जमशेदपुर : टाटा स्टील फ़ाउंडेशन द्वारा आयोजित पांच दिवसीय अखिल भारतीय आदिवासी सम्मेलन संवाद 2020 का समापन हुआ. कोविड 19 के कारण पहली बार ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित यह कार्यक्रम काफी अनुठा, रोचक, जानकारी से परिपूर्ण और चिकित्सा की पुरानी पद्धति, आदिवासी जनजातियों के विकास की परिचर्चा पर आधारित रहा. दुनिया भर के आदिवासी, जनजातियों ने इन पांच दिनों में वर्चुअल प्लेटफॉर्म से एक दूसरे की संस्कृति व विचारों का आदान प्रदान किया, दूरी को पाट दिया. डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रतिनिधियों के जोश और संवाद के असर को कम होने नहीं दिया. इस साल 23 राज्यों, 5 केंद्र शासित प्रदेशों और 17 देशों की 114 जनजातियों के 3,000 से अधिक लोगों ने संवाद में हिस्सा लिये. इनमें श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, नेपाल, केन्या, फिलीपींस, थाईलैंड और तंजानिया शामिल हैं. संवाद का म्यूजिकल कलेक्टिव रिदम ऑफ द अर्थ की एक संगीतमय शाम दर्शकों को एक मधुर यात्रा में ले जाने में सफल रही. मौके पर लोक रॉक बैंड अतृप्त के सहयोग से आरओटीई द्वारा रचित की दो कम्पोजिशन भी जारी की गयी. पहला गीत एकता दी पॉवर उस ताकत की बात करता है, जिसे आदिवासी समुदाय अपनी एकता से प्राप्त करते हैं. दूसरा गीत अनसुनी कहानियां आदिवासी भूमि से साहस की उन अनसुनी कहानियों के बारे में जानकारी देती है जिन्हें दुनिया ने अभी नहीं जाना है.
इसके अलावा, अपने आधुनिक नागपुरी गीतों के लिए प्रसिद्ध संगीत बैंड सलेम ने भी इस अवसर पर प्रस्तुति दी. इस वर्ष विभिन्न जनजाति से छह फेलोशिप दिया गया. वहीं इस वर्ष 20 राज्यों से 103 पात्र आवेदन मिले. पिछले वर्ष प्राप्त आवेदनों की तुलना में दोगुने से अधिक हैं. जिनका मूल्यांकन जूरी द्वारा किया जा रहा है. इसके तहत गढ़िया लोहार जनजाति की दीपा पवार को गढ़िया लोहार की पारंपरिक कला और लोहे के हथियार बनाने के दस्तावेजीकरण पर परियोजना के लिए, वान गुर्जर जनजाति से तौकीर आलम को वान गुज्जर की भाषा के संरक्षण की एक पहल ‘मारी बिरसा (हमारी विरासत)’ पर परियोजना के लिए, कादर जनजाति से बिबथा एस को कादर समुदाय की सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत के दस्तावेजीकरण पर परियोजना के लिए, बियात जनजाति से लालरेम्रुआता नमलाई को बियात देसी खेल के दस्तावेज़ीकरण और जनजाति के सांस्कृतिक पुनरुद्धार और संरक्षण में इसकी भूमिका पर परियोजना के लिए, संगताम जनजाति से अरिबा अनार को संगताम जनजाति के लोक गीतों और लोक संगीतों के पुनरुत्थान पर परियोजना के लिए, पुमई नागा जनजाति से के बोवांग खो को ने रिक्लेम द पास्ट ऐंड इम्पॉवर द प्रेजेंट पाउली (ओनाइम का घड़ा) पर परियोजना के लिए स्कॉलरशिप दिया गया. सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों और आदिवासी नेतृत्वकर्ताओं ने चर्चा की कि चुनौतियों से भरे इस समय के दौरान शासन का पारंपरिक मॉडलों ने इतने प्रभावकारी तरीके से किस प्रकार काम किया. चर्चा में समुदायों को साथ लाने के लिए शासन के अभिनव तरीकों और संकट का हल करने में समानांतर शासन प्रणालियों के बीच समन्वय को समझने का प्रयास किया गया. भारत के आठ राज्यों में 23 स्थानों पर स्क्रीनिंग आयोजित की गयी.
इन स्क्रीनिंग को विशेष रूप से ग्रामीण आदिवासी बस्तियों में सुविधाजनक बनाया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अधिक से अधिक लोगों को सम्मेलन में शामिल होने का अवसर मिले. टाटा स्टील के चीफ कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी सौरव रॉय ने कहा कि इस खोज में हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि संकट काल के बावजूद बातचीत जारी रहे. हम यह भी चाहते थे कि जमशेदपुर के लोग, जो इस सम्मेलन के लिए तत्पर हैं. वे इस वर्ष इसे मिस नहीं करें. बातचीत जारी रखने में कामयाब हुए और काफी दूर-दराज के स्थानों के विशेषज्ञ और आदिवासी नेतृत्वकर्ता हमसे जुड़े. सौरव रॉय ने संवाद 2020 की सफलता के लिए सभी का आभार व्यक्त किया. संवाद की विभिन्न शाखाओं ने आदिवासी हस्तकला, आदिवासी फिल्म प्रदर्शन, आदिवासी व्यंजन और विभिन्न जनजातियों के सांस्कृतिक का प्रदर्शन किया. पारंपरिक प्रथाओं, अभ्यासों और समृद्ध विरासत को अपने यूट्यूब चैनल के माध्यम से आम जनता तक पहुंचाया गया. कला प्रेमियों व उत्साही लोगों को उरांव, सोहराई, सौरा, गोंड, वारली और रजवार कला रूपों पर आयोजित मास्टरक्लास में हिस्सा लेने का मौका मिला, जिन्हें प्रख्यात आदिवासी कारीगरों द्वारा होस्ट किया गया था. संवाद के प्रत्येक दिन का समापन मणिपुर के गुरु रेवाबेन जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों और नागालैंड के टेटसो सिस्टर्स और गालो, सिद्धी, डंडामी मादिया, भूमिज व अन्य की जनजातियों के सांस्कृतिक समूहों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन के साथ हुआ.