जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आयोजित अपनी तरह का एक अनूठा अखिल भारतीय जनजातीय सम्मेलन ‘संवाद’ का आठवां संस्करण आज संपन्न हो गया. देश भर के आदिवासी समुदाय इस सम्मेलन में एकजुट हुए. ‘संवाद 2021’ ने जमशेदपुर में 187 उत्कृष्ट आदिवासी कलाकारों, घरेलू रसोइयों, वैद्यों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं और नेतृत्वकर्ताओं के साथ-साथ 25 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों में 87 भिन्न-भिन्न आदिवासी समुदायों के 4,000 से अधिक महिलाओं, पुरुषों और बच्चों को एक मंच पर एकजुट किया। इनमें से कई ब्रिजिटल फॉर्मेट में ऑनलाइन हिस्सा लिया. अंतिम दिन वर्ष 2021 के लिए संवाद फेलोशिप की घोषणा की गई. संवाद फेलोशिप क्रिटिकल गैप फंडिंग प्रदान करती है और अपने फेलो को बेहतर इनपुट प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्लेटफॉर्म देने की दिशा में भी काम करता है.
समापन के दिन शानदार जनजातीय व्यंजनों में भूमिज जनजाति (ओडिशा) के संध्या बड़ाइक और सिंघो माझी द्वारा तैयार हंडुआ और सकाम्पिता, जेनुकुरुम्बा जनजाति (कर्नाटक) से शंकरा और रागिनी द्वारा तैयार रागी मुड्डू और चिकन सांभर और खड़िया जनजाति (झारखंड) की दया मंजुला बिलुंग द्वारा तैयार रागी मालपोवा जैसे लजीज व्यंजन शामिल थे. आज का हीलर सेशन मुख्य रूप से राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित हीलर एसोसिएशन के गठन के लिए रोडमैप विकसित करने पर केंद्रित था. सोसाइटी के पंजीकरण अधिनियम के तहत एसोसिएशन के पंजीकरण के संबंध में सहमति बनी और हीलर एसोसिएशन की सदस्यता की संरचना का निर्णय लिया गया. इस वर्ष कुल 208 जनजातीय चिकित्सक ऑनलाइन उपस्थित थे, जबकि 22 शारीरिक रूप से कार्यक्रम में हिस्सा लिया. अंतिम दिन परिचर्चा का विषय “पुनर्कल्पना किसे करनी चाहिए?” था। चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि लोगों को अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपने डर और अन्य बाधाओं से कैसे बाहर आना चाहिए. यह सत्र ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन भी आयोजित किया गया. सौरव राय, चीफ, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, टाटा स्टील ने कहा, ’’समुदायों ने हम पर भरोसा जताया है, इससे मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं और उनका यही वह विश्वास है, जिसने संवाद के आठवें संस्करण को सक्षम किया है. ‘संवाद’ के माध्यम से हम उन आकांक्षाओं को सुना और समझा, जिन्हें चुनौतियों को बावजूद समुदायों को एक पड़ाव से दूसरे पड़ाव तक ले जाने का काम जारी रखना है. हम प्रतिभागियों और दर्शकों का आभार व्यक्त करते हैं, जो शारीरिक रूप से और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुनिया के कोने-कोने से जुड़े और इस सम्मेलन को सफल बनाने में हमारी मदद की.’ (नीचे पूरी खबर देेेखे)
इन वर्षों के दौरान संवाद इकोसिस्टम ने पिछले छह वर्षों में भारत के 27 राज्यों और 18 देशों में 117 जनजातियों के 30,000 से अधिक लोगों को एक साथ लाया है, और यह एक ऐसी घटना भी है, जिसका जमशेदपुर के नागरिक हर साल उत्सुकता से इंतजार करते हैं. संवाद आदिवासी समुदायों को उन मुद्दों पर चर्चा शुरू करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करता है जो उनके सामाजिक अस्तित्व और विकास को नियंत्रित करते हैं. बड़ी संख्या में जमशेदपुर के नागरिकों ने भी जोमैटो के माध्यम से आर्डर देकर आदिवासी समुदायों के पारंपरिक व्यंजनों से कुछ शानदार भोजन का आनंद लिया. (नीचे पूरी खबर देेेखे)
