आदित्यपुर : सरायकेला- खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना अंतर्गत एस टाईप चौक में पिछले दिनों हुए सूजय नंदी हत्याकांड मामले में घटना के 48 घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ अब तक खाली हैं. वैसे इसके पीछे जिन अपराधियों का नाम सामने आ रहा है, उनकी पहचान करने का दावा पुलिस कर रही है, लेकिन अपराधी पुलिस की गिरफ्त से अभी दूर हैं. इसको लेकर चार- पांच थानेदारों की एक टीम भी गठित की गई है. लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि आखिर पुलिस से चूक कहां हो गयी. जबकि बीते 6 जून को ही अपराधियों के गिरोह का खुलासा करने के क्रम में एसपी ने साफ संकेत दे दिए थे कि जिले के कुछ सफेदपोश, समाज सेवी, कारोबारी या उद्यमी अपराधियों के टारगेट पर हैं. हालांकि उस वक्त उन्होंने किसी के नाम का खुलासा नहीं किया था लेकिन 6 महीने बाद कारोबारी सह भाजपा नेता सुजय नंदी की एस टाईप चौक के समीप दिनदहाड़े हत्या कर अपराधियों ने अपनी मंशा साफ कर दी. मतलब साफ है कि एसपी की नसीहत को आदित्यपुर थाना पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया. यहां एक बात गौर करने वाली और है, वह ये कि घटना के वक्त अपराधी हथियार के बल पर भागने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन मौके पर मौजूद लोगों ने अपराधियों को धर दबोचा और एक घर में बंद कर दिया. अपराधियों के पास हथियार होने के कारण सूचना पर पहुंची पुलिस अपराधियों का मुकाबला करने से पीछे हट गई. नतीजतन अपराधी भागने में सफल रहे. हालांकि डीआईजी के निर्देश पर एसपी ने एएसआई को निलंबित कर दिया. (नीचे भी पढ़ें)
घटना के दिन ही डीआईजी ने इस बात से इंकार किया था कि पुलिस की लापरवाही से अपराधी भागने में सफल रहे. उन्होंने एएसआई को इसलिए निलंबित किया क्योंकि ऑन ड्यूटी उनके पास सर्विस रिवाल्वर नहीं थी, जबकि घटना के ठीक बाद टाटा मुख्य अस्पताल पहुंचे आदित्यपुर नगर निगम के डिप्टी मेयर अमित सिंह ने सीधे तौर पर अपराधियों से मुकाबला कर पाने में पुलिस को नाकाम बताते हुए झारखंड सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया था. और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. उधर घटना के ठीक एक दिन बाद डीआईजी जमशेदपुर पहुंचे. जहां उन्होंने पुलिसकर्मियों से आदित्यपुर की घटना का जिक्र करते हुए सीधे तौर पर पुलिस की लापरवाही से अपराधी को भागने में सफल बताया. कोल्हान डीआईजी आदित्यपुर में इस बात को मानने को तैयार नहीं थे, कि पुलिस की लापरवाही से अपराधी भागने में सफल रहा, लेकिन जमशेदपुर में उन्होंने यह कबूल कर लिया कि पुलिस एवं पब्लिक ने मिलकर अपराधी को घेर लिया लेकिन पुलिस के पास सर्विस रिवाल्वर नहीं होने के कारण अपराधी भागने में सफल रहा. फिलहाल डीआईजी के बार- बार बयान बदलने से लोगों में भ्रम की स्थिति है. अपनी विफलता को छिपाने के लिए पुलिस के आला अधिकारी निरीह एएसआई को बलि का बकरा बनाने से नहीं चूके, जबकि ऐसा नहीं हो सकता है कि ऑन ड्यूटी एएसआई अपना सर्विस रिवाल्वर अपने साथ ना रखे. इसके पीछे के कारणों की भी जांच होनी चाहिए. जबकि प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जिस वक्त घटनास्थल पर पुलिस पहुंची थी, उस वक्त एएसआई के पास सर्विस रिवाल्वर मौजूद था. अचानक ऐसी परिस्थिति क्या आ गई कि एएसआई के पास से रिवाल्वर गायब हो गई. वैसे आदित्यपुर थाना से आधे किलोमीटर की दूरी पर यह घटना घटी. लगभग 1 घंटे तक अपराधी पब्लिक और पुलिस से गिरा रहा, तो थाने में मौजूद अधिकारी समय पर मौका- ए- वारदात पर क्यों नहीं पहुंच पाए ? क्यों नहीं पूरे इलाके की घेराबंदी कर अपराधियों को पकड़ा. इससे साफ जाहिर होता है, कि जिले में कानून व्यवस्था का क्या आलम है. भले डीआईजी लकीर पीटते रहें, लेकिन सच्चाई यही है, कि खुलेआम पुलिस ने अपराधी को भागने का मौका दे दिया. जबकि एसपी ने पहले ही ऐसी घटना होने को लेकर आगाह कर दिया था.