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jharkhand-black-fungus-attack-झारखंड में फिर मिले ब्लैक फंगस के तीन और नये मरीज, दो के आंख की रोशनी गई, टीएमएच भी हाई-अलर्ट पर, डाइबिटीज वाले रहे सावधान

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रांची : झारखंड में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के बीच ब्लैक फंगल इंफेक्शन का खतरा तेजी से बढ़ने लगा है. शनिवार को पहला मरीज भरती होने के बाद सोमवार को तीन और मरीजों को ब्लैक फंगल इंफेक्शन के कारण रांची के मेडिका में भरती कराया गया है. एक मरीज रामगढ़, दूसरा रांची और एक मरीज इटखोरी का है. भर्ती होने वाले दो मरीजों की आंख की रोशनी फंगस के कारण जा चुकी है. वहीं चौथे मरीज के आंख को बचाने का प्रयास डॉक्टर कर रहे हैं. इस तरह अब राज्य में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मरीजों की संख्या चार हो गई है. कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक दवाएं के हाइडोज देना पड़ रहा है, ऐसे में कमजोर प्रतिरोध क्षमता वाले मरीजों को ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) इंफेक्शन का खतरा बढ़ने लगा है. दूसरी ओर, जमशेदपुर के टीएमएच भी इसको लेकर हाई-अलर्ट पर है. टाटा स्टील के मेडिकल सर्विसेज के सलाहकार और पूर्व जीएम डॉ राजन चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ब्लैक फंगस के पहले से ही केस थे, लेकिन अभी कोरोना में चूंकि, डाइबिटीज के लोगों में एस्ट्रायड का इस्तेमाल जयादा होता है, इस कारण नुकसान ज्यादा कर जाता है. ऐसे लोगों को ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है. टीएमएच में इसको लेकर भी सतर्कता है, लेकिन अब तक टीएमएच में ऐसे कोई केस नहीं आये है.
ब्लैक फंगस से कैसे बचें-ये फंगस कम ऑक्सीजन में पनपता है, इसलिए नाक से सांस लें. शुगर लेवल मेंटेन रखें. शुगर बढ़ रहा है तो कंट्रोल करें. एंटीसेप्टिक जैसे बिटाडीन का सॉल्यूशन बनाकर दो-तीन बूंद नाक में डालते रहें. यह अंदर फंगस के फैलाव को रोक देता है.
चेहरे के एक हिस्से में सूजन ब्लैक फंगस के लक्षण-चेहरे के एक हिस्से में सूजन और आंखों का बंद होना. नाक बंद होना. नाक के नजदीक सूजन, मसूड़ों में सूजन, पस पड़ना, दांतों का ढीला हो जाना. तालू की हड्डी का काला हो जाना. आंखें लाल होना. रोशनी कम होना.
ब्लैक फंगस में सर्जरी ही एकमात्र इलाज-ब्लैक फंगल से पीड़ित मरीज की जान बचाने के लिए संक्रमित हिस्से को निकालना ही बीमारी का एकमात्र इलाज है. ब्लैक फंगल से संक्रमित हिस्से को
नहीं निकालने पर वह रक्तवाहिकाओं का ब्लड नहीं पहुंचने देता. संक्रमण बढ़ता रहता है. मरीज की मौत तक हो सकती है.

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