जमशेदपुर : जमशेदपुर के साकची स्थित पीएफ कार्यालय में करोड़ों के घोटाले के मामले में आरोपों के घेरे में आया प्रसनजीत घोष पकड़ा न जाता, अगर दिल्ली में बैठे एक अफसर की नज़र इस बात पर न जाती कि एक ही आदमी कई कंपनियों का प्रोपराईटर है. सिर्फ प्रसनजीत ही नहीं देश भर के कई शहरों में कुछ चीजों को लेकर सेंट्रल कार्यालय दिल्ली में एक अफसर को शक हुआ और इस तरह एक-एक करके विभिन्न शहरों में जांच शुरू हुई. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेंट्रल कार्यालय में पहले पूना का कुछ मामला पकड़ आया जिसके बाद विभिन्न शहरों में भी मामले निकले और देशव्यापी विभागीय जांच शुरू हुई. जमशेदपुर के मामले का अगर उदाहरण लिया जाए जिसमें प्रसेनजीत घोष ने 17 शैल कंपनियां ऑनलाइन बनाकर सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया तो उसमें सबसे बड़ा सवाल ये है कि कैसे कोई ऑनलाइन फर्जी कंपनियां बना लेता है, जबकि आजकल उसमें भी कड़े नियम लागू करने के दावे हैं. जीएसटी मिलने के भी अपने नियम हैं फिर कैसे इतनी शेल कंपनियां बन गईं? ज़ाहिर है कोई बड़ा तंत्र होगा वरना देशव्यापी घोटाला कैसे हो सकता है? प्रसनजीत घोष ने जिस तरह 2500-3000 आधार या खातों का इस्तेमाल किया, वे ज्यादातर मनरेगा मज़दूर या आम लोग हैं, जिनके विभिन्न बैंकों में खाते हैं. शार्प भारत को मिली जानकारी के अनुसार विभागीय जांच में लंबी प्रक्रिया चलेगी जिसमें इन सभी बैंकों से पत्राचार होगा. सोचनेवाली बात है कि क्या पीएफ कार्यालय में इतने कर्मचारी हैं कि वे अपना काम भी निपटा लें और जांच भी कर लें. काम की स्पीड का अंदाज़ा तो पीएफ कार्यालय के चक्कर काटते मजदूरों को देखकर ही लग जाता है. अब अगर उन्हीं कर्मचारियों में से लोग इतने बड़े घोटाले की जांच में जुटे होंगे तब काम पर क्या असर होगा समझा जा सकता है. फोन पर बातचीत में जमशेदपुर पीएफ कार्यालय के पीएफ कमिश्नर टीके मुखर्जी ने इस घोटाले की आगे चलकर सीबीआई जांच की बात कही है लेकिन वे मीडिया से रुबरू नहीं हो रहे हैं जो बड़े सवाल खड़ा कर रहा है. जब ये घोटाला देशव्यापी है फिर इसमें मीडिया से क्यों दूरी बनाई जा रही है ? कायदे से विभाग को खुद प्रेसवार्ता कर तमाम जानकारियां आधिकारिक तौर पर देते हुए आम लोगों को इस दिशा में जागरूक करना चाहिए कि उनके खाते का भी कोई घोटालेबाज इस्तेमाल न कर पाए. सोमवार को मीडियाकर्मी इस मामले को लेकर जमशेदपुर पीएफ कार्यालय गए तब पीएफ कमिश्नर टीके मुखर्जी से मिलने नहीं दिया गया जबकि कमिश्नर ने खुद शार्प भारत संवाददाता से सोमवार को आने की बात कही थी. कैमरे पर कुछ कहना तो दूर की बात है सबसे बड़े पदाधिकारी मीडिया से मिल भी नहीं रहे हैं और अब फोन भी नहीं उठा रहे हैं जो हैरान करनेवाला है. यहां ध्यान देने वाली बात है कि सिस्टम के लूपहोल्स का फायदा उठाकर लोग करोड़ों का चूना लगा देते हैं पर किसी की नजर नहीं जाती लेकिन उससे जुड़े सवाल लेकर मीडिया जाता है तो अधिकारी मिलते तक नहीं. भारत में जांच का क्या होता है किसी से छिपा नहीं. जिस तरह यहां मीडिया से दूरी बरती जा रही है और भविष्यकाल में सीबीआई जांच की बात हो