाइन किया गया था. ‘फ्यूम एक्सट्रैक्शन’ सिस्टम विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हुड के साथ स्थापित किए गए थे. रासायनिक प्रयोगशालाओं में धुएं के कारण होने वाले जंग से बचने के लिए स्विचबोर्ड्स को गलियारों में लगाया गया था. एसिड के छींटे या इसी तरह की घटनाओं के मामले में सुरक्षा के लिए कई आपातकालीन शावर भी लगाए गए थे. इसके शुरुआती उत्पादों में से एक, जो इसकी प्रतिभा की गवाही देता है, वह है लो अलॉय स्ट्रक्चरल स्टील ’टिस्क्रोम’, जिसका इस्तेमाल कोलकाता में प्रसिद्ध हावड़ा ब्रिज के निर्माण के लिए किया गया था. टाटा स्टील ने मालवाहक कारों, जहाजों, ट्रामों और अन्य वाहनों में इस्तेमाल होने वाला एक उच्च शक्ति का स्ट्रक्चरल स्टील ’टिस्कोर’ भी विकसित किया. ’टाटानगर’ बख़्तरबंद (आर्मर्ड) कार का उत्पादन इसकी एक और उपलब्धि थी, जिसमें एलॉय स्टील और सिलिकॉन की विशेष गुणवत्ता वाली चादरें और बुलेट-प्रूफ कवच प्लेटें लगी हुई थीं. यह बख़्तरबंद कार पहली और एकमात्र भारतीय निर्मित बख़्तरबंद कार है, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अफ्रीका के पश्चिमी रेगिस्तान में धुरी शक्तियों से लड़ाई की थी.
नये कंट्रोल ऐंड रिसर्च लैबोरेटोरी को निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए डिजाइन किया गया था -ः (नीचे पूरी खबर पढ़ें)
- चयन या जांच के उद्देश्य से विश्लेषणात्मक और रासायनिक समस्याओं वाले कच्चे माल को नियंत्रित करना.
- स्टील प्लांट के अंदर किए जा रहे सभी मेटलर्जिकल परिचालनों का अध्ययन, निरीक्षण और पर्यवेक्षण करना.
- विशेष लोहा और स्टील के गुण-धर्मों की जांच करना.
- रिफ्रैक्ट्री की सामग्रियों और जंग की समस्याओं का विश्लेषण करना.
- नये स्टील और सभी प्रकार के नये उत्पादों का विकास करना.
- ईंधन प्रयोगशाला.