खबरतीन डॉक्टरों की टीम व दोस्तों के त्याग ने सात वर्षीय खेन्को...
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तीन डॉक्टरों की टीम व दोस्तों के त्याग ने सात वर्षीय खेन्को की आंखों में भरे दुनिया के रंग

राशिफल

जमशेदपुर : नयी रौशनी की तलाश में भटकने वाले बाघमारा, शंकरदा, पोटका निवासी जगन्नाथ मुर्मू के 7 वर्षीय पुत्र खेन्का मुर्मू को रौशनी आज कुछ हम उम्र बच्चों के कारण मिल गयी, आदित्यपुर स्थित शंकर चक्षु चिकित्सालय में जाने माने नेत्र चिकित्सक डॉ. बी. पी. सिंह, डॉ. पूनम सिंह तथा जाने-माने एनेस्थेटिक एवं टाटा मोटर्स अस्पताल के सीएमएस डॉ. अशोक जाडोन ने खेन्को मुर्मू के एक आंख का मोतियाबिन्द ऑपरेशन सम्पन्न किया, सात वर्ष के उम्र में आंखों में मोतियाबिन्द का होना क्रिटिकल ऑपरेशन था, इसलिए चिकित्सकों की टीम के लिए यह चुनौती भी थी, तीनों चिकित्सकों ने इसे बेहतरीन तरीके से निस्वार्थ भावना के साथ सम्पन्न किया। ऑपरेशन थियेटर में जब ऑपरेशन हो रहा था, बच्चों के लिए ऑपरेशन का सीधा प्रसारण किया जा रहा था, इस दौरान सहयोगी बच्चे मानो सांसे थामकर उसके सफल ऑपरेशन की कामना कर रहे थें। ज्ञातब्य हो कि जगन्नाथ मुर्मू अपने 7 वर्षीय पुत्र खेन्का मुर्मू के आंखों के इलाज के लिए बागबेड़ा थाना चौक स्थित राम मनोहर लोहिया नेत्रालय में प्रत्येक सप्ताह लगने वाले नेत्र शिविर में 24 अगस्त को लेकर आए थे, जहां चिकित्सकों ने शिविर में बच्चे के ऑपरेशन के लिए असमर्थता जाहिर की थी, लेकिन वहां सेवा दे रहे कुछ छोटे बच्चों की संवेदनशीलता ने चिकित्सकों को इस कार्य को आगे बढ़कर करने के लिए मानो संकल्पित कर दिया। चिकित्सकों ने उसका इलाज अपने स्तर पर बाहर उचित अस्पताल में निशुल्क करने की हामी भर दी, बच्चे को लगने वाले लेंस तथा दवाओं के खर्च के लिए शिवम, शुभम, आदित्य, अनन्त ने अपना गुल्लक पहले ही बच्चे को दे दिया था, उनकी इस पहल को देखते हुए उनके भाई बहन भी आगे आये जिसमें शिवानी, अद्वित तथा अभय ने अपने पास जमा पैसे से खेन्को मुर्मू के लिए नये कपड़े तथा मिठाई देकर उसे विदा करने का फैसला लिया। खेन्को मुर्मू के दूसरे आंख का ऑपरेशऩ एक माह बाद इन्ही चिकित्सकों की टीम द्वारा निशुल्क की जायेगी, आगे के खर्च के लिए बच्चों ने पहले ही अपने अभिभावकों को राजी कर लिया है। बीती रात खेन्को मुर्मू को उसके गांव पोटका न भेजकर बच्चों ने उसे और उसके पिता को जुगसलाई स्थित अपने आवास में अपने साथ रहने की व्यवस्था की, आज यहां उसके आंखों की पट्टी खोलकर उसे चश्मा व दवा प्रदान कर विदा किया गया। अब वह अपने ऑपरेशन कराये आंखों से उन अनजाने दोस्तों को देखकर खुश है, जिन्होने उसकी जिन्दगी में रौशनी की पहल की और उसकी दुनिया को रंगीन बनाया।

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