जमशेदपुर : झारखंड के रड़गांव के पास पकड़े गये कजाकिस्तान और तुर्की के मुसलिम समुदाय के तथाकथित धर्मगुरुओं के झारखंड में होने वाले विचरण को लेकर झारखंड सरकार और भारत सरकार के इंटीलिजेंस की टीम सक्रिय है. इसको लेकर पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आखिर वे लोग यहां कर क्या रहे थे और उनका मकसद क्या था. झारखंड जैसे छोटे प्रदेश में वे किस उद्देश्य से घुम रहे थे और झारखंड राज्य में जब सारे लोग या तो हिंदी, कुड़मारी, संथाली, हो, भोजपुरी जैसे भाषाएं ही जानते है, ऐसे में ये सारे विदेशी यहां कर क्या रहे थे. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जमशेदपुर से सटे कपाली में पिछले दिनों ही एक वृहद कार्यक्रम हुआ था. इस वृहद कार्यक्रम में वैसे तो भीड़ नहीं लगने की बात कहीं गयी थी, लेकिन इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए लोग आये थे. सरायकेला-खरसावां जिले में कपाली थाना क्षेत्र पड़ता है, लेकिन यह जमशेदपुर के आजादनगर से सटा हुआ इलाका है. यहां भी मुसलिम समुदाय के काफी संख्या में लोग रहते है. ऐसे में कपाली और जमशेदपुर के इस इलाके में आखिर क्या किया जा रहा था. बताया जाता है कि पूरे झारखंड में धर्म के प्रति लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा था. इसी उद्देश्य से वे लोग आये थे और कपाली से लौटते हुए अंदर ही अंदर लोग रड़गांव चले गये थे, जहां से रांची जाना था, लेकिन इस बीच हवाई यात्रा ही बंद हो गयी तो वे लोग यहीं फंस गये और यह उजागर हो गया. मुसाबनी इलाके में बनाये गये आइसोलेशन वार्ड में उनको रखा गया है. इन सारे मुसलिम लोगों से पूछताछ की जा रही है. इसको लेकर आवश्यक कदम उठाया जा रहा है.
कपाली में दिन भर लगा रहता था जमावड़ा, घरों मे ही भारी भीड़ रहती थी
अब तक की जांच में यह बातें पता चला है कि कजाकिस्तान और तुर्की के मुसलिम समुदाय के लोगों का हर दिन जमावड़ा लगा रहता था. उनका जमावड़ा के कारण लोगों का आवागमन काफी ज्यादा था. चूंकि, जमशेदपुर और सरायकेला-खरसावां जिले के दोनों जिला का सीमावर्ती इलाका है, इस कारण सरायकेला-खरसावां के मुख्यालय से काफी दूर होता है और जमशेदपुर का प्रशासन यह कहकर वहां नहीं जाता है कि इस जिले का मामला नहीं है. इस कारण वहां कोई नहीं देखा. कोरोना वायरस के खौफ के बीच में इस तरह का जमावड़ा लगा था और कहा जाता था कि कोई जमावड़ा नहीं लग रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर यहां मीटिंग होती रहती थी.