रही है इस बात की क्या गारंटी है कि मुख्य आरोपी और शक के घेरे में आए अन्य लोग भाग नहीं जाएंगे. दूसरी बात प्रसेनजीत की 17 शेल कंपनियों के साथ ही शक के घेरे में आई 100 से ज्यादा अन्य कंपनियों की जो जांच हो रही है उसमें कौन कौन नाम आ रहे हैं क्या इसको जनना जनता का हक नहीं? प्रसेनजीत ने जो घोटाला किया उसमें आम लोगों के खातों का इस्तेमाल हुआ, फिर और कौन लोग हैं जो ऐसा काम कर रहे हैं? ये बताना आखिर किसका काम है? दिल्ली में बैठे एक ईमानदार अफसर की ईमानदारी से आज देशव्यापी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है ऐसे में पीएफ विभाग को खुद आगे बढ़कर जनता को जागरुक करना चाहिए वरना कई सवाल उठेंगे. (नीचे देखिये पूरी खबर)
क्या था मामला
जमशेदपुर पीएफ कार्यालय में एक कंसलटेट प्रसनजीत घोष द्वारा करोडों का गबन किया गया.कंसलटेट प्रसनजीत घोष ने 17शेल कंपनियां बनाकर गलत तरीके से ‘आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना’ का लाभ उठाते हुए सरकार से करोड़ों ले लिए और 1करोड़ 20लाख की निकासी कर ली.ये राशि अलग अलग खातों में गई जिनके मोबाइल पर अब पीएफ कार्यालय से राशि लौटाने के मैसेज जा रहे हैं. पूरे मामले की रीजनल पीएफ कमिश्नर 2एस.के गुप्ता के नेतृत्व में अंदरुनी जांच चल रही है.दरअसल कोविड काल में केंद्र सरकार ने लोगों की नौकरियां बचाने, नए लोगों को नौकरियों से जोड़ने , उद्योगों को बचाने के लिए आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना 2020-22के लिए लाई थी…इसके तहत लगभग 59लाख लोगों के खाते में लगभग 5000करोड़ की राशि डाली गई है.आम तौर पर कर्मचारी से कुछ अंशदान पीएफ के रूप म़े कटता है और उतना ही कंपनी भी अंशदान देती है लेकिन इस योजना से 1000से अधिक कर्मचारी वाली कंपनियों को दो वर्षों (2020 -2022March)तक दोहरी सब्सिडी का लाभ मिला.शर्त यही थी कि 50से कम कर्मचारियों वाली कंपनी को कम से कम दो नए कर्मचारियों को नौकरी देनी होगी.वहीं 50से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी को सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए 5नए लोगों को नौकरी देनी होगी..योजना के तहत ऐसी सभी कंपनियों के कर्मचारियों को वेतन का 24प्रतिशत सब्सिडी के रूप में प्राप्त होने की बात है जिसमें कंपनी एवं कर्मचारी दोनों के हिस्से का 12-12प्रतिशत पीएफ कंट्रीब्यूशन शामिल है.सभी 1000से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को योजना के तहत 12प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की गई.यह योजना 15,000रूपये से कम आय वाले कर्मचारियों पर लागू की गई थी. प्रसनजीत घोष ने अपनी पत्नी नेहा सरकार, ससुर नील सरकार, साला और अन्य लोगों के नाम से नेहा मेसर्स सर्विसेज़, एन एन इंटरप्राईज़ेज समेत कुल 17शेल कंपनियां खोलीं.किसी कंपनी में चार सौ, किसी में सात सौ इस तरह कुल मिलाकर 3000कर्मचारियों का डेटा दिखाया. …इसके लिए 3000लोगों के आधार कार्ड/खातों का इस्तेमाल हुआ.इनको लाभुक बनाकर योजना के पैसे ले लिए गए.खाते में गए अब तक 1करोड़ 20लाख की निकासी कर ली गई है..फिलहाल निकासी पर विभाग ने रोक लगा दी है.