रांची : झारखंड की राजधानी रांची में जुमे की नमाज के बाद पिछले सप्ताह हुई हिंसा का मामला गर्माता नजर आ रहा है. यह मामला अब झारखंड हाईकोर्ट भी पहुंच चुकी है. इस हिंसा को लेकर एक जनहित याचिका दायर कर दी गयी है. पंकज यादव के अधिवक्ता राजीव कुमार ने इस मामले में जल्द सुनवाई करने के लिए याचिका लगायी है, जिसको हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस मामले पर शुक्रवार को सुनवाई होनी है. सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआइ एक्टिविस्ट पहकज यादव ने झारखड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका में कहा गया है कि यहां हिंसा की गयी और प्रशासन कोई कार्रवाई करने के बजाय हिंसा करने वाले लोगों को बचा रही है. इसकी एनआइए जांच की जानी चाहिए.
रांची में हिंसा को लेकर पोस्टर लगाने पर एसएसपी को सरकार ने भेजा नोटिस
रांची हिंसा के मामले में वहां के डीसी और एसएसपी बुरी तरह फंस गये है. राज्यपाल के आदेश के मुताबिक, रांची में हिंसा के आरोपियों का पोस्टर लगा दिया गया था. लेकिन कुछ ही घंटो में इन पोस्टरों को हटा दिया गया था. इसको लेकर सरकार में ही विरोध तेज हो गया है. रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा को गृह सचिव राजीव अरुण एक्का ने नोटिस जारी कर पूछा है कि किन परिस्थितियों में यह पोस्टर लगाया गया था. यह बताया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पीआइएल संख्या 532/2020 को पारित आदेश के खिलाफ है. किन परिस्थितियों में ऐसा किया गया है.
रांची डीसी और एसएसपी की मुश्किलें, किसका आदेश मानें
रांची के डीसी और एसएसपी की मुश्किलें काफी ज्यादा है. उनको राज्यपाल रमेश बैस ने मीटिंग कर कहा था कि हिंसा को लेकर कार्रवाई करें और पोस्टर लगाये. राज्यपाल का आदेश माना गया तो राज्य सरकार नाराज हो गयी. सरकार ने इसको हटाने का आदेश दे दिया. इसके बाद पोस्टर हटा दिया गया. अब सरकार की बातों को एसएसपी और डीसी माने या राज्यपाल का, इसको लेकर पशोपेश की स्थिति बनी हुई है. वैसे यह सच है कि राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार है और संविधान कहता है कि सरकार का आदेश ही सर्वोपरि होता है, लेकिन राज्यपाल को भी अधिकार प्राप्त है, जिसके तहत वे आदेश निर्गत कर दिये.