जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन की कोरोना वायरस को लेकर की गयी सियासत को लेकर हर तरफ थू-थू की स्थिति हो रही है. पूरे देश में कोरोना वायरस को लेकर बंदी जैसे हालात है. टाटा स्टील खुद वर्क फ्राम होम यानी घर से काम करने को प्राथमिकता दे रही है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ”जनता कर्फ्यू” का आह्वान कर चुके है, वहीं टाटा वर्कर्स यूनियन में इसको लेकर सियासत हो रही है कि यूनियन खुलेगा या नहीं. ऐसा कई फैसला टाटा वर्कर्स यूनियन में एकतरफा ले लिया जाता है, वेज रिवीजन पर ऑफिस बियररों और कमेटी मेंबरों को जानकारी तक नहीं दी जाती है, लेकिन मजदूरों के वेज रिवीजन में हुए घाटे पर चुप्पी साधने वाले ऑफिस बियरर और कमेटी मेंबर सिर्फ यूनियन कोरोना वायरस को लेकर बंद किया जाये या नहीं किया जाये, इस पर अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना चुके है. इसी प्रतिष्ठा के विषय के कारण टाटा वर्कर्स यूनियन को एक बार फिर से खोल दिया गया. महामंत्री सतीश सिंह ने जरूर एकतरफा फैसला लेकर मजदूरों और यूनियन के स्टाफ को बचाने के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए यूनियन को बंद करने का नोटिस जारी कर दिया, लेकिन उस पर भी कमाल अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कर दिया, जिसका साथ तमाम ऑफिस बियररों (महामंत्री और एक उपाध्यक्ष को छोड़कर) ने दिया. अध्यक्ष ने ऑफिस को खोलने की हिदायत दे दी.
डिजिटल इंडिया और टाटा स्टील के डिजिटलाइजेशन के अभियान के जमाने में जब हेल्पलाइन नंबर और इ-मेल पर सारी शिकायते जुस्को जैसे जनसुविधा वाली कंपनी मंगाकर निबटारा कर रही है, ऐसे में सौ साल पुरानी यूनियन में लोगों का जमावड़ा लगवाना और लोगों की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने नोटिस जारी कर दिया कि ऑफिस खुला रहेगा. लेकिन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद में इस नोटिस में सारा दोष यूनियन के तमाम ऑफिस बियरर पर डाला है और कहा है कि वे खुद नहीं बल्कि ऑफिस बियरर की रजामंदी पर फैसला ले रहे है कि यूनियन खुला रहेगा. लेकिन खुद आर रवि प्रसाद अध्यक्ष के नाते कर्मचारियों की शादी समेत अन्य कार्यक्रम को लेकर की गयी क्लब हाऊस की बुकिंग को डीसी के आदेश का हवाला देकर रद्द कर दिये है और सारे बुकिंग को अप्रैल तक के लिए बंद कर दिया है. यह दो तरह की कार्रवाई को लेकर सवाल उठ रहा है कि एक तरफ क्लब हाऊस की गैदरिंग को अध्यक्ष रोक रहे है तो दूसरी तरफ यूनियन को बंद करने के फैसले को ही वापस ले लेते है और यूनियन को खोल दिया जा रहा है. यह दो तरह के फैसले जरूर सवाल उठा रहे है. कहीं ऐसा तो नहीं महामंत्री सतीश सिंह को ”औकात” बताने के लिए अध्यक्ष मजदूरों की जान और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना चाहते है.