टाटा स्टील देश की पहली कंपनी बनी, जहां के माइंस में तीनों शिफ्ट में अब महिलाएं करेंगी काम

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जमशेदपुर : टाटा स्टील ने पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की एक नयी मिसाल पेश की है. कंपनी ने महिला और पुरुषों की दीवार को तोड़ते हुए नोवामुंडी के आयरन ओर माइंस में तीनों शिफ्ट में महिलाओं के काम करने को मंजूरी दे दी है. इसके तहत महिलाओं को काम पर लगाया जायेगा. माइनिंग, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल व मिनरल के प्रोसेसिंग इंजीनियरिंग में भी महिलाओं को काम पर लगाया जायेगा. अब तक सिर्फ दिन के ही शिफ्ट में महिलाओं से काम लिया जाता था. एक सितंबर से इसकी शुरुआत कर दी गयी है. टाटा स्टील ने जमशेदपुर प्लांट में एक अप्रैल से इससे पहले 52 महिलाओं को सुबह 6 बजे से दोपहर दो बजे (ए शिफ्ट) और दोपहर दो बजे से लेकर रात दस बजे तक (बी शिफ्ट) में शॉप फ्लोर पर काम में लगाया है. 52 महिला कर्मी रात में भी काम करती है. टाटा स्टील की ओर से यह लक्ष्य निर्धारित की गयी है कि वर्ष 2025 तक महिला कामगारों की संख्या में 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी की जायेगी. इसके तहत कई सारे अभियान शुरू कर दिया गया है. टाटा स्टील के वीपी रॉ मैटेरियल अरुण मिश्रा ने बताया कि महिलाओं को माइंस में तीनों शिफ्ट में काम लेना एक बड़ा काम है और यह महिलाएं ही करके दिखायेंगी कि वे लोग तीनों समय में काम कर सकती है. कंपनी की ओर से उनको सुरक्षा, माहौल जरूर प्रदान कराया जायेगा ताकि वे लोग सुरक्षित तरीके से बेहतर काम कर सके. सारे नियमों का अनुपालन करते हुए कंपनी की ओर से यहां महिलाओं से उत्खनन कार्य लिया जायेगा. महिलाओं को इसके लिए खास तौर पर ट्रेनिंग दी गयी है.

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