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tata-workers-union-टाटा वर्कर्स यूनियन को एक बार फिर से ”अस्थिर” करने की कोशिश, रजिस्टर बी में संजीव चौधरी टुन्नु और सतीश सिंह की नयी कमेटी को जगह देने को झारखंड हाईकोर्ट में फिर दी गयी चुनौती, मुश्किल में पड़ सकती है टाटा वर्कर्स यूनियन, जानें क्या है मामला

राशिफल

टाटा वर्कर्स यूनियन की निर्वाचित पूरी कमेटी.

जमशेदपुर : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन को एक बार फिर से अस्थिर करने की कोशिश की गयी है. यूनियन के ही कमेटी मेंबर रहे अनिल सिंह ने टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव को अवैध करार देते हुए ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा यूनियन की नयी कमेटी के नाम को रजिस्टर बी में दर्ज करने की कार्रवाई को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है. हाईकोर्ट में अनिल सिंह ने याचिका दाखिल कर यह मांग की है कि वर्तमान की 11 पदाधिकारियों और 214 कमेटी मेंबरों के नाम जो रजिस्टर बी में दर्ज किया गया है, उसको खारिज कर दिया जाये क्योंकि गलत तरीके से चुनाव हुआ था. इस चुनाव को खारिज करते हुए नये सिरे से चुनाव कराने की भी मांग की गयी है. इस याचिका में श्रम विभाग, ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, टाटा स्टील प्रबंधन, टाटा वर्कर्स यूनियन समेत कई लोगों को आरोपी (पार्टी) बनाया गया है. आपको बता दें कि 11 जून 2021 को करीब दो दिनों तक चली सुनवाई के बाद तीसरे दिन अंतिम सुनवाई के बाद श्रमायुक्त सह ट्रेड यूनियन के रजिस्ट्रार एसएस पाठक की ओर से फैसला सुनाया गया था और इसको लेकर दायर याचिका सह शिकायत को गलत पाया गया था और आवेदन को खारिज कर दिया था. शिकायत को खारिज करने के साथ ही टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी समेत तमाम 11 पदाधिकारियों और 214 कमेटी मेंबरों के चुनाव को सही मानते हुए रजिस्टर बी में भी दर्ज कर लिया गया था. बताया जाता है कि उस दौरान टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु और महामंत्री सतीश सिंह की जोड़ी ने रांची में तीन दिनों तक कैंप कर जितनी भी शिकायतें चुनाव को लेकर दायर किया गया था, वे सारे शिकायतों के काट में दस्तावेजी प्रमाण इन दोनों द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसके बाद चुनाव को श्रम विभाग ने सही माना था और इसको मान्यता देते हुए रजिस्टर बी में चुनाव में चुने गये पदाधिकारियों के नाम को दर्ज कर लिया था. आपको बता दें कि रजिस्टर बी में दर्ज होना चुने गये यूनियन के लिए अनिवार्य होता है और यह एक तरह से श्रम विभाग की मंजूरी के समान होता है. (नीचे देखिये कैसे बढ़ सकती है यूनियन की मुश्किलें पूरी खबर)

रजिस्टर बी में नाम दर्ज होने के बाद प्रमाण पत्र देते रजिस्ट्रार, ट्रेड यूनियन

टाटा वर्कर्स यूनियन को अस्थिर करने की साजिश कौन रच रहा है ?
टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन की ऐतिहासिक पृष्टभूमि रही है. इसकी स्थिरता कंपनी की स्थिरता पर निर्भर करती है, यहीं वजह है कि प्रबंधन भी यूनियन को साथ लेकर चलती आयी है और दुनिया में वर्किंग टूगेदर की परिपाटी टाटा स्टील की ही जानी चाती है, लेकिन जब से टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु और उनकी टीम ने यूनियन को संभाला है, तब से ही इसको अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही है. इससे पहले भी चुनाव को अवैध करार देने को लेकर अनिल कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह और जे आदिनारायण जैसे कमेटी मेंबरों ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार से लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वह भी जब दरकिनार हो गया तो एक बार फिर से यूनियन को अस्थिर करने की कोशिश तेज की गयी है, जिससे जोड़कर इस केस को देखा जा रहा है.
क्या है पूरा मामला

टाटा वर्कर्स यूनियन का चुनाव करीब एक साल पहले हुआ था. यूनियन के पूर्व सहायक सचिव जे आदिनारायण, अनिल कुमार सिंह और सुनील कुमार सिंह ने चुनाव की निष्पक्षता को लेकर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार से शिकायत दर्ज कराई थी. उप श्रमायुक्त राजेश प्रसाद ने शिकायतों की जांच कर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को सौंप दिया था. ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने 9 जून 2021 से लेकर 11 जून 2021 के बीच दो दिनों तक लगातार शिकायतकर्ताओं को और एक दिन अध्यक्ष तथा महामंत्री को पक्ष रखने के लिए तलब किया था. दो दिनों तक लगातार सुनवाई हुई और 11 जून 2021 को अंतिम सुनवाई हुई थी. हालांकि चुनाव के दौरान रजिस्ट्रार ने खुद यूनियन अध्यक्ष व चुनाव पदाधिकारी को निर्देश दिया था कि आपत्तियों का निपटारा कर ही चुनाव कराएं. उस दौरान चुनाव पदाधिकारी ने डीएलसी को जवाब सौंपते हुए यह कहा था कि चुनाव रोकने का अधिकार उनके पास नहीं है. वहीं चुनाव पदाधिकारी के जवाब पर डीएलसी ने शिकायतकर्ताओं से उनका पक्ष लिया जिसमें उन्होंने बिना आपत्तियों के निष्पादन के चुनाव कराने की अपनी शिकायत को दोहराया व चुनाव पदाधिकारी के जवाब पर असंतोष जताया था. इस वजह से चुनाव के करीब छह माह बीत जाने के बाद भी यूनियन के कमेटी को रजिस्टर बी में दर्ज नहीं हो सका था. बाद में ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार ने 11 जून 2021 को रजिस्टर बी में दर्ज किया था. (नीचे देखिये कैसे बढ़ सकती है यूनियन की मुश्किलें पूरी खबर)

झारखंड हाईकोर्ट पर अब सबकी नजर, केस पेंडिंग है
टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव की वैधता को लेकर अभी हाईकोर्ट का चक्कर भी है. ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार और डीएलसी को चुनाव की वैधता को लेकर की गयी शिकायत के साथ ही हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की गयी है. इसके तहत कर्मचारी सुनील कुमार सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 19 मार्च 2021 को ही एक याचिका दायर की गयी है, जिसकी सुनवाई अभी पेंडिंग है. इसमें ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, श्रमायुक्त, टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष और निर्वाची पदाधिकारी संतोष कुमार सिंह को पार्टी बनाया गया है. इसकी सुनवाई हाईकोर्ट में पहले जस्टिस आनंद सेन कर रहे थे, लेकिन चूंकि वे टाटा स्टील और टाटा वर्कर्स यूनियन से संबंधित कई केस अधिवक्ता रहते हुए जस्टिस आनंद सेन देख रहे थे, इस कारण उन्होंने इस केस में सुनवाई से इनकार करते हुए चीफ जस्टिस को केस रेफर कर दिया था. इसके बाद अब अनिल सिंह ने भी एक याचिक हाईकोर्ट में दायर कर दी है. इन दो मामलों के बाद यूनियन मुश्किलों में घिरता नजर आ रहा है.

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