
रांची : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन के संजीव चौधरी टुन्नु और सतीश सिंह समेत पूरी टीम को चुनने वाले चुनाव को दी गयी चुनौती के मामले में बुधवार को भी सुनवाई हुई. मंगलवार को शिकायतकर्ता कमेटी मेंबर जे आदिनारायण की सुनवाई हुई थी जबकि सुनील सिंह और अनिल सिंह को भी मंगलवार को हाजिर होना था, लेकिन नहीं हो पाये थे, जिस कारण बुधवार को उन लोगों ने सुनवाई के दौरान ही अपना जवाब दाखिल कर दिया. इसके बाद सत्ता पक्ष से संजीव चौधरी टुन्नु, महामंत्री सतीश सिंह, डिप्टी प्रेसिडेंट शैलेश सिंह समेत अन्य लोग हाजिर हुए और अपना पक्ष रखा. उनके साथ चुनाव पदाधिकारी संतोष सिंह भी थे. इन लोगों ने दलील दी कि चुनाव सही तरीके से कराया गया है और निश्चित तौर पर साफगोई से चुनाव कराया गया है. शिकायकर्ताओं की दलीलों को काटा गया और इसके दस्तावेजी प्रमाण भी रखे गये. इसके बाद फिर से गुरुवार को सुनवाई होने की बात बतायी जा रही है, लेकिन सूत्र बता रहे है कि सुनवाई पूरी हो चुकी है और गुरुवार को फैसला आ सकता है. हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं की गयी है.
क्या है पूरा मामला :
टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव कराने के मसले पर 9 जून बुधवार को टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष और महामंत्री के अलावा चुनाव अधिकारी संतोष सिंह को बुलाया गया है. मंगलवार को शिकायतकर्ताओं का बयान लिया गया. टाटा वर्कर्स यूनियन के चुनाव में पूर्व अध्यक्ष पीएन सिंह के सहयोगी अनिल सिंह, सुनील सिंह और जे आदिनारायण ने अलग-अलग शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें संजीव चौधरी टुन्नु समेत पूरी कमेटी के चुनाव को ही गलत करार दिया गया था. हालांकि, यह मामला अभी हाईकोर्ट में भी पेंडिंग है. इस मसले की शिकायत के तहत अनिल सिंह ने कहा था कि संविधान के मुताबिक चुनाव नहीं कराया गया है. वहीं जे आदिनारायण की भी यहीं शिकायत थी. सुनील सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र को गलत तरीके से बनाने की शिकायत की थी जबकि अनिल सिंह और जे आदिनारायण ने बताया है कि चुनाव इतनी आनन-फानन में करायी गयी कि लोगों को कोई समय तक नहीं मिल पाया. इस शिकायत की जांच पहले डीएलसी के स्तर पर भी हुई थी. इस जांच में डीएलसी ने पाया था कि सुनील सिंह ने जो शिकायत अपने निर्वाचन क्षेत्र को लेकर किया था, उसकी शिकायत का निवारण भी कर दिया गया, जिसको लेकर चुनाव पदाधिकारी संतोष सिंह को धन्यवाद पत्र भी सुनील सिंह ने दिया था. इसके अलावा संविधान में यह तय है कि चुनाव की प्रक्रिया दो माह पहले कराने का नियम है जबकि कितने दिनों में कार्यक्रम तय होंगे, यह तय नहीं है, जिस कारण संविधान के विरुद्ध कोई काम नहीं हुआ है, ऐसी जानकारी डीएलसी ने साझा की है. इस रिपोर्ट पर भी आपत्ति जतायी गयी, जिसके बाद श्रमायुक्त ने रांची में सुनवाई करना शुरू किया है.