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jharkhand-gangster-कोर्ट में एके-47 से भून दिये गये थे गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव, पांच साल बाद कोर्ट ने पांच आरोपियों को सुनाया आजीवन कारावास की सजा, जानें किस दिलेरी से की गयी थी यह हत्याकांड

हजारीबाग कोर्ट में 2015 में मारे गये गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव व अन्य. साभार द टेलीग्राफ.

हजारीबाग : झारखंड के चर्चित गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव हत्याकांड में हजारीबाग एडीजे कोर्ट ने विकास तिवारी समेत 5 अपराधियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट की सुनवाई वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से हुई. हालांकि इसके बाद भी कोर्ट में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे. कोर्ट ने 11 सितंबर को ही इन लोगों को दोषी करार दिया था. कोर्ट ने इस मामले में दोषी पाते हुए विकास तिवारी, दिलीप साहू, विशाल सिंह, राहुल देव पांडेय और संतोष देव पांडेय को आजीवन कारावास की सजा दी है. विकास तिवारी फिलहाल पलामू जेल में बंद है जबकि संतोष और राहुल देव पांडेय हजारीबाग जेल में बंद हैं.

घटना के बाद घटनास्थल पर ही अपराधियों द्वारा छोड़े गये एके 47

दिलीप साहू और विशाल सिंह पहले जमानत पर थे लेकिन 11 सितंबर को दोषी पाए जाने के बाद दोनों को रिमांड पर लेते हुए हजारीबाग जेल भेज दिया गया था. विदित हो कि गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव और उनके दो साथी ज्ञास खान और कमाल खान की हत्या जून 2015 में हजारीबाग कोर्ट में पेशी के दौरान कर दी गई थी. एक साथ तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. अपराधियों ने एके- 47 से गोलियां चलाई थी. घटना के बाद से विकास तिवारी फरार था. जिसे हजारीबाग पुलिस ने विकास तिवारी को 2015 में दिल्ली से गिरफ्तार किया था.

2015 में कोर्ट के बीचोबीच अपराधियों ने कर दी थी हत्या
गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव हजारीबाग जेल में सजायाफ्ता कैदी था. 2 जून 2015 को उसको सुबह में हजारीबाग जेल में पेशी के लिए भारी सुरक्षा घेरे के बीच हजारीबाग कोर्ट लाया गया था. कोर्ट परिसर में ही उसके ऊपर लगभग दस बजे एके 47 और अन्य हथियार से हमला कर दिया गया था. इस घटना मे गैंगस्टर सुशील श्रीवास्तव और उसके करीबी गयासुद्दीन खान और मोहम्मद कमाल खान को भी गोली लगी थी और तीनों की मौत हो गयी थी. घटना के बाद कोर्ट की दीवार कूदकर अपराधी भाग गये थे और घटनास्थल पर ही एके 47 को छोड़कर भाग गये थे. गााड़ी को भी इन लोगों ने छोड़ दिया था, जो चोरी की निकली थी. इस मामले में सुशील के बेटे अविक श्रीवास्तव के बयान पर मामला दर्ज कर दिया गया था. घटना के बाद से विकास तिवारी नामक अपराधी फरार था, जिसको दो माह बाद अगस्त 2015 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. इस घटना के दौरान 19 पुलिसकर्मी सस्पेंड कर दिये गये थे.

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