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Jamshedpur-world-environment-day-special : प्रकृति के साथ सद्भाव रखें, पर्यावरण की सुरक्षा में जहां तक हो सके योगदान करें

राशिफल

ओमप्रकाश चौधरी
पर्यावरण सलाहकार, जमशेदपुर.

जमशेदपुर : हमलोग प्रति वर्ष आज के दिन (5 जून) को “विश्व पर्यावरण दिवस” के रूप में मानते हैं. विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत वर्ष 1974 में यूनाइटेड नेसंस के द्वारा “Only One Earth” थीम से हुई. इसका मुख्य उपदेश्य पर्यावरण की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करना एवं उन्हें प्रोत्साहित करना है. इस वर्ष की थीम # OnlyOneEarth “Living Sustainably in Harmony with Nature” है. इस थीम के आधार “प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना” है. प्रत्येक वर्ष इस दिवस की मेजबानी अलग अलग देश करता है. इस वर्ष इसकी मेजबानी स्वीडन कर रहा है. हमारे लिए ये बहुत गर्व की बात है की अब तक भारत भी इसकी मेजबानी दो बार कर चुका है. सर्वप्रथम वर्ष 2011 में “Forests : Nature at your Service” थीम के साथ और फिर दोबारा वर्ष 2018 में “Beat Plastic Pollution” थीम के साथ. (नीचे भी पढ़ें)

निजी प्रैक्टिस में होने के कारण प्रतिदिन मेरा विभिन्न विभागों में आना जाना लगे रहता है. और मेरा वर्षों का अनुभव ये कहता है की अत्यधिक विभाग सिर्फ़ और सिर्फ़ व्यापार एवं उससे जुड़े आय एवं व्यय से संबंधित हैं परंतु “पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय” एवं इसके अंतर्गत आने वाले सभी विभाग व्यापार एवं उससे जुड़े आय एवं व्यय के साथ साथ हमारे पर्यावरण एवं हम प्रत्येक के जीवन से भी संबंधित है. यह एक ऐसा विभाग है जो दिन प्रतिदिन हमारे कल कारखानों से लेकर घर तक से उत्सर्जित सभी प्रकार के प्रदूषण की रोक थाम करने के लिए जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981 एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 में वर्णित विभिन्न धारावों एवं उनके अंतर्गत बनाए गए विभिन्न नियमों के तहत कार्य करता है और हम सबों के लिए एक स्वच्छ वातावरण प्रदान करने की कोशिश करता है. उदाहरण स्वरूप विभिन्न इकाइयों में उत्पादन प्रक्रिया से उत्पन्न वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, उत्पादन प्रक्रिया में उपयोग आने वाले या उससे उत्पन्न होने वाले खतरनाक अपशिष्ट, विभिन्न होटल, रेस्टोरेंट, अस्पताल, नर्सिंग होम इत्यादि से उत्सर्जित प्रदूषण से लेकर प्रत्येक घर से नित्य प्रतिदिन निकले हुवे विभिन्न प्रकार के कचडों से उत्पन्न प्रदूषण इत्यादि. इसलिए हम सबों का ये मानवीय धर्म एवं कर्तव्य भी है की पर्यावरण की सुरक्षा में जहां तक हो सके हम अपना योगदान दें और विभाग का सहयोग करें. (नीचे भी पढ़ें)

एक साधारण व्यक्ति भी विभिन्न माध्यमों से पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान दे सकता है उदाहरण स्वरूप जल संचय करें – व्यर्थ का जल बर्बाद ना करें, कोशिश करें की जब भी घर से बाहर निकलें अपने साथ पानी की बोतल साथ रखें ताकि प्यास लगने पर बोतल बंद पानी ख़रीदने से बचें. इससे प्लास्टिक की बोतल से उत्पन्न अपशिष्ट से बचाव होगा. इसी प्रकार नित्य प्रतिदिन की सामग्रियों की खरीददारी के लिए जब भी घर से बाहर निकलें अपने साथ थैला लेकर निकलें एवं प्लास्टिक से निर्मित थैले का अपने स्तर पर पूर्णतया वहिस्कार करें. इससे भी हम प्लास्टिक प्रदूषण से बचेंगे. अपने घर का कचरा जहां तहाँ ना फेकें. इसे सिर्फ़ निर्धारित जगह पर ही गिला कचरा एवं सूखा कचरा के लिए दिए गए नीले एवं हरे रंग के बीन में ही डालें. जहां कहीं भी जगह मिले पौधे अवश्य लगाएँ. जगह के अभाव में (जैसे फ़्लैट) Pot Plantation (गमला रोपण) अवश्य करें इत्यादि. (नीचे भी पढ़ें)

