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tata-steel-new-business-टाटा स्टील ने इंडिया इनोवेशन सेंटर फॉर ग्राफीन स्थापित करने के लिए सी-मेट त्रिशूर एवं डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल के साथ एमओयू पर किया हस्ताक्षर, आईआईसीजी से ग्रैफिन प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित करने की कल्पना

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जमशेदपुर : टाटा स्टील ने एक नेशनल ‘इंडिया इनोवेशन सेंटर फॉर ग्राफीन’ (आईआईसीजी)‘, जो कि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) तथा केरल सरकार द्वारा वित्त पोषित है, को स्थापित करने के लिए सी-मेट त्रिशूर, जो कि एमईआईटीवाई, भारत सरकार की एक स्वायत्त सोसाइटी है तथा डिजिटल यूनिवर्सिटी केरल के साथ हाथ मिलाया है. आईआईसीजी की परिकल्पना उद्योग, अकादमिक संस्थानों और स्टार्टअप के साथ काम करने वाले सामाजिक रूप से प्रासंगिक उत्पादों और अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देने के साथ सफल गैफिन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने तथा उनके रूपांतरण शोध को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है. टाटा स्टील औद्योगिक जरूरतों की पहचान करने, अनुप्रयोग विकास में भाग लेने, विस्तार करने और चयनित प्रौद्योगिकियों के लिए बाजार में जाने की रणनीति विकसित करने में सेंटर की सहायता करेगी. कंपनी सेंटर के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. टााट स्टील न्यू मैटेरियल बिजनेस के वीपी डॉ देबाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि टाटा स्टील के न्यू मैटेरियल्स बिजनेस (‘एनएमबी’) डिवीजन की स्थापना सामाजिक रूप से प्रासंगिक नई सामग्रियों में व्यवसायों को स्थापित एवं उन्हें बढ़ाते हुए कंपनी के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र को भविष्य के लिए तैयार करने की दृष्टि से की गई थी. मैटेरियल्स एवं बाजार में टाटा स्टील के मजबूत ज्ञान आधार, सामग्री अनुसंधान और विकास में निवेश तथा व्यवसायों को बढ़ाने की क्षमता के साथ, हम अनुसंधान विचारों को बाजार के लिए तैयार उत्पादों में तेजी से रूपांतरित करने में सक्षम होंगे. डिजिटल यूनिवर्सिटी ऑफ केरल एवं सी-मेट के साथ, हम विवेकशील ग्राहकों को विश्व स्तरीय गुणवत्ता वाले उत्पाद एवं समाधान प्रदान करेंगे. आईआईसीजी के जरिए सरकार द्वारा प्रदत्त मंच पर उद्योग-अकादमिक साझेदारी ग्रैफिन प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक विकसित करने के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने तथा इनोवेशन और उद्यमिता की संस्कृति को सक्षम करने में मदद मिलेगी. डॉ. भट्टाचार्जी, ने कहा, “मेरा मानना है कि यह सेंटर एक फोर्स मल्टीप्लायर के रूप में काम करते हुए उद्योग, अकादमिक संस्थानों एवं स्टार्ट-अप्स को एक सहयोगी ढांचे के तहत तेजी से लाते हुए ग्रैफिन की पूरी क्षमता का उपयोग करनेवाले कई उत्पादों और समाधानों को तेजी से बाजार में ला सकेगा. यह प्रयास डिजाइन चुनौतियों, आउटरीच कार्यक्रमों और इंक्यूबेशन ग्रांट्स के माध्यम से नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने में मदद करेगा. हम इस सहयोगी इनोवेशन पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम करने को लेकर उत्साहित हैं. कामेश गुप्ता, चीफ (ग्रैफिन बिजनेस, मेडिकल मैटेरियल्स, इनोवेंचर एंड इनोवेशन), टाटा स्टील, ने कहा कि यह सेंटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध ग्रैफिन अनुसंधान समुदाय को आकर्षित करेगा, सहयोग के माध्यम से वैज्ञानिक विकास एवं औद्योगिक तैनाती के बीच की खाई को पाटेगा. सेंटर आरएंडडी पर ध्यान केंद्रित करते हुए इनोवेशन और मानव क्षमता निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा, स्वदेशी प्रौद्योगिकी, उत्पाद, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) विकसित करेगा तथा उभरते 2 डी सामग्री क्षेत्रों में समृद्ध बुद्धि कार्यबल भी विकसित करेगा. यह युवा शोधार्थियों और स्टार्टअप को इंक्यूबेशन और गतिवर्धन के अवसरों के साथ मेंटरशिप भी प्रदान करेगा. टाटा स्टील में, एडवांस मैटेरियल्स में शोध करना एक सक्रिय प्रक्रिया है. कंपनी ने 2016 में, ग्रैफिन पहल शुरू की थी, जो न्यू मैटेरियल्स बिजनेस डिवीजन के खुलने, ग्रैफिन, कंपोजिट और सिरेमिक पर ध्यान केंद्रित करने के साथ स्टील एवं मैटेरियल्स बिजनेस में टेक्नोलॉजी लीडर बनने की यात्रा थी. वित्त वर्ष 2020-21 में, टाटा स्टील ने 100 टन प्रति वर्ष एकीकृत ग्रैफीन विनिर्माण संयंत्र चालू किया, जो दुनिया की कुछ बड़ी सिंगल-यूनिट ग्रैफिन उत्पादन फैसिलिटीज में से एक है. ग्रैफिन-डॉप्ड उत्पाद एवं ग्रैफेन-कोटेड उत्पाद जिनका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है जैसे मैटेरिय्स हैंडलिंग, टेक्सटाइल्स और पैकेजिंग, जिनका वर्तमान में परीक्षण किया जा रहा है और वे व्यावसायीकरण के विभिन्न चरणों में हैं.

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