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kolhan-mob-lynching-कोल्हान के लिए काला दिन, चार साल पहले जमशेदपुर के नागाडीह और सरायकेला के राजनगर में एक साथ 7 लोगों को बच्चा चोर बताकर हुआ था नरसंहार, आज तक नागाडीह के कई आरोपी नहीं पकड़ाये, दोषी अधिकारी बन गये डीएसपी, वहीं, तबरेज के परिवार को मिल गयी सारी सुविधाएं, यह कैसा न्याय, सरकार से पूछता है पीड़ित परिवार-video

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जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर के बागबेड़ा थाना क्षेत्र के नागाडीह इलाके में हथियारों से लैस ग्रामीणों द्वारा बच्चा चोर बोलकर जुगसलाई नया बाजार के रहने वाले तीन लोगों को पीट-पीटकर मार डाला गया था. इस भीड़ ने एक 76 साल की बुढ़ी महिला रामसखी देवी को भी मौत के घाट उतार दिया था. चार लोगों की नृशंस हत्या के चार साल हो गये. 18 मई 2017 को ही इस घटना को अंजाम दिया गया था, जिसमें जुगसलाई नया बाजार के रहने वाले विकास वर्मा, उसके भाई गौतम वर्मा, बागबेड़ा गाढ़ाबासा निवासी गंगेश और 76 साल कीक रामसखी देवी को मौत के घाट उतार दिया था. रामसखी देवी तीनों बच्चों की दादी थी. अब तक इस मामले में मुख्य आरोपी सुभाष हांसदा, भगत मार्डी, विभीषण सूरज सरदार और सन्नी सरदार फरार है. दो आरोपी माही सरदार और रवि भूमिज को इसी साल मार्च में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था. मृतकों के परिवार को कुछ नहीं मिल पाया. (नीचे पढ़े पूरी खबर और देखे वीडियो)

नागाडीह घटना के चश्मदीद गवाह का वीडियो.

ना तो सरकारी नौकरी और ना ही किसी तरह का कोई मुआवजा. 18 मई 2017 की शाम एक दिल दहला देने वाली घटना में कुछ अपराधियों द्वारा भीड़ एकत्रित करके एक ही परिवार के तीन सदस्य, राम सखी देवी, गौतम वर्मा एवं विकास वर्मा की बेरहमी से हत्या कर दी गई. तत्कालीन सरकार और प्रशासन ने असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा का परिचय देते हुए पूरे मामले को आपसी रंजिश साबित करने की हर सम्भव कोशिश की. (नीचे पढ़े पूरी खबर और देखे वीडियो)

पीड़ित परिवार का बयान.

पुलिस अपनी छवि बचाने के लिए और राजनीतिक दबाव में पूरी तरह निष्क्रिय और अपंग हो गई. नयी सरकार का रवैया तो पुरानी से भी उदासीन निकला. नतीजा आज भी 5 से ज्यादा नामजद अभियुक्त फरार चल रहे हैं, आरोपी पुलिस ऑफिसर आमिश हुसैन को प्रोत्साहन के तौर पर डीएसपी बना दिया गया और पीड़ित परिवार को चंद तथा कथित नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा अपने निजी फायदे के लिए लगातार गुमराह करने का काम किया गया. नतीज़ा आज भी वर्मा परिवार सीबीआई जांच, मुआवजा और परिवार के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी (जैसा की तत्कालीन डीसी अमित कुमार द्वारा घटना के तुरंत बाद सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में वादा किया गया था) को तरस रहा है. मंगलवार को मानिक चंद्र प्रसाद के जुगसलाई स्थित आवास पर मृतकों की चौथी पुण्य तिथि पर परिवार और समाज के लोगों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई. घटना के एकमात्र चश्मदीद और मृतकों के भाई उत्तम वर्मा का कहना है कि उन्हें कानून और न्यायालय पर आज भी भरोसा है और उनका परिवार अपने हक के लिए तब तक लड़ता रहेगा जब तक की सभी दोषियों को सजा नहीं मिल जाती.
राजनगर में भी मार दिये गये थे उसी दिन 4 युवक
18 मई 2017 को ही सरायकेला-खरसावां जिले के राजनगर में भी चार युवकों को बच्चा चोर बताकर मार डाला गया था. चारो युवक जमशेदपुर के पोटका थाना क्षेत्र के हल्दीपोखर के रहने वाले मोहम्मद नईम, सेराज खान और सज्जू और एक घाटशिला का युवक था. मौके पर छुड़ाने के लिए जब पुलिस पहुंची थी, तब राजनगर पुलिस की जीप को भी जला दिया गया था. इन लोगों के परिवार को भी आज तक कुछ नहीं मिल पाया है.
तबरेज की मौत पर सरकार ने सारी सुविधाएं परिवार को दी

17 जून 2017 को ही सरायकेला-खरसावां जेल में पुलिस हिरासत के दौरान तबरेज अंसारी की मौत हो गयी थी. उसकी सरायकेला-खरसावां जिले के धातकीडीह गांव में चोरी का आरोप लगाकर गांववालों ने पीटकर घायल कर दिया था कि उसका जेल जाने के बाद इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. इस मौत के बाद इतना हल्ला मचा कि संसद से लेकर विधानसभा तक हिल गयी थी. इस हत्याकांड के बाद राज्य सरकार ने तबरेज के परिवार को सारी सुविधाएं दी. मुआवजा दिया और नौकरी की भी पेशकश कर दी है.

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