जमशेदपुर : अपने ही ममेरी सास की हत्या के आरोप में एक माह से घाघीडीह जेल में बंद सस्पेंड सब-इंस्पेक्टर मनोज गुप्ता गुरुवार को एक माह बाद कोर्ट में पेश हुआ. उसकी पेशी एडीजे-13 प्रभाकर सिंह की अदालत में थी. वह कोर्ट में फिल्मी अंदाज में बगैर हथकड़ी के पेश हुआ. इस दौरान उसके साथ सीतारामडेरा के थानेदार अंजनी कुमार को लगाया गया था. अंजनी कुमार में कोर्ट हाजत से निकालने के बाद मनोज गुप्ता से कहा था की हथकड़ी लगा देते हैं, लेकिन मनोज गुप्ता ने साफ इनकार कर दिया. उसने कहा कि हथकड़ी नहीं लगाएंगे. दरअसल, उनके अधिवक्ता ने एक दलील कोर्ट में पेश की कि वे भरोसेमंद ऑफिसर रह चुके है और भाग नहीं सकते है. सुप्रीम कोर्ट की एक रुलिंग का हवाला देकर उन्होंने याचिका दी थी, जिसको कोर्ट में मंजूर किया गया और हथकड़ी के बगैर पेशी की इजाजत दी गयी. पेशी में ऐसा लग रहा था मानो किसी हिंदी फिल्म की शूटिंग चल रही हो. उसकी पेशी कदमा क्षेत्र में पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता के कार्यालय में हुई फायरिंग को लेकर की गयी थी. बन्ना गुप्ता के मामले में उसकी पेशी हुई और गवाही हुई. बन्ना गुप्ता पर जब फायरिंग हुई थी, तब मनोज गुप्ता ही कदमा के थानेदार थे. कदमा थाना प्रभारी रहते हुए उन्होंने केस दायर की थी, लेकिन इस मामले में गुरुवार को गवाही देने के लिए वे खुद हत्या के आरोपी बनकर कोर्ट में पेश हुए. दूसरी ओर, 28 अगस्त को सस्पेंड सब इंस्पेक्टर मनोज गुप्ता ने घाघीडीह जेल से बंदी पत्र पश्चिम सिंहभूम जिला पुलिस के अधीक्षक इंद्रजीत महथा को भेजा है. पश्चिम सिंहभूम के एसपी को भेजे गये पत्र में मनोज गुप्ता ने कहा है कि उनके खिलाफ एक चार्जशीट दी गयी है. 22 अगस्त को जेल में ही उनको रिसीविंग करायी गयी है. उन्होंने इस मामले को लेकर विभागीय कार्रवाई के लिए जारी किये गये चार्जशीट का स्पष्टीकरण दिया है. इस स्पष्टीकरण में कहा गया है कि वे 19 जुलाई को बीमार हो गये थे. इलाज कराने के लिए कोई व्यवस्था उनके पास नहीं थे. इसके बाद वे सोनुवा पुलिस निरीक्षक सोनुआ अंचल में ‘सीक’ (बीमार) रिपोर्ट किया. इसके बाद वे अपना इलाज कराने के लिए चले गये. 22 जुलाई को वे सरकारी बोलेरो से थाना के सिपाही योगेंद्र नाथ सिंह के साथ अपने सरकारी रिवाल्वर और गोली के साथ सोनुवा थाना पर आकर थाना प्रभारी कुलदीप कुमार और पूर्व सोनुवा थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा को जानकारी देते हुए इलाज कराने के लिए निकल गये. वहां से वे डीएसपी चक्रधपुर के पास भी गये और अपनी बीमारी की जानकारी देकर वहां से निकल गये. इसके अलावा डीएसपी चक्रधरपुर के रीडर सहायक अवर निरीक्षक संतोष कुमार सिंह के साथ गुदगड़ी थाना की सारी जानकारी देते हुए जमशेदपुर चले गये. 23 जुलाई से 25 जुलाई तक वे गुदड़ी थाना के सहायक अवर निरीक्षक गुरुदयाल सिंह से मोबाइल नंबर 7250721062 से संपर्क किया और लगातार बातें हुई. उन्होंने अपने बंदी पत्र में कहा है कि 23 जुलाई को उनके सस्पेंशन की बात जो कहीं गयी है, वह सरासर गलत है और किसी तरह का कोई संदेश नहीं दिया गया है. उन्होंने पश्चिम सिंहभूम एसपी को कहा है कि उनको किसी तरह सस्पेंशन की कोई जानकारी तक नहीं दी गयी जबकि उनको फरार बता दिया गया जबकि वे खुद सोनारी नवलखा अपार्टमेंट में ही थे और ड्यूटी पर भी थे. उन्होंने सोनारी थाना प्रभारी और सोनारी क्षेत्र के डीएसपी अरविंद कुमार को भी सवालों में खड़ा किया है और कहा है कि उन्होंने साजिश रचकर उनकी पत्नी, पूनम गुप्ता, चंदन कुमार श्रीवास्तव समेत अन्य लोगों के साथ मिलकर उनको फंसाया है. मनोज गुप्ता ने बताया है कि वे अपने घर पर ही थे और उनके खिलाफ कोर्ट से इश्तेहार और फरार बताते हुए वारंट तक निर्गत कर दिया गया, जो साजिश है. जमशेदपुर पुलिस और पश्चिम सिंहभूम पुलिस में तैनात कुछ पदाधिकारी मिलकर यह साजिश कर रहे है कि उनको साजिश में फंसा दिया जाये. बंदी पत्र में अपने ममेरी सास और चंदन श्रीवास्तव और उनकी पत्नी को गोली लगने की घटना के बारे में मनोज गुप्ता ने कहा है कि चंदन कुमार श्रीवास्तव और उनकी पत्नी पूनम गुप्ता 26 जुलाई को समझौता करने के नाम पर आये और उनके साथ (मनोज गुप्ता के साथ) उलझ गये. उन्होंने बताया है कि चंदन कुमार श्रीवास्तव ने अपने पिस्तौल से गोली चलाकर जानलेवा हमला किया, जिसके बाद उन्होंने अपना बचाव की कार्रवाई में अपने सरकारी रिवाल्वर निकाला. हाथापायी और गुत्थमगुत्थी के दौरान उनके रिवाल्वर से ही गोली चल गयी थी. उन्होंने बताया कि उन्होंने आत्मसमर्पण करने के बाद चंदन श्रीवास्तव पर गोली चलाने का आरोप लगाते हुए आवेदन भी दिया था, लेकिन उस आवेदन को लेकर किसी तरह का केस अंकित नहीं कर सोनारी थाना प्रभारी और डीएसपी अरविंद कुमार ने साजिश रची. उन्होंने बताया है कि उनकी पत्नी पूनम गुप्ता ने सोनारी थाना में समझौता पत्र दिया था, जिस कारण उनको बुलाया गया था. वे पुलिस पदाधिकारी होने के बावजूद उनके ऊपर केस करने वालों को थाना ने उनके साथ भेज दिया, जिससे उनको काफी खतरा भी हो सकता है.