ऐसा करके हम व्यक्तिगत तौर पर पर्यावरण की रक्षा करने के साथ साथ समाज में एक सकारात्मक संदेश दे सकते हैं. फलस्वरूप अधिक से अधिक लोग जागरूक होंगे एवं पर्यावरण संरक्षण में अपना अपना योगदान देंगे. इसी प्रकार विभिन्न उद्योग परिचालकों / सेवा प्रदातावों से भी मेरी विनम्र अपील है की वो सभी पर्यावरण के बचाव के लिए निम्न प्रकार से अपना योगदान दें.
उत्पादन क्षेत्र की इकाइयाँ (Manufacturing Sector Units) अपनी उत्पादन प्रक्रिया से उत्पन्न प्रदूषण के अनुरूप विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण उपकरण लगाने / स्थापित करने को अपनी उच्च प्राथमिकता में रखें, उत्पादन प्रक्रिया में आने वाले या उससे उत्पन्न खतरनाक अपशिष्ट (यदि कोई हों) के रख रखाव एवं उसका निष्पादन “The Hazardous Wastes (Management, Handling and Transboundary Movement) Rules, 2008” में वर्णित नियमों के तहत करने का प्रयास करें, सेवा क्षेत्र की इकाइयाँ (Service Sector Units) जैसे हॉस्पिटल – यहाँ से निकलने वाले जैव चिकित्सा अपशिष्ट (Bio Medical Waste) का निष्पादन इसके लिए बनाए गए “Bio-Medical Waste Management Rules, 2016” के अनुसार करने का प्रयास करें. इसी प्रकार होटल, रेस्टोरेंट से निकलने वाले दूषित पानी एवं वेस्ट का निष्पादन “The Water (Prevention and Control of Pollution) Act 1974” एवं “Solid Waste Management Rules 2016” के अनुसार करने का प्रयास करें, रेलवे (जहां सम्भवतः हर प्रकार के प्रदूषण का श्रोत है) को कठोरता के साथ विभिन्न नियमों एवं अधिनियमों का पालन करने का प्रयास करना चाहिए जिससे की वातावरण स्वच्छ रहे. वर्षा के जल का संग्रहण (Rain Water Harvesting) की व्यवस्था अवश्य सुनिशित करें, अपने औद्योगिक परिसर एवं ऑफ़िस परिसर में अधिक से अधिक पौधा रोपण करें, धूल दमन (Dust Suppression) के लिए नियमित रूप से पानी के छिड़काव करें आदि. (नीचे भी पढ़ें)

आप सबों के द्वारा किया गया छोटा छोटा सा प्रयास पर्यावरण को संरक्षित रखने में अहम भूमिका निभा सकता है. कृपया पर्यावरण के प्रति इसे अपना दाईत्व समझकर एक सकारात्मक सोच के साथ इस दिशा में आगे बढ़ने की आप सबों से विनम्र अपील करता हूँ. “पर्यावरण है तो कल है” इस भावना एवं इच्छा शक्ति को अगर मन में रखेंगे तो निश्चय ही हम पर्यावरण के प्रति अपना दायित्व निभाने एवं इसे स्वच्छ बनाने में अवश्य सफल होंगे. (नीचे भी पढ़ें)

पर्यावरण अनुकूल देशों में भारत का विश्व में स्थान
“Environmental Friendly Countries” जिसे “पर्यावरण अनुकूल या हरित देश” भी कहा जाता है ये वैसे देश हैं जो वो हर प्रक्रिया को अपनाते हैं जिससे पर्यावरण को कम से कम नुक़सान हो. किसी भी देश की पर्यावरण अनुकूलता को पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक [Environmental Performance Index (EPI)] से निर्धारित किया जाता है. EPI विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) के सहयोग से Yale University, New Haven, US (येल विश्वविद्यालय. न्यू हेवेन, यू. एस.) और Columbia University (कोलंबिया विश्वविद्यालय) द्वारा तैयार किया जाता है. वर्ष 2022 के रिज़ल्ट के अनुसार, 180 देशों में विश्व का सबसे अधिक पर्यावरण अनुकूल देश 77.90 EPI के साथ डेनमार्क है, 77.70 EPI के साथ दूसरे स्थान पर यु.के. और 76.50 EPI के साथ तीसरे स्थान पर फ़िनलैंड है वहीं भारत 18.90 EPI के साथ सबसे अंतिम पायदान 180वें स्थान में है. हमारे सीमावर्ती देशों की स्थिति भी भारत से अच्छी है जैसे पाकिस्तान 24.60 EPI के साथ 176वें स्थान पर, नेपाल 28.30 EPI के साथ 162वें स्थान पर, चीन 28.40 EPI के साथ 160वें स्थान पर, श्रीलंका 34.70 EPI के साथ 132वें स्थान पर एवं कनाडा 50 EPI के साथ 49वें स्थान पर है. ईश्वर ने हमारे देश भारत की भुगौलिक स्थिति का निर्माण कुछ इस तरह से किया है जिसके कारण हम इसे “Country of all seasons (सभी मौसमों का देश)” के रूप से भी जानते हैं. परंतु दुर्भाग्यवश प्रकृति के द्वारा दी गई इस अनमोल धरोहर को हम कभी भी समझ ही नही पाए और अपने देश को विश्व के पर्यावरण अनुकूल देशों की सूची में सबसे अंतिम पायदान पर पहुँचा दिए यह हम सभी भारतीयों के लिए बहुत ही क्षोभ का विषय है. आइए आज पर्यावरण दिवस के दिन हम सभी अपनी ग़लतियों को सुधारने का दृढ़ संकल्प लें और पर्यावरण के पुनरुत्थान के लिए अपना हरसंभव प्रयाश करें.

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