इस वर्ष, निम्नांकित व्यक्तियों को फेलोशिप से सम्मानित किया गया :
1. अमाबेल सुसंगी (मेघालय की खासी जनजाति की 26 वर्षीय महिला) : अमाबोली पनार उप-जनजाति से है। उनके प्रोजेक्ट में “म्यूजिकल नोटेशंस का दस्तावेजीकरण और अभिभावकों व परिवारों के लिए खासी व अंग्रेजी भाषाओं में खासी जनजाति की लोरियों का प्रचार-प्रसार करना’ शामिल है। (नीचे पूरी खबर देेेखे)
- प्रमोद बाजीराव काले (महाराष्ट्र के चरण पारधी जनजाति के 31 वर्षीय पुरुष) : उनका इरादा, अपने शोध के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य में स्थित पारधी जनजाति की भाषा को बढ़ावा देना और भाषा के अध्ययन के माध्यम से समाज के विकास में मदद करना है।
- मकास बाबिसन (मणिपुर से चोथे जनजाति के 25 वर्षीय पुरुष) : उनका विचार चोथे देसी व्यंजनों को इसकी प्रथागत प्रासंगिकता के साथ दस्तावेजीकरण और संरक्षण की दिशा में काम करना है।
- डॉ डेविड हैनेंग (नागालैंड से कुकी जनजाति के 32 वर्षीय पुरुष) : वे नागालैंड की कुकी जनजाति की लोक कथाओं को एक पुस्तक के रूप में दस्तावेज कर संरक्षित करना चाहते हैं।
- आमना खातून (उत्तराखंड की वन गुज्जर जनजाति की 30 वर्षीय महिला) : उनके शोध का क्षेत्र बदलते समय में वन गुज्जरों के खानाबदोश जीवन पर केंद्रित है। इसमें वन गुज्जर महिलाओं की निगाह से स्वदेशी ज्ञान, संस्कृति परंपराओं और अनुभवों को देखने वाली सामुदायिक महिलाओं की कहानियांं का समावेश भी है।
- अनुरंजन किड़ो (झारखंड की खरिया जनजाति के 26 वर्षीय पुरुष) : उनका प्रोजेक्ट आइडिया “डिजिटल माध्यम से खड़िया लोक गीत और लोक कथाओं का दस्तावेजीकरण और संरक्षण“ पर केंद्रित है।
- टोकालो लीलाधर (तेलंगाना से चेंचू जनजाति के 27 वर्षीय पुरुष) : उनकी खोज है कि “हमारे भोजन को पहचानें; हमारे पूर्वज क्या हैं, और यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी जड़ों की ओर वापस जाएं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इनका सेवन करें और स्वस्थ जीवन जियें।’’
- कुवेथिलु थुलो (नागालैंड से चाकेसांग जनजाति की 26 वर्षीय महिला) : उनके प्रोजेक्ट विचार “नागालैंड के फेक अंतर्गत फुसाचोडु गांव में ‘मेरिट मोनोलिथ के पर्व का संरक्षण“ पर केंद्रित है।
संवाद फेलोशिप-2017 में संवाद इकोसिस्टम के तहत सृजित एक पहल है, जो इस इकोसिस्टम के एक मुख्य व मूल उद्देश्य ‘दस्तावेजीकरण’ के माध्यम से विलुप्तप्राय ज्ञान और वैश्विक दृष्टिकोण के एक मूर्त रूप को संरक्षित करना है। फेलोशिप उन पहलों/विचारों का समर्थन करता है, जो आदिवासी संस्कृतियों से किसी कम ज्ञात स्वदेसी प्रथाओं व अभ्यासों के संरक्षण की दिशा हैं, जो कमजोर हैं और किसी बड़ी संरक्षण पहल या प्रयास का हिस्सा नहीं हैं और इस प्रकार उनके विलुप्त होने का खतरा है। उनके विलुप्त होने का मतलब उस विशेष समुदाय की विशिष्ट पहचान का नुकसान, और इस प्रकार हमारे देश की संस्कृतियों के असंख्य मिश्रण की सुंदर विविधता के एक हिस्से का नुकसान होगा। सांस्कृतिक विचारों की विविधता के साथ इसकी यात्रा बेहद रोमांचक रही है। फेलोशिप इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए कुछ प्रारंभिक वित्तीय सहायता और सलाह प्रदान करता है।