जमशेदपुर : झारखंड सरकार भले कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को एयर लिफ्ट कर वापस लाने का दावा करती रही. लेकिन सरकार मजदूरों को राज्य में काम उपलब्ध कराने में नाकाम रही. नतीजा एयर लिफ्ट करके लाए गए मजदूर हों या स्वेक्षा से लौटे मजदूर लगभग पुनः पलायन कर चुके हैं. उधर रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर गए मजदूरों के साथ साउथ में क्या हुआ इसका उदाहरण शनिवार को कोयंबटूर से रेस्क्यू कर लायी गयी महिला श्रमिक हैं.
ये सभी महिला मजदूर जमशेदपुर में संचालित हो रहे दीनदयाल उपाध्याय कौशल विकास केंद्र में प्रशिक्षण लेने के बाद एक एजेंसी के माध्यम से कोयंबटूर गए थे. जहां एक टेक्सटाइल मिल में इन सभी मजदूरों को बंधुआ मजदूर बनाकर काम लिया जा रहा था. तय वेतनमान एवं जरूरी सुविधाएं नहीं दी जा रही थी. नतीजा ये हुआ कि सभी मजदूरों ने झारखंड सरकार से वतन वापसी की गुहार लगाई. जिसके बाद झारखंड सरकार ने कोयंबटूर के स्थानीय एनजीओ एवं जिला प्रशासन से के सहयोग से सभी मजदूरों को वापस झारखंड लाने में सफल रही.
तीन दिनों का सफर तय करने के बाद शनिवार को जमशेदपुर पहुंचने के बाद मजदूरों का दर्द छलक पड़ा. वैसे अभी भी कुछ मजदूर वहां फंसे हुए हैं. जिन्हें लाने की कवायद की जा रही है. शनिवार को जमशेदपुर पहुंचने वाली ज्यादातर महिला कामगार सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों की महिलाएं हैं जो प्रशिक्षण के बाद बेहतर भविष्य बनाने का सपना संजोए राज्य से बाहर गई थी. तमिलनाडु सरकार एवं कोयंबटूर प्रशासन ने जांच के दौरान पाया था, कि जहां ये मजदूर गए थे वहां इनका शोषण हो रहा था. उसके बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आयी और कंपनी पर दबाव बनाते हुए 15 मजदूरों को वापस झारखंड भेज दिया है. ये सभी मजदूर 2019 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय कौशल विकास केंद्र जमशेदपुर में प्रशिक्षण लेने के बाद वहां गए थे. वही मजदूरों के परिजनों ने झारखंड सरकार से फरियाद लगाई है, कि राज्य सरकार राज्य में ही बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करे, ताकि यहां के मजदूरों को पलायन करने की नौबत नहीं आए. वैसे इस संबंध में हमने एजेंसी और कौशल विकास केंद्र के संचालक से भी बात करने का प्रयास किया, लेकिन कैमरे पर उन्होंने कुछ भी नहीं बताया. फिलहाल इन मजदूरों को वापस उनके गंतव्य पर भिजवाने का प्रबंध किया जा रहा है.