कोरोना वायरसjamshedpur-corona-3rd-wave-जमशेदपुर में क्या कोरोना की तीसरी लहर की आहट है, टीएमएच में...
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jamshedpur-corona-3rd-wave-जमशेदपुर में क्या कोरोना की तीसरी लहर की आहट है, टीएमएच में एक माह में 3 बच्चे कोरोना पोजिटिव भर्ती, पहले 110 कोरोना पोजिटिव बच्चे टीएमएच में करा चुके है इलाज, जमशेदपुर में 200 बच्चे ऐसे पाये गये, जिनमें कोरोना होकर ठीक होने के बाद मिलने वाले एंटीबॉडी मिले, 9 बच्चे टीएमएच में, जानें पूरी खबर

राशिफल

यह प्रतीकात्मक तस्वीर है.

जमशेदपुर : देश भर में कोरोना के तीसरी लहर की संभावनाओं को देखते हुए लोग सहमे हुए है और इसको लेकर तैयारियां की जा रही है. लेकिन इस बीच झारखंड की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले जमशेदपुर शहर में कोरोना के तीसरी लहर के पहले ही इसकी आहट सुनायी देने लगी है. हालात यह है कि टाटा स्टील द्वारा संचालित टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में में पिछले एक माह में तीन बच्चे कोरोना पोजिटिव होने के बाद इलाज के लिए भर्ती हो चुके है. इसकी अधिकारी पुष्टि टाटा स्टील की ओर से की गयी है. वैसे टीएमएच में ही इससे पहले यह जानकारी दी गयी थी कि पहले और दूसरे वेभ में कुल कोरोना पोजिटिव केस आरटीपीसीआर टेस्ट में 22 हजार थे, जिसमें 110 बच्चे कोरोना पोजिटिव हुए यानी 0.5 फीसदी बच्चे कोरोना से संक्रमित हुए थे. कुल 1076 मौत कोरोना के कारण टीएमएच में हो चुकी है, जिसमें से एक बच्चा शामिल है, जो एक साल से भी कम उम्र का था, जो कोरोना पोजिटिव तो था, लेकिन उसको पहले से कई बीमारियां (को-मार्बिट हालात) भी थी. हालांकि, अभी एक माह में तीन कोरोना पोजिटिव मरीज जरूर भर्ती हुए है. डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य विभाग ने आशंका जतायी है कि तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों पर कोरोना का असर पड़ सकता है और यह खतरनाक भी हो सकता है.
200 बच्चों में मिले एंटीबॉडी, 9 बच्चे एमआइएससी से संक्रमित
इस बीच एक खबर आयी है जो चौंकाने वाली है. यह पाया गया है कि जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम जिले) में 200 से अधिक बच्चों में बिना कोरोना संक्रमित हुए ही एंटीबॉडी बन चुकी है. कोरोना पोजिटिव होने के बाद किसी भी व्यक्ति या बच्चे में एंटीबॉडी बनता है यानी इन बच्चों में यह कहा जा रहा है कि इनमें एंटीबॉडी बन चुका है. उनके मां बाप को भी मालूम नहीं है कि उनके बच्चे कब कोरोना पोजिटिव होकर ठीक भी हो गये. जब बच्चों की तबीयत खराब हुई तो उन्हें इलाज के लिए अस्पतालों में लाया गया, तब पता चला कि वे लोग कोरोना के बाद होने वाली बीमारी मल्टी सिस्टम इंफेलमेंट्री सिंड्रोम इन चाईल्ड (एमआइएससी) से ग्रसित है. टीएमएच से मिली जानकारी के मुताबिक, 9 केस एमआइएससी से पीड़ित आये है और एक एमआइएससी नवजात में भी पाये गये है. चिकित्सकों ने बताया है कि अधिकांश बच्चों में एंटीबॉडी पायी गयी है, जो परेशानी का सबब बन रही है. बताया जाता है कि पिछले सात दिनों में अचानक बच्चों में आंखों का लाल होना, बदन में दाने होना, दस्त होना, बुखार होने की शिकायतें बढ़ी है. करीब 20 फीसदी ऐसे बच्चों में ऐसे लक्षण पाये गये है. यह दावा किया गया है कि 15 बच्चे एमआइएससी से संक्रमित होने के बाद इलाज कराने के लिए भर्ती हुए थे, जिनका जांच करने के बाद उनमें एंटीबॉडी पाये गये. कई बच्चों में लंग्स भी प्रभावित हो चुका है. चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ अभिषेक ने बताया कि उन्होंने अबतक 40 से अधिक बच्चों का इलाज किया है, जिसमें एंटीबॉडी बन चुकी है और उनके परिजन कोरोना से इनकार कर रहे है. उनके मां बाप ने यह जरूर कहा कि बच्चों को सर्दी खांसी हुई थी, लेकिन कोई बुखार या कोरोना का लक्षण नहीं पाया गया. लेकिन उनमें एंटीबॉडी बन चुकी है, जो कोरोना के बाद डेवलप होते है. वैसे इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक अध्यक्ष व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अखौरी मिंटू सिन्हा बताते हैं कि 4 लाख बच्चों में 15 प्रतिशत के इंफेक्टेड होने की आशंका हैं. वे सिम्पटोमैटिक या एसिम्पटोमैटिक होंगे. एक अनुमान के अनुसार, उनकी संख्या लगभग 6000 तक हो सकती है. लेकिन यह तब सामने आएगा जब सभी बच्चों की एंटीबॉडी जांच होगी. अब तक जो बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं, उनसे ही उनके ही पहले संक्रमित होने और बाद में एंटीबॉडी डेवलप होने का पता चल रहा है. डॉ अखौरी ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यदि बच्चों में इस इस तरह की कोई शिकायत आती है तो शिशु रोग विशेषज्ञ के पास जाएं और उसे दिखाएं, जल्द ठीक हो जाएगा.
झारखंड के हर जिले में खरीदे जायेंगे बच्चों के लिए आइसीयू वाला एंबुलेंस
झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और इससे बच्चों की बड़ी संख्या के संक्रमित होने के खतरे के बीच सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. स्वास्थ्य विभाग पहली बार बच्चों के लिए 24 नियानेटल एंबुलेंस खरीदने जा रही है. ये एंबुलेंस सभी 24 जिलों के सदर अस्पतालों को दी जाएंगी. सदर अस्पताल में भर्ती संक्रमित बच्चों की गंभीर स्थिति होने पर उन्हें रिम्स रांची, एमजीएम जमशेदपुर, पीएमसीएच धनबाद जैसे बड़े अस्पतालों में रेफर कर नियोनेटल एंबुलेंस से भेजा जाएगा. बैक्टीरिया मुक्त होगी शिशु केबिन नियोनेटल एंबुलेंस में नवजात शिशु केबिन विशेष रूप से होगा, जो पूरी तरह बैक्टीरिया मुक्त होगा. कोलेप्सिवल बेड, अटेंडेंट सीट, स्पेशल प्लॉस्टिक डिकल स्टोरेज कैबिनेट की व्यवस्था होगी. सेंट्रल ऑक्सीजन लाइन सिस्टम की भी लग से व्यवस्था रहेगी. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताया कि सरकार पूरी तरह गंभीर है कि तीसरे वेभ से बच्चों को बचाया जाये और हर जिले में बच्चों के लिए आइसीयू बनाये जा रहे है.

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