jharkhand-highcourt-big-decision-सरायकेला कोर्ट ने छह साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या आजीवन कारावास की सजा सुनायी थी, झारखंड हाईकोर्ट ने कर दिया आरोपी को बाइज्जत बरी

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रांची/सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर थाना क्षेत्र में नवंबर 2011 में छह साल की बच्ची की दुष्कर्म करने के बाद की गयी हत्या के मामले में आरोपी दुर्गा सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसले में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में मारी गयी बच्ची के पिता ने दुर्गा सोरेन के खिलाफ दुष्कर्म के बाद हत्या का मामला दायर किया गया था. दुर्गा सोरेन को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इस मामले में सरायकेला कोर्ट ने 2016 में दुर्गा सोरेन को फांसी की सजा सुनायी थी. इसके खिलाफ आरोपी दुर्गा सोरेन ने झारखंड हाईकोर्ट में अपील याचिका दायर की थी. इस पर करीब 5 साल तक चली लंबी बहस और कार्रवाई के बाद गुरुवार को हाईकोर्ट ने इस मसले पर फैसला सुनाते हुए आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस सुनवाई के दौरान जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस संजय प्रसाद की अदालत ने कहा कि यह मामला भयानक और जघन्य है, लेकिन इसमें साक्ष्यों पर गौर नहीं किया गया. निचली अदालतों को अपराध की प्रकृति और उसकी भयावहता से प्रभावित नहीं होना चाहिए. अपराध कितना भी जघन्य क्यों नहीं हो, लेकिन निष्कर्ष से पहले साक्ष्यों का विश्लेषण करना चाहिए. इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अदालत को सहयोग करने के लिए एमिकस क्यूरी यानी कोर्ट का मित्र के रुप में वरीय अधिवक्ता एके कश्यप को नियुक्त किया था. इस दौरान श्री कश्यप ने दलील दी कि इस मामले में ना तो बाजार में चना बेचने वाले की गवाही करायी गयी और ना ही वैसे लोगों की गवाही हुई, जिसने दोषी को पीड़िता के साथ देखा था. बच्ची के साथ रहने वाली दो बच्चियों का बयान भी विरोधाभाषी है. वहीं, एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को कहा कि निचली अदालत ने परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर फैसला सुना दिया जबकि परिस्थितिजन्य सबूत साक्ष्य के आधार पर तभी किसी को सजा दी जा सकती है, जब केस में सारे सबूत की कड़ियां एक दूसरे से जुड़े. इस मामले में ऐसा कुछ नहीं है. सारी बातों को सुनने के बाद आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया.

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