जमशेदपुर : जमशेदपुर में वर्ष 2009-2010 में सीरियल क्राइम कर लोगों को दहशत में डाल देने वाले कुख्यात अपराधकर्मी पंकज दुबे और उसके साथी कबीर को जमशेदपुर कोर्ट ने अहम फैसले में सात साल का सश्रम कारावास के साथ 25 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी है. सीरियल क्राइम कर डॉक्टर, वकील समेत समाज के हर वर्ग के लोगों की जान लेने वाले पंकज दुबे और कबीर पर आर्म्स एक्ट के मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 7 साल सश्रम कारावास के साथ 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. सीरियल क्राइम करने के दौरान तत्कालीन एसपी नवीन सिंह और उनकी टीम ने पंकज दुबे को धर दबोचा था और उसके साथी कबीर को भी गिरफ्तार किया था. इस मामले में पुलिस ने उसके पास से 9 एमएम की पिस्तौल भी बरामद की थी. बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान से उसका पिस्तौल बरामद किया था. उक्त 9 एमएम के पिस्तौल से ही पंकज दुबे और उसके साथियों ने एक पर एक हत्याएं की थी और लोगों को दहशत में डाल दिया था. यह वह वक्त था, जब पुलिस की जगह केंद्रीय बलों को सड़कों पर उतारना पड़ा था. इसी दौरान टीएमएच के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ प्रभात कुमार की भी इन लोगों ने हत्या कर दी थी, जिसमें पंकज दुबे समेत अन्य को आजीवन कारावास की सजा पहले ही सुनायी जा चुकी है.
पंकज दुबे ने दहशत फैला दिया था
पंकज दुबे और उनकी टीम ने अपराध की जगत में अचानक से इंट्री की थी. उसका क्राइम करने का तरीका अजीब था. वह चिकित्सक या ऐसे व्यक्ति को निशाना बनाते थे, जो समाज में पकड़ रखते थे. अचानक से आते थे और लोगों को मारकर चले जाते थे. इसके पीछे उद्देश्य था कि पहले क्राइम कर दहशत फैला दो और फिर रंगदारी वसूली जाये. हर शाम को वे लोग मोटर साइकिल पर निकलते थे और हत्या करने के बाद भाग निकलते थे. उस वक्त ऐसा हंगामा हो गया था कि अपराधियों के खिलाफ टाटा स्टील के एमडी समेत कई कंपनियों के एमडी डीसी और एसपी से मिलने पहुंच गये थे. उसके बाद ही जमशेदपुर में एसएसपी, सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी बना था और उससे पहले सिर्फ एक एसपी ही हुआ करते थे, जिनको गांव से लेकर शहर तक देखना था. लेकिन जरूरत के हिसाब से बदलाव किया गया और एसएसपी का पद बनाया गया.