अन्नी अमृता (नीचे देखिये वीडियो रिपोर्ट)
जमशेदपुर : जमशेदपुर पीएफ कार्यालय में विभिन्न कंपनियों के कंसलटेट प्रसनजीत घोष द्वारा 17 शेल कंपनियां बनाकर करोड़ो रुपये के गबन करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. इस मामले की अंदरुनी जांच चल रही है. प्रसनजीत घोष ने लगभग 17 शेल कंपनियां बनाकर गलत तरीके से ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ का लाभ उठाते हुए 1 करोड़ 20 लाख की निकासी कर ली है. यह राशि अलग-अलग खातों में ट्रांस्फर की गई है जिनके मोबाइल पर पीएफ कार्यालय से राशि लौटाने के मैसेज जा रहे हैं. पूरे मामले की रीजनल पीएफ कमिश्नर-2 एसके गुप्ता के नेतृत्व में अंदरुनी जांच चल रही है. पीएफ कार्यालय की भूमिका की भी जांच हो रही है. इस घोटाले को कोल्हान में अब तक का पीएफ दफ्तर का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है.
आईए पहले समझते हैं कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना क्या है
कोविड काल में केंद्र सरकार ने लोगों की नौकरियां बचाने, नए लोगों को नौकरियों से जोड़ने, उद्योगों को बचाने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना 2020-2022 के लिए लायी थी. इसके तहत लगभग 59 लाख लोगों के खाते में लगभग 5000 करोड़ की राशि डाली गई है. आम तौर पर कर्मचारी से कुछ अंशदान पीएफ के रूप म़े कटता है और उतना ही कंपनी भी अंशदान देती है लेकिन इस योजना से 1000 से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों को दो वर्षों (2020-2022 मार्च) तक दोहरी सब्सिडी का लाभ मिला. शर्त यही थी कि 50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनी को कम से कम दो नए कर्मचारियों को नौकरी देनी होगी. वहीं 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी को सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए 5नए लोगों को नौकरी देनी होगी. योजना के तहत ऐसी सभी कंपनियों के कर्मचारियों को वेतन का 24 प्रतिशत सब्सिडी के रूप में प्राप्त होने की बात है, जिसमें कंपनी एवं कर्मचारी दोनों के हिस्से का 12-12 प्रतिशत पीएफ कंट्रीब्यूशन शामिल है. सभी 1000 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को योजना के तहत 12 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की गई. यह योजना 15,000 रूपये से कम आय वाले कर्मचारियों पर लागू की गई थी. (नीचे देखे पूरी खबर और देखिये-वीडियो-video.)
अब समझिये प्रसनजीत घोष ने क्या खेल कर दिया
प्रसनजीत सरकार जमशेदपुर की विभिन्न कंपनियों के कंसलटेंट हैं. इन्होंने अपनी पत्नी नेहा, ससुर नील सरकार, साला और अन्य लोगों के नाम से नेहा मेसर्स सर्विसेज़, एनएन इंटरप्राईज़ेज समेत लगभग 17 शेल कंपनियां खोलीं. किसी कंपनी में चार सौ, किसी में सात सौ, इस तरह कुल मिलाकर 3000 कर्मचारियों का डेटा दिखाया. इसके लिए लगभग 2500 से 3000 लोगों के आधार कार्ड और बैंक खाते का इस्तेमाल हुआ. इनको लाभुक बनाकर योजना के पैसे ले लिए गए. खाते में गए अब तक 1 करोड़ 20 लाख की निकासी कर ली गई है. जिन लगभग 2500 से 3000 लोगों के आधार का इस्तेमाल हुआ उनको जमशेदपुर पीएफ कार्यालय से मैसेज भेजा जा रहा है कि राशि गलत तरीके से गई है उसे लौटा दें. इन लोगों के शहर के विभिन्न इलाकों के विभिन्न बैंकों में खाते हैं. इस दौरान यह बातें सामने आयी कि कोई कर्मचारी था ही नहीं बस फर्जी आइडी के माध्यम से पैसे एकाउंट में लिये गये और फिर उसकी निकासी की गयी है. इसके बाद पीएफ विभाग ने अंदरुनी जांच शुरु कर दी. इसी बीच जमशेदपुर में भी घोटाले का पता चला जिसकी जांच चल रही है. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में सीबीआई जांच हो सकती है. स्थानीय पीएफ कार्यालय ने अब तक क्या किया? क्या जांच के नाम पर देर नहीं हो रही? क्या प्रसनजीत सरकार को भागने का मौका दिया जा रहा, इतनी शेल कंपनियों का एक ही प्रोपराइटर प्रसनजीत सरकार फिर भी कैसे कार्यालय ने पहले नहीं दिया ध्यान, बड़ा सवाल यह भी उठ रहे है. जांच तो विभिन्न शहरों में देशव्यापी चल रही है लेकिन ये जांच कब तक चलेगी ? इस बीच आरोपों के घेरे में आया प्रसनजीत सरकार अगर विदेश भाग गया तो कौन जिम्मेदार होगा ? जिनको लाभुक बनाकर ये घोटाला किया गया है, जिनके खातों में पैसे आ गए उनमें से कई अनजान होंगे. संभवतया मनरेगा मजदूर या ऐसे लोगों के होने की बात आ रही है तो आगे लोग ऐसे न फंसे क्या ये जागरुकता पीएफ कार्यालय को नहीं फैलानी चाहिए ? क्या पुलिस को सूचना न देकर सिर्फ अंदरूनी जांच के बहाने आरोपी को भागने का मौका दिया जा रहा है ? एक आम मजदूर जब अपने पीएफ का पैसा लेने जाता है तब उनको तरह तरह की प्रक्रियाएं समझाई जाती हैं और प्रसनजीत सरकार इतनी सारी फर्जी कंपनियां खोलता है और इधर सभी कंपनियों में वह खुद प्रोपराईटर होता है लेकिन पीएफ कार्यालय का ध्यान नहीं जाता ये भी हैरान करने वाली बात है.