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tata-workers-union-टाटा वर्कर्स यूनियन में मजदूरों के पैसे के बंदरबांट के खिलाफ मुहिम तेज, पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट टुन्नू समेत कई कमिटी मेम्बर हुए मुखर

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जमशेदपुर : टाटा स्टील की अधीकृत यूनियन टाटा वर्कर्स यूनियन में मजदूरों की गाढ़ी कमाई से जुटाए गए चंदे का बेजां इस्तेमाल का जोरदार विरोध शुरू हो गया है. हालांकि अध्यक्ष आर रवि प्रसाद और शहनवाज आलम की जोड़ी मैनेजमेंट के हाँ में हां मिलाते नजर आ रहे है और ये साफ कह दिया हैं कि समाजसेवा के नाम पर मजदूरों का पैसा को खर्च किया ही जायेगा और इसको प्रतिष्ठा का विषय बना चुके है. दूसरी ओर, टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री सतीश सिंह के समर्थक कमिटी मेम्बरों ने विरोध दर्ज करा दिया है और इस तरह मजदूरों के पैसे का बंदरबांट को असंवैधानिक और गलत करार दिया है. इन कमिटी मेम्बरों में संतोष सिंह, संतोष पांडेय, रघुनंदन, श्याम बाबू, महेश झा, संजय कुमार (आरएमएम), संजय कुमार (पिलेट प्लांट), सरोज कुमार सिंह, सुभाष, राकेश कुमार, अजय चौधरी और अभिनन्दन समेत अन्य लोगो ने अलग-अलग आवेदन देकर विरोध दर्ज कराया है. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष और महामंत्री को अलग-अलग आवेदन देकर विरोध दर्ज कराया गया है.

इस बीच टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व डिप्टी प्रेसिडेंट टुन्नू चौधरी ने भी विरोध करते हुए अध्यक्ष और महामंत्री को ज्ञापन सौंपकर कहा है कि अखबार के माध्यम से जो खबर आ रही है इससे कर्मचारी भाईयों एवं बहनों के बीच ऊहापोह की स्थिति है क्योंकि आजकल युनियन की गतिविधियां सिर्फ और सिर्फ अध्यक्ष एवं उनके पदाधिकारियों तक सीमित हो गया है। जैसा कि अखबार के माध्यम से पता चला कि हमारे पूर्वजों द्वारा सहेज कर रखी गई राशि का एक बड़ा अंश टाटा वर्कस यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा अनैतिक तरीके से सीएसआर के माध्यम से महामारी के नाम पर खर्च करने की तैयारी है। खर्च करने पर हमारा विरोध कहीं नहीं है। वर्तमान समय मे समाज भयंकर महामारी से जूझ रहा है।हम सबको एक दूसरे के लिए खड़ा रहना चाहिए लेकिन जिस तानाशाही रवैया से यूनियन के पदाधिकारियों द्वारा इसको अंजाम दिया जा रहा है।वो गलत है। इस फंड को हमारे पूर्वजों ने इसलिए सहेज कर रखा था ताकि भविष्य में कभी कर्मचारीयो पर कोई विपत्ति आती है। तब उस रकम का सदुपयोग किया जा सके। वर्तमान समय से भी ज्यादा भयावह स्थिति का अनुमान आने वाले समय में लगाया जा रहा है इसलिए मेंरे विचार से सहेज कर रखे गए रकम को अभी यथासंभव ऐसे ही छोड़ देना चाहिए। वैसे भी कर्मचारी अपना एक दिन का वेतन रिलीफ फंड के लिए दे चुके है। हमारे कुछ कमिटी मेम्बर जैसे गुंजन वर्मा, जोगिंदर सिंह जोगी, मनोज कुमार, धनंजय, डिंपल, कृष्णा समेत कुछ कर्मचारी यथासंभव गरीबों की मदद करने के लिए हर वक़्त लगे हुए हैं। दूसरी और सबसे अहम बात युनियन की जमा पूंजी को खर्च करने का नियम जो संविधान में है। उसे दरकिनार करते हुए एकतरफा निर्णय लेना कुछ और ही तरफ इसारा करता है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल 8 का उल्लंघन होगा जिसका मै कङे शब्दों में विरोध करता हूँ। कयोंकि यहाँ संस्था सर्वोपरि है और संस्था संविधान से चलती हैं व्यक्ति विशेष से नहीं.

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