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jharkhand-vaccination-झारखंड में आयी हैदराबाद से कोवैक्सीन की एक छोटी खेप, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता का वैक्सीन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर बड़ा हमला, बन्ना बोले-प्रधानमंत्री झारखंड जैसे प्रदेश को सिर्फ ठग रहे है, वैक्सीनेशन बंद होने के कागार पर है

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रांची : झारखंड में कोवैक्सीन की एक खेप हैदराबाद से रांची पहुंची. इंडिगो विमान से करीब दस पैकेट में कोवैक्सीन की खेप पहुंची है, लेकिन यह सिर्फ दूसरी डोज के लिए ही आयी है. काफी कम संख्या में कोवैक्सीन की यह खेप भेजी गयी है.
दूसरी ओर, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड उन प्रदेशों में शामिल हैं, जहां लोग एक-एक अन्न के दाने का सम्मान करते हैं, उसकी कीमत समझते है, यही कारण है कि राज्य में राष्ट्रीय औसत से काफी कम कोविड-19 वैक्सीन की वेस्टेज हुई है. स्वास्थ्य मंत्री ने बुधवार को रांची स्थित कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने यह घोषणा की कि भारत पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन हब बनेगा, दुनिया भर के देशों को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराया जाएगा. लेकिन अब देश में ही वैक्सीन की कमी होने लगी है. यही कारण है कि झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों में कोरोना वैक्सीनेशन सेंटर लगभग अब बंद होने के कगार पर है. उन्होंने कहा कि वैक्सीन की कमी के कारण ही केंद्र सरकार ने पहले 4 सप्ताह, 6 सप्ताह और 12 से 16 हफ्ते के अंतराल में दूसरा डोज लेने की बात करने लगी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में कई वैक्सीनेशन सेंटर बंद होने के कगार पर है. प्रधानमंत्री झारखंड जैसे राज्यों को भूल चूके हैं. झारखंड भी देश का हिस्सा है और यहां के अमर शहीदों ने भी देश की आजादी की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभायी है. आज हूल दिवस के मौके पर भोगनाडीह से 1857 के स्वतंत्रता आंदोलन की बुनियाद रखने वाले हूल क्रांति के नायकों को पूरा राष्ट्र याद कर रहा है. उन्होंने भाजपा सांसदों से अपील की कि वे वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर वे प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय नेताओं से बात करें, इसके लिए जरुरत पड़ी, तो वे भाजपा सांसदों का पैर पकड़ने के लिए भी तैयार होंगे. मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि भाजपा वैक्सीनेशन को लेकर दुष्प्रचार में जुटी है. एक ओर झारखंड जैसे राज्यों को कम संख्या में वैक्सीन उपलब्ध करायी जा रही हैं, वहीं यह भी निराधार प्रचार किया जा रहा हैं, यहां सबसे अधिक वैक्सीन की बर्बादी हो रही है जबकि सच्चाई इसके विपरीत है. झारखंड में राष्ट्रीय औसत से कम वेस्टेज है.

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