क्राइमjamshedpur-hotel-alcor-issue-जमशेदपुर के चर्चित होटल अलकोर मामले में ''नोटिस का खेल'', कई और...
spot_img

jamshedpur-hotel-alcor-issue-जमशेदपुर के चर्चित होटल अलकोर मामले में ”नोटिस का खेल”, कई और व्यवसायियों को नोटिस, डीआइजी के आदेश पर हो रही कार्रवाई, व्यापारियों ने जताया नोटिस के खेल का विरोध-video-एसएसपी जमशेदपुर ने कहा-video

राशिफल

जमशेदपुर : जमशेदपुर के चर्चित बिष्टुपुर स्थित होटल अलकोर का जिन एक बार फिर निकला है. 9 लोग तो लॉकडाउन उल्लंघन और देह व्यापार के आरोप में जेल की यात्रा करके निकल गए हैं. अब अन्य रसूखदारों पर भी कानूनी शिकंजा कस सकता है. दरअसल डीआइजी कोल्हान राजीव रंजन सिंह कार्यालय को भेजे गए एक गुमनाम पत्र के आलोक में बिष्टुपुर थाना से 8-10 व्यवसायियों को इस मामले को लेकर नोटिस भेजी गई है. वहीं पुलिस पर भी सवाल उठने लगे हैं कि ये नोटिस महज भयादोहन करने के लिए नहीं भेजा जा रहा है. बताया जाता है कि एक गुमनाम पत्र डीआइजी को भेजा गया. डीआइजी ने इस मामले में कार्रवाई का आदेश दिया और सीसीटीवी में जो लोग दिखे है, उनको नोटिस देकर पक्ष जानने को कहा, जिसके आधार पर यह कार्रवाई बिष्टुपुर थाना प्रभारी रणविजय शर्मा की ओर से भेजी गयी है. वैसे गुमनाम पत्र अब गुमनाम नहीं रहा. वैसे आपको बता दें कि होटल अलकोर मामले में होटल के मालिक मालिक राजीव दुग्गल, लड्डू मंगोतिया समेत 9 लोग जेल की हवा खा चुके है. वहीं जमशेदपुर के कई लोगों को ये लगता है कि होटल अलकोर मामले मे और लोग भी थे और उन पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इसलिए गुमनाम पत्र भेजे जा रहे हैं.

सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भालोटिया.

इसके अलावा केस को मैनेज करने के नाम पर भी भयादोहन किया जा सकता है. उधर कानूनी जानकार नोटिस भेजने को सही नहीं ठहरा रहे हैं. उनका कहना है कि इससे पुलिस की मंशा पर सवाल खड़े होते हैं. चूंकि अलकोर मामले की एफएसएल रिपोर्ट आना बाकी है और उसी हिसाब से और अन्य सबूतों के आधार पर पुलिस को तकनीकी तौर पर आगे बढ़ना चाहिए न कि किसी गुमनाम पत्र के आधार पर क्योंकि गुमनाम पत्र में तथ्य नहीं है. दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि गुमनाम पत्र अगर पूरे खुलासे की मांग के उद्देश्य से डीआइजी ऑफिस को भेजा गया तो फिर उसके आलोक में नोटिस भेजकर तो गुमनाम पत्र की गोपनीयता ही भंग कर दी गई. कायदे से गोपनीय तरीके से उन व्यवसायियों की पड़ताल करके सबूतों के आधार पर आगे की कार्रवाई पुलिस को करनी चाहिए. लेकिन नोटिस से सबको ये शक हो रहा है कि कहीं भयादोहन का मामला तो नहीं है. बड़े व्यापारियों को डरा धमकाकर पैसे वसूलने का खेल तो नहीं चल रहा है.

जमशेदपुर के एसएसपी डॉ एम तमिल वाणन.

इस मुद्दे पर व्यवसायी वर्ग खामोश है और कैमरे पर कुछ भी कहने से बच रहा है लेकिन इस नोटिस से ज्यादातर लोग नाराज़ हैं. कानूनी जानकारों ने सवाल उठाया कि जब सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 9 लोग जेल जा सकते हैं तो उसी आधार पर समय अन्य व्यवसायियों को तब क्यों नहीं पकड़ा गया. दूसरी ओर, व्यापारियों ने भी इस कार्रवाई पर कड़ी नाराजगी जतायी है. गुमनाम पत्र में जमशेदपुर के एक व्यक्ति ने शिकायत की है कि 24 अप्रैल को जब होटल अलकोर में पुलिस ने छापेमारी की तब कई लोग भाग निकले थे. मामले में कुछ व्यवसाई गिरफ्तार हुए जबकि कई लोग पकड़े नहीं गए. इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए.पत्र में शिकायतकर्ता ने उन व्यवसायों के नाम पता सब दिए हैं और उन रसूखदारों की भूमिका की भी जांच की मांग की है. डीआइजी ऑफिस को ये पत्र भेजा गया है जहां से उसे डीजीपी को भेजा गया और फिर ये थाने आया.

[metaslider id=15963 cssclass=””]